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Saryu Rai-Banna Gupta Controversy: सरयू राय ने सीएम से की स्वास्थ्य मंत्री को हटाने की मांग

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Published : Mar 17, 2023, 4:34 PM IST

Saryu Rai Banna Gupta controversy

सरयू राय ने कल के सदन में ध्यानाकर्षण के दौरान स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के द्वारा दिए गए जवाब को शत प्रतिशत असत्य बताते हुए कहा कि इस संबंध में मैं आज स्पीकर को पत्र लिखकर आग्रह करूंगा कि जिस समय में मैं मंत्री था उस समय में अनियमितता की बात जो स्वास्थ्य मंत्री के द्वारा कही गई है उसके कागजात उपलब्ध कराए जाएं. मैंने कभी भी जो अधिकार नहीं है वहां बिना मुख्यमंत्री से सहमति लिए कोई ट्रांसफर पोस्टिंग करने का काम नहीं किया. इसलिए मैं अध्यक्ष महोदय से कहूंगा कि मंत्री से इसका स्पष्टीकरण दिलवाइये.

रांची: जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय विधायक सरयू राय के प्रश्न से एक बार फिर सदन में सरकार घिरती नजर आई. शुक्रवार को सदन की कार्यवाही 11 बजे जैसे ही शुरू हुई सरयू राय स्वास्थ्य विभाग से संबंधित पूछे गए सवाल का जवाब नहीं मिलने पर नाराजगी जताने लगे. हालांकि सदन के द्वारा सरयू राय को 21 मार्च को सवाल का जवाब मिलने का आश्वासन दिया गया. इसके बाबजूद सरयू राय संतुष्ट नहीं दिख रहे थे.

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दरअसल, सरयू राय स्वास्थ्य विभाग से यह जानना चाह रहे थे कि दवाओं एवं उपकरणों की खरीद के लिए अप्रैल 2020 में जेएनएचआईडीपीसीएल निविदा प्रकाशित किया था और निविदा निष्पादन के उपरांत निविदा दाताओं को लेटर ऑफ एक्सेप्टेंस भेजा था. क्या यह बात सही है कि निविदा में न्यूनतम दर आने के बावजूद भारत सरकार के लोक उपक्रमों से उन्हीं दवाओं की खरीद मनोनयन के आधार पर की गई. क्या यह बात सही है कि निविदा की न्यूनतम दर तथा उन्हीं दवाओं की मनोनयन पर खरीद की दर में 2 से 4 गुना तक का अंतर है. जिसके कारण राजकोष पर सौ से डेढ़ सौ करोड़ रुपए की चपत पड़ी है. यदि उत्तर स्वीकारात्मक है तो क्या सरकार बताएगी कि इस अवधि में कितनी दवाएं मनोनयन के आधार पर खरीदी गई और ऊंची दर पर दवा खरीदने और राजकोष को करोड़ों रुपए की चपत लगाने वालों पर क्या कार्रवाई की गई है. हां तो कब तक, नहीं तो क्यों?

इसके अलावा सरयू राय ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग से मानसून सत्र के दौरान कोविड-19 के समय जो सहायता राशि देनी थी वह मिली कि नहीं मिली इसके बारे में जानकारी उपलब्ध कराई जाए. आज तक मुझे इसका जवाब नहीं मिला है. या कितनी गंभीर बात है कि विधानसभा सचिवालय ने स्वास्थ्य विभाग को दो बार रिमाइंडर भेजा है इसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग ने अब तक इन सवालों का जवाब नहीं भेजा है. ऐसे सवालों से स्वास्थ्य विभाग क्यों कतरा रहा है.

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स्वास्थ्य मंत्री को हटायें मुख्यमंत्री-सरयू राय:स्वास्थ्य विभाग द्वारा जवाब नहीं मिलने पर सरयू राय ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हर बार सदन आहूत होने से पहले बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं और विभागों से अपेक्षा की जाती है कि सदस्यों के सवालों का जवाब विभाग के द्वारा सही और सटीक तरीके से दिए जाएंगे. मगर हालात यह है कि पिछले 6 महीने से इन सवालों का जवाब स्वास्थ्य विभाग के द्वारा नहीं दिया जा रहा है. इससे पहले भी कई ऐसे मौके आए जिसमें स्वास्थ्य विभाग और उनके मंत्री लापरवाह बने हुए दिखे.

