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बच्चों को दी जाती है मोबाइल चोरी की ट्रेनिंग, एक मोबाइल के लिए देते हैं इतने पैसे

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Published : Jan 17, 2023, 9:45 AM IST

Updated : Jan 17, 2023, 11:45 AM IST

mobile theft training for kids in sahibganj
बरामद किए गए चोरी के मोबाइल ()

अपराधी मोबाइल चोरी के करने के लिए बच्चों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके लिए बच्चों को ट्रेनिंग दी जाती है. इसके बाद उन्हें अलग-अलग जगहों पर लगा दिया जाता है. इन बच्चों को प्रति मोबाइल 1000 से 2000 रुपए तक दिए जाते हैं.

रांची: झारखंड के साहिबगंज जिला अंतर्गत राजमहल और तीनपहाड़ इलाके में बच्चों को मोबाइल चोरी की ट्रेनिंग देने वाली 'पाठशालाएं' चलाई जा रही हैं. इन पाठशालाओं के संचालक बड़ी संख्या में बच्चों को ट्रेंड करने के बाद उन्हें बड़े शहरों और महानगरों में भेज रहे हैं. इसके बाद इन बच्चों की अलग-अलग इलाकों में बकायदा ड्यूटी लगाने से लेकर उनपर निगरानी तक का काम गिरोह के सरगनाओं के जिम्मे रहता है. रांची के डेली मार्केट थाने की पुलिस ने मोबाइल चोरी करने वाले गिरोह के चार बाल सदस्यों को गिरफ्तार किया है. इनके पास से चोरी के 43 मोबाइल बरामद किए गए हैं.

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पुलिस ने जिन बच्चों से मोबाइल बरामद किया है उन बच्चों को रांची के पंडरा इलाके में किराए के मकान में टिकाया गया था. निरुद्द किए गए 17 साल के एक नाबालिग ने पुलिस को बताया है कि वह मोबाइल चोरी के केस में 2020 में भी पकड़ा गया था. तब वह बिहार के बक्सर जिले के बाल सुधार गृह में चार महीने तक रहा था. पकड़े गए चोरों में एक की उम्र महज 11 वर्ष है. उसे भी बिहार के भागलपुर जीरो माइल थाना पुलिस ने वर्ष 2022 में मोबाइल चोरी के केस में सुधार गृह भेजा था, जहां वह 11 दिन तक रहा था. दरअसल चोरी जैसे मामलों में बच्चे जब बाल सुधार गृह जाते हैं, तो उन्हें रिहाई के लिए ज्यादा दिनों तक इंतजार नहीं करना पड़ता. पुलिस भी ज्यादा पूछताछ नहीं करती है. उन्हें टॉर्चर भी नहीं किया जाता.

बच्चों ने पुलिस को बताया है कि उन्हें हर दिन 8 से 10 मोबाइल चोरी करने का टारगेट दिया जाता है. हर मोबाइल चोरी पर उन्हें मिलने वाला मेहनताना तय है. मोबाइल की कंपनी और ब्रांड के अनुसार उन्हें प्रति मोबाइल एक हजार से दो हजार रुपए तक मिलते हैं. गिरोह में शामिल बड़ी उम्र वाले लोग बच्चों के इर्द-गिर्द ही खड़े रहते हैं. मोबाइल उड़ाने के तुरंत बाद ये बच्चे उसे बड़ी उम्र वाले सदस्यों को सौंप देते हैं. बड़ी संख्या में चोरी का मोबाइल जमा होने पर गिरोह का बॉस इन्हें लेकर साहिबगंज चला जाता है.

चोरी की ड्यूटी करने वाले बच्चे अपने मां-पिता की मर्जी से यह काम करते हैं. ज्यादातर बच्चे कमजोर माली हालत वाले परिवारों से आते हैं. गिरोह में शामिल ज्यादातर साहिबगंज जिले के तीनपहाड़, तालझारी, महाराजपुर एवं पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के बरनपुर, हीरापुर, आसनसोल आदि जगहों के हैं. पकड़े गए बच्चों ने पुलिस को बताया कि मोबाइल चोरी करने की ट्रेनिंग उन्होंने तीनपहाड़ राजमहल में पाई. बॉस सूरज, चंदन और अन्य ने उन्हें वो तरीके बताए, जिसकी मदद से मोबाइल उड़ाया जा सकता है. इसके बाद उन्हें वनांचल एक्सप्रेस ट्रेन से रांची लाया गया. मोबाइल चोरी करने के लिए सबसे मुफीद ठिकाना सब्जी और डेली मार्केट होता है. मेलों और पब्लिक मीटिंग वाले जगहों पर मोबाइल उड़ाकर नजरों से ओझल होना आसान होता है. एक पुलिस अफसर ने बताया कि चोरी किए गए मोबाइल बांग्लादेश, नेपाल तक पहुंचाए जाते हैं. एक साल में बच्चा चोर गिरोह के 30 से ज्यादा सदस्य केवल रांची में पकड़े गए हैं.

--आईएएनएस

Last Updated :Jan 17, 2023, 11:45 AM IST

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