झारखंड

jharkhand

झारखंड की सियासत संथाल शिफ्ट! हेमंत और बाबूलाल कर रहे हैं कैप

By

Published : Sep 21, 2022, 6:57 PM IST

Etv Bharat
Etv Bharat

1932 खितायन आधारित स्थानीय नीति को लेकर कोलहान में विरोध हो रहा है. लेकिन उस विरोध पर झारखंड के राजनीतिक दलों का ध्यान कम है, क्योंकि बीजेपी और जेएमएम दोनों का पूरा फोकस संथाल पर है (Jharkhand politics regarding Santhal).

रांची: पिछले कुछ महीनों से झारखंड की सियासत संथाल शिफ्ट (Jharkhand politics regarding Santhal) हुई नजर आ रही है. राज्य के दो बड़े दल जेएमएम और बीजेपी दोनों ने यहां अपना फोकस कर रखा है. स्थानीय नीति की घोषणा के बाद तो बाबूलाल मरांडी ने वहां डेरा डाल रखा है. वहीं पिछले दो दिनों से हेमंत सोरेन भी वहीं है. दोनों नेता अपने-अपने तरीके से जनता से मिल रहे हैं और उनका नब्ज टटोल रहे हैं.

ये भी पढ़ें-मिशन झारखंड पर लक्ष्मीकांत वाजपेयी, देवघर में कार्यकर्ताओं से मिलकर टटोला नब्ज

1932 वाले खतियान को स्थानीयता का आधार बनाकर हेमंत सोरेन ने झारखंड की सियासत में एक नए राजनीतिक परिसीमन को लाकर खड़ा कर दिया है. 1932 वाले खतियान आधारित स्थानीय नीति झारखंड की राजनीति में राजनीतिक दलों के बीच हलचल मचा रखी है. वहीं 1932 के आधार पर तय की गई स्थानीयता की राजनीति से होने वाले राजनीतिक फायदे और नुकसान का गुणा गणित का समीकरण भी सभी राजनीतिक दलों ने बैठाना शुरू कर दिया है. पिछले 15 दिनों में ताबड़तोड़ फैसले लिए गए हैं. उससे हेमंत के विरोधी राजनीतिक दलों के माथे पर बल ला दिया है और यही वजह है यह सभी राजनीतिक दल अपनी नई रणनीति बैठाने में जुट गए हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

झारखंड मुक्ति मोर्चा 1932 आधारित स्थानीय नीति पर जो राजनीति में एक बड़ा मुद्दा रहा है उसे लेकर जमीनी पकड़ को मजबूत करने के लिए उतर गई है. हेमंत सोरेन पिछले 2 दिनों से घेरा डालो डेरा डालो वाली राजनीति के तहत संथाल में कैंप किए हुए हैं, जबकि बाबूलाल मरांडी को बीजेपी ने संथाल परगना की जिम्मेदारी दे दी है. आदिवासी वोट बैंक पर पकड़ की जो सियासत झारखंड में शुरू हुई है उसे अपना मूल आधर बनाना चाहते हैं जबकि बीजेपी भी आदिवासी वोट बैंक को पकड़ने में जुटी हुई है.

ये भी पढ़ें-सीएम हेमंत सोरेन ने स्कूल में लगाया दरबार, जनसभा में कहा- सुखाड़ से निपटने के कर रहे प्रयास

झारखंड में बीजेपी ने भी अपना कैंपेन लॉन्च कर दिया है और झारखंड के प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी का कई दिनों का कार्यक्रम भी झारखंड में लगा दिया गया है. देवघर से वाजपेयी जी ने शुरुआत कर दी है. अब देखना है कि संथाल वाली सियासत कोल्हान का विरोध नेताओं की भाषा बोली का सहारा झारखंड के 1932 आधारित खतियान की सियासत को किस तरीके से रंग देती है और जमीन तैयार करके बोई जा रही सियासी फसल तैयार होने पर राजनीतिक दलों को किस रूप में मिलती है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details