सदन में विधायक के द्वारा जो प्रश्न पूछे जाते हैं उस पर मंत्रियों के द्वारा कुछ भी कह देने की परंपरा सी हो गई है. खास बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग बात नहीं सुनता है. मुख्यमंत्री के यहां से फाइल मांगी जाती है फाइल नहीं दी जाती है. यह पर्याप्त सबूत है कि सामूहिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए मुख्यमंत्री ऐसे स्वास्थ्य मंत्री को पद से हटा दें. मुख्यमंत्री संचिका मांगेंगे तो स्वास्थ्य मंत्री संचिका नहीं देंगे, मुख्य सचिव संचिका मांगेंगे तो स्वास्थ्य मंत्री संचिका नहीं देंगे. इससे बड़ी गंभीर बात क्या हो सकती है. इसलिए मैंने सदन में कहा कि अध्यक्ष महोदय स्वास्थ्य विभाग को छुट्टा सांढ जैसा है जो जहां मुंह मारना है मार ले इसलिए जो मैंने सवाल उठाए हैं उसका जवाब मांगने की कोशिश करूंगा और विधि सम्मत कार्रवाई भी करूंगा.

स्पीकर सरकार को नहीं सदस्यों को संरक्षित करने का जिम्मेदारी निभाएं-सरयू राय:आसन का दायित्व सदस्यों को संरक्षण देने का होता है, सरकार को नहीं. उन्होंने स्पीकर पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सदस्यों को संरक्षण दीजिए ना कि सरकार को, इसमें कोताही हो रही है. मैं जब कभी भी मिलता हूं अध्यक्ष महोदय से तो कहता हूं कि आपको अपने इस दायित्व का पालन करना चाहिए. सभी सदस्य, चाहे वह सत्तापक्ष के हो या विपक्ष सभी को संरक्षण दीजिए और मंत्रियों से सही बात उगलवाना चाहिए लेकिन मंत्री भाग रहे हैं. गलत उत्तर देने के लिए अवमानना की कार्रवाई होनी चाहिए, नहीं हो रही है यह दुर्भाग्य की स्थिति है.

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अगर नीति सही तरीके से लागू नहीं होती है इसका मतलब है कहीं ना कहीं नियत में खोट है: सदन में सरकार के द्वारा उत्तर सही से नहीं दिए जाने पर नाराजगी जताते हुए सरयू राय ने कहा कि जिस तरह से शराब बिक्री मामले में सरकार द्वारा जवाब दिया जा रहा है उससे साफ लगता है कि अगर नीति सही तरीके से लागू नहीं होती है तो इसका मतलब है कहीं ना कहीं नियत में खोट है. सरकार ने शराब बिक्री को लेकर जो लक्ष्य रखा था उसे घटाकर 2000 करोड़ कर दिया तो मैंने सदन में पूछा कि क्या यह सही है तो मंत्री ने कहा कि जानकारी नहीं है.

अगर आप प्राइवेट से होलोग्राम छपवा लेते हैं तो ये सवाल उठेगा ही. आपने जिस प्लेसमेंट एजेंसी को बहाल कर रखा है उसे देनदारी भुगतान होने पर राजस्व और कम हो जाएगा. मेंबर ऑफ रेवेन्यू बोर्ड की बात यदि विभाग नहीं मानेगा तो यह सरासर गलती है. शराब के मामले में सरकार बोर्ड ऑफ रेवेन्यू की अनदेखी कर जानबूझकर यह स्थिति पैदा की जा रही है कि अराजकता की स्थिति पैदा हो सके. इसमें किसको कितना नफा-नुकसान हो रहा है इसका आंकड़ा अभी नहीं है मगर जब बात सही से सदन में नहीं आ रहा है तो इसका मतलब है कहीं ना कहीं अनियमितता है, घपला है, घोटाला है.

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