झारखंड

jharkhand

हाई कोर्ट की टिप्पणी, रिम्स निदेशक से नहीं संभल रही व्यवस्था तो क्यों ना आईएएस को बना दें डायरेक्टर

By

Published : Nov 29, 2022, 2:01 PM IST

Updated : Nov 29, 2022, 2:12 PM IST

रिम्स की लचर व्यवस्था पर झारखंड हाई कोर्ट ने गंभीर टिप्पणी की है. कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि अगर रिम्स के निदेशक से व्यवस्था नहीं संभल रही है तो ऐसे निदेशक की क्या जरूरत. क्यों ना इस पद पर एक आईएएस को नियुक्त कर दिया जाए

Jharkhand High Court comment on rims
Jharkhand High Court comment on rims

रांचीः झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स की लचर व्यवस्था को ठीक करने के मामले में दायर याचिका पर मंगलवार 29 नवंबर को झारखंड हाई कोर्ट सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में गंभीर टिप्पणी करते हुए मौखिक रूप से कहा कि रिम्स की व्यवस्था दिनों दिन खराब ही होते जा रही है. अगर रिम्स को निदेशक नहीं संभाल सकते हैं उसमें सुधार नहीं ला सकते हैं तो क्यों नहीं रिम्स निदेशक किसी आईएएस को बना दिया जाए.

ये भी पढ़ेंः रिम्स की लचर व्यवस्था पर झारखंड हाई कोर्ट की गंभीर टिप्पणी, कहा सभी व्यवस्था ध्वस्त

बता दें कि सुनवाई के दौरान झारखंड हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में झारखंड सरकार के स्वास्थ्य सचिव अरुण कुमार सिंह कोर्ट में सशरीर उपस्थित हुए. झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने मौखिक रूप से कई गंभीर टिप्पणी की. उन्होंने मौखिक रूप से कहा कि रिम्स की व्यवस्था में कोई सुधार नहीं आ रहा है. हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. उन्होंने राज्य सरकार के सचिव को सलाह देते हुए पूछा कि अगर रिम्स के निदेशक से यह व्यवस्था नहीं संभल रही है तो ऐसे निदेशक की क्या आवश्यकता है. इन्हें पद छोड़ देना चाहिए. रिम्स की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए क्यों ना सरकार इस पद को किसी आईएएस को दे दे. ताकि रिम्स में सुधार आए.

जानकारी देते अधिवक्ता

अदालत ने स्वास्थ्य सचिव से यह भी जानना चाहा कि रिम्स में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी की नियमित नियुक्ति क्यों नहीं शुरू की गई है. क्या सरकार आउटसोर्सिंग से नियुक्ति पर विचार कर रही है. बता दें कि रिम्स की लचर व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर झारखंड हाई कोर्ट ने स्वत संज्ञान लेते हुए उसे जनहित याचिका में बदलकर मामले की सुनवाई करने का आदेश दिया था. उसी याचिका एवं उससे जुड़े अन्य कई याचिकाओं पर सुनवाई हुई.

Last Updated : Nov 29, 2022, 2:12 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details