झारखंड

jharkhand

झारखंड में सूखे की आहट से किसानों के माथे पर खिंची चिंता की लकीर, केंद्र सरकार से अब तक नहीं मिले 9600 करोड़ रुपए

By

Published : Jul 22, 2023, 7:10 PM IST

Updated : Jul 22, 2023, 7:40 PM IST

झारखंड के किसानों ने जहां 2020 और 2021 में सरप्लस अनाज पैदा किया था. वही किसान 2022 के बाद लगातार दूसरे साल सूखे जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं. इससे उनके चेहरे पर शिकन देखी जा रही है.

Jharkhand producing surplus grain
Jharkhand producing surplus grain

रांची: जिस झारखंड की पहचान खनिज संपदा के लिए देश दुनिया में है. वहां के मेहनतकश अन्नदाताओं पर एक बार फिर सूखे का संकट मंडरा रहा है. ये झारखंड के वही किसान हैं जिन्होंने 2020-21 और 2021-22 में कठिन परिश्रम के बल पर अन्न के मामले में झारखंड को आत्मनिर्भर बना दिया था. तब राज्य में रिकार्ड तोड़ क्रमश 72.57 लाख टन और 74 लाख टन अनाज का उत्पादन हुआ था.

राज्य को अन्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की मुख्य वजहों में किसान की मेहनत के साथ-साथ अच्छी वर्षा का भी योगदान था. लेकिन पिछले वर्ष राज्य के 22 जिलों के 226 प्रखंडों में सुखाड़ की वजह से धान और अन्य अनाजों की उपज धड़ाम से नीचे गिर गयी. राज्य में वर्ष 2022-23 महज 37 लाख टन अनाज का उत्पादन हुआ जिसमें धान की हिस्सेदारी 30 लाख टन थी.

ये भी पढ़ें:Lack of Rain in Latehar: जिले में सुखाड़ की आशंका, बारिश ना होने से किसानों के चेहरे पड़े पीले

2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की आबादी करीब 3.29 करोड़ है. ऐसे में इस बड़ी आबादी को मानक के अनुसार हर दिन भोजन के लिए प्रति व्यक्ति 480 ग्राम अनाज चाहिए. इस हिसाब से आकलन करें तो 3.29 करोड़ की आबादी के लिए लगभग 57.6 लाख टन अनाज चाहिए. हैरत की बात यह है कि अपेक्षाकृत कम उपजाऊ जमीन और सिंचाई की मुकम्मल व्यवस्था नहीं होने के बावजूद राज्य के किसानों ने वर्ष 2021-22 में लगभग 74 लाख टन अनाज का रिकॉर्ड सरप्लस उत्पादन किया. जिसमें अकेले धान इन उत्पादन 51 लाख टन के करीब था.

सुखाड़ की वजह से 2022-23 में बदल गया परिदृश्य:2021-22 में अनाज का रिकॉर्ड उत्पादन करने वाला झारखंड राज्य में पिछले वर्ष (2022) में पड़े 226 प्रखंडों में सुखाड़ ने कृषि परिदृश्य को ही उलट दिया. राज्य में अनाज का कुल उत्पादन 74 लाख टन से घटकर 37 लाख टन के करीब रह गया. वहीं, धान की उपज भी 30 लाख टन कम हुई. 2021-22 में जहां राज्य में 51 लाख टन के करीब धान की उपज हुई थी, वह घटकर 2022-23 में 21 लाख टन रह गई.

राज्य के 22 जिलों के 226 प्रखंडों में सुखाड़ ने राज्य में कृषि की कमर तोड़ दी:2022 में झारखंड के 24 में से 22 जिलों के 226 प्रखंड भयंकर रूप से सुखाड़ की चपेट में था. इस वजह से राज्य में खेती-बाड़ी को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा. मानसून की बेहद कम वर्षा ने न सिर्फ किसानों की आर्थिक रूप से तबाह कर दिया बल्कि राज्य में कृषि की भी कमर टूट गई. चिंता की बात यह है कि लगातार दूसरे वर्ष भी 2022 वाली हालात झारखंड में बनती दिख रही है. अभी तक राज्य में सामान्य से 46 % कम वर्षा हुई है. 21 जिलों में बारिश की स्थिति ठीक नहीं है तो अभी तक महज 11.2% ही धान का आच्छादन हो सका है. अगर सभी खरीफ फसल को मिला दें तब भी आच्छादन सिर्फ 14.7% प्रतिशत हुआ है.

सुखाड़ राहत के नाम पर दिया था प्रति किसान 3500 की राहत:पिछले वर्ष झारखंड के 22 जिलों के 226 प्रखंड में सुखाड़ घोषित किया गया था और सरकार ने यहां के 32 लाख किसान को 35 सौ रुपए प्रति किसान, सुखाड़ राहत के नाम पर दिया था. किसानों के लिए यह राशि ऊंट के मुंह मे जीरा के समान ही था. अब लगातार दूसरे वर्ष मानसून के धोखे से परेशान अन्नदाता सहमे हुए हैं कि इस बार भी अगर फसल नहीं हुई तब क्या होगा.

केंद्र से अभी तक नहीं मिली है सुखाड़ राहत की 9600 करोड़ की राशि:2022 के सूखे से निपटने के लिए झारखंड की सरकार ने सभी 226 प्रखंडों की स्थिति की विस्तृत रिपोर्ट केंद्र की सरकार को भेजी थी. इस आधार पर केंद्र की टीम स्थिति का आकलन करने झारखंड भी आई थी. तब किसानों को उम्मीद जगी थी कि जल्द ही केंद्र सरकार की ओर से उन्हें सूखा राहत की राशि मिल जाएगी और वाह अपने नुकसान का कुछ हद तक भरपाई कर पाएंगे. राज्य के आपदा प्रबंधन मंत्री बन्ना गुप्ता ने बताया कि सुखाड़ राहत का 9600 करोड़ रुपया केंद्र सरकार को देना है. आपदा मंत्री के रूप में कई बार अलग अलग मंचों से केंद्र से किसान हित में उक्त राशि मांगी गई है. लेकिन अभी तक यह राज्य को नहीं मिली है.

Last Updated : Jul 22, 2023, 7:40 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details