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कंपनियों को जमीन देने वाले रैयतों को बड़ी राहत देने की तैयारी, अधिग्रहण के नियम में होगा बदलाव!

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Published : Mar 24, 2022, 10:53 PM IST

झारखंड में सरकार कंपनियों को जमीन देने वाले रैयतों को बड़ी राहत देने की तैयारी कर रही है. बृहस्पितवार को झारखंड बजट सत्र की कार्यवाही के दौरान विधायक प्रदीप यादव के सवाल पर मंत्री जोबा मांझी के जवाब से ये बातें साफ हो गई है.

issue of land acquisition during the proceedings of Jharkhand budget session
issue of land acquisition during the proceedings of Jharkhand budget session

रांची: झारखंड में विस्थापन एक बड़ी समस्या है. खनिज संपन्न राज्य होने के कारण आए दिन जमीन का अधिग्रहण होने से लोग विस्थापित होते रहते हैं. इस दौरान जमीन अधिग्रहण की खामियां विस्थापन के घाव पर नमक का काम करती हैं. लेकिन आज इस मसले पर झारखंड विधानसभा में सरकार के जवाब से रैयतों के राहत का दरवाजा खुलता दिख रहा है. सदन में प्रभारी मंत्री जोबा मांझी ने कहा कि रैयत से जमीन का अधिग्रहण होने के 5 साल के बाद भी अगर उस पर कोई काम नहीं होता है तो उसे लैंड बैंक में लेने के बजाय रैयतों को दे दिया जाएगा.

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दरअसल, प्रदीप यादव ने केंद्र सरकार के भूमि अधिग्रहण कानून 2013 और उसके आलोक में साल 2015 में राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नियमावली में विसंगति के कारण रैयतों को हो रहे नुकसान का मामला सदन में उठाया था. उन्होंने पतरातू में जिंदल, गोड्डा में अदानी पावर और रांची के हेतू में एयरपोर्ट अथॉरिटी के लिए अधिग्रहित जमीन का मामला उठाया. उन्होंने कानून का हवाला देते हुए कहा कि अधिग्रहण के 5 वर्षों तक संबंधित जमीन का इस्तेमाल नहीं होने पर रैयतों को लौटाने के बजाय लैंड बैंक का हिस्सा बनाया जा रहा है, जो गलत है.

उन्होंने कहा कि कानून में स्पष्ट प्रावधान है कि अगर संबंधित टाइम पीरियड में उक्त जमीन प्रति रह जाती है और बाद में उसे रैयत को लौटाया जाता है तो संबंधित समय की क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान है. लेकिन झारखंड में ऐसा नहीं हो रहा है. प्रदीप यादव ने कहा कि इसकी वजह से यहां के रैयत दोहरी मार झेल रहे हैं. इस पर प्रभारी मंत्री जोबा मांझी ने कहा कि वह संबंधित जिलों के डीसी से एसेसमेंट रिपोर्ट मंगवाकर आगे की कार्रवाई की जाएगी. हालांकि इस मसले पर आज सुविधा यक लंबोदर महतो ने कहा कि यह बेहद ही पेचीदा मामला है. इसके लिए सबसे पहले झारखंड सरकार को विस्थापन आयोग का गठन करना होगा. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ जिंदल, अडानी और एयरपोर्ट अथॉरिटी से जुड़ा मामला नहीं है. हालांकि सरकार के सकारात्मक जवाब से रूप यतों के हित में उम्मीद की एक नई किरण जरूर दिख रही है.

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