झारखंड

jharkhand

कुर्मी समाज की अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग, 20 सितंबर से रेल टेका आंदोलन की शुरुआत

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 18, 2023, 10:40 PM IST

कुर्मी समाज अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल होने की मांग को लेकर 20 सितंबर से रेल टेका आंदोलन करेगा. 20 सितंबर से अनिश्चितकाल तक यह आंदोलन जारी रहेगा. यह आंदोलन झारखंड के साथ ही पश्चिम बंगाल और ओडिशा में भी होगा.

Kurmi community Rail Teka movement
कुर्मी समाज की प्रेस वार्ता

कुर्मी समाज की प्रेस वार्ता

रांची:झारखंड में कुर्मी समाज अपने आप को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है. इसी के मद्देनजर राजधानी रांची में सोमवार को कुर्मी समाज के लोगों ने प्रेस वार्ता का आयोजन किया. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद 13 में से 12 जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया, लेकिन कुर्मी समाज को छोड़ दिया गया. इसके विरोध में और अपनी मांगों को लेकर कुर्मी समाज 20 सितंबर से अनिश्चितकालीन रेल टेका आंदोलन शुरू करेगा.

यह भी पढ़ें:आंदोलनरत हैं टोटेमिक कुड़मी जनजाति के लोग, 20 सितंबर को रेल चक्का जाम का किया ऐलान

कुर्मी विकास मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष शीतल ओहदार ने कहा कि कुर्मी/महतो जनजाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करें और कुरमाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए. तभी झारखंड और देश के महतो समाज को उचित हक मिल पाएगा. शीतल ओहदार ने बताया कि कुर्मी समाज अपनी मांगों को लेकर आगामी 20 सितंबर से झारखंड राज्य के मुरी रेलवे स्टेशन, गोमो स्टेशन, नीमडीह रेलवे स्टेशन और घाघरा रेलवे स्टेशन तथा पश्चिम बंगाल राज्य में खेमासूली रेलवे स्टेशन, कुस्तोर रेलवे स्टेशन और ओडिशा राज्य में हरिशचंद्रपुर रेलवे स्टेशन, जराइकेला रेलवे स्टेशन, धनपुर रेलवे स्टेशन पर संयुक्त रूप से अनिश्चितकालीन रेल टेका आंदोलन की शुरुआत करेगा.

1950 में कुर्मी समाज को किया गया अनुसूचित जनजाति से बाहर:उन्होंने बताया कि वर्ष 1931 तक कुर्मी समाज अनुसूचित जनजाति में शामिल था, लेकिन वर्ष 1950 में कुर्मी समाज को अनुसूचित जनजाति से बाहर कर दिया गया. जिसके बाद तत्कालीन सांसद हृदयनाथ कुंजरु ने मांग की थी कि कुर्मी समाज को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाए. जिस पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आश्वासन दिया था कि यह सरकारी भूल है, जिसे जल्द ही सुधार लिया जाएगा. लेकिन कई दशक बीत जाने के बावजूद भी अब तक कुर्मी समाज को अनुसूचित जनजाति में शामिल नहीं किया गया है.

उन्होंने कहा कि जब देश में कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी तो भारतीय जनता पार्टी की तरफ से अर्जुन मुंडा ने यह अनुशंसा की थी कि कुर्मी समाज को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाए. केंद्र का हवाला देते हुए अर्जुन मुंडा ने उस वक्त कांग्रेस पर पलड़ा झाड़ दिया था. लेकिन जब वह खुद आज केंद्र में मंत्री हैं और सरकार भी उनकी है तो वह क्यों नहीं कुर्मी समाज को आदिवासी या अनुसूचित जनजाति में शामिल कर रहे हैं.

किस आधार पर मांगी जा रही TRI की रिपोर्ट:वहीं कुर्मी विकास मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य हरिमोहन महतो ने कहा कि आज जब हम कुर्मी समाज को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग करते हैं तो हमसे ट्राई (TRI) की रिपोर्ट मांगी जाती है. जबकि वर्ष 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने इसकी अनुशंसा पहले ही कर दी है तो फिर TRI की रिपोर्ट किस आधार पर मांगी जा रही है. कुर्मी समाज के नेताओं ने एक स्वर में कहा कि यदि भारत सरकार देश के कुर्मी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल नहीं करती है तो आने वाले दिनों में कुर्मी समाज लगातार उग्र आंदोलन करता रहेगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details