रांची:राजधानी रिम्स के ब्लड बैंक को और भी बेहतर बनाने की पहल प्रबंधन की ओर से की जा रही है. अब मरीजों को उनके वार्ड तक ब्लड पहुंचाया जाएगा. वर्तमान में मरीज के परिजनों को ब्लड लेने के लिए बैंक में लाइन लगाना पड़ता है. इस वजह से कई बार तीन-चार घंटों में भी मरीज के लिए खून मुहैया नहीं हो पाता था. इसी को देखते हुए रिम्स के उपाधीक्षक डॉ संजय कुमार की पहल पर अब मरीजों के लिए वार्ड टू वार्ड ब्लड पहुंचाने की व्यवस्था लागू की जा रही है.
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तीन कर्मचारियों को प्रबंधन ने किया तैनात
ब्लड बैंक में तीन कर्मचारियों को ब्लड सप्लाई के लिए तैनात किया गया है, जो जरूरत के हिसाब से मरीज के परिजनों और डॉक्टरों से सामंजस बनाकर वार्ड तक ब्लड पहुंचाने का काम करेंगे. नई व्यवस्था के तहत परिजनों को जैसे ही रिक्यूजिशन ब्लड बैंक में दिया जाएगा उसी के साथ तैनात किए गए कर्मचारियों का काम होगा. उसके बाद कर्मचारियों की ओर से खून को संबंधित विभाग या वार्ड में मरीज तक पहुंचा दिया जाएगा.
मात्र एक घंटे में मरीज के बेड तक पहुंच पाएगा
ब्लड रिक्यूजिशन के ब्लड बैंक में आने के एक घंटे के अंदर मरीजों तक ब्लड पहुंचाया जाएगा. रिम्स में ड्रेसर के रूप में कार्यरत कैस आलम, मुकेश कुमार और दिलीप कुमार को बेड टू बेड डिलीवरी के लिए तैनात किया गया है.
भविष्य में इस व्यवस्था का होगा विस्तार
रिम्स के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ डीके सिन्हा ने बताया कि इस व्यवस्था का फिलहाल ऑब्जर्वेशन किया जा रहा है, जिसमें यह देखा जाएगा कि इस नई व्यवस्था से मरीजों को कितना फायदा मिलता है, अगर सुचारू रूप से यह व्यवस्था संचालित हो जाती है तो आने वाले समय में इसे वृहद रूप से चालू किया जाएगा.
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पूर्व निदेशक डॉ डीके सिंह ने बनाई थी यह योजना
इस योजना को डेढ़ साल पहले रिम्स के पूर्व निदेशक डॉ डीके सिंह और एडिशनल डायरेक्टर मृत्युंजय वर्णवाल ने बनाई थी ताकि रिम्स के ब्लड बैंक में आने वाले गरीब मरीजों को जरूरत के हिसाब से समय पर ब्लड मिल सके.
दलालों की सक्रियता और परिजनों की परेशानी होगी कम
ब्लड के लिए मरीज के परिजनों को सुबह से शाम तक ब्लड बैंक में लाइन लगाकर खड़े रहना पड़ता था. इस दौरान उन्हें कई परेशानियों से भी गुजरना पड़ता है. कई बार रिक्यूजिशन जमा करने के बाद ब्लड बैंक से ब्लड नहीं दिया जाता है. वहीं कई बार सुबह से लाइन में लगे मरीजों को रात तक ब्लड नहीं मिल पाता है. इस दौरान वे काफी परेशान होते थे. इसके साथ ही कई बार दलालों के चक्कर लगाने पड़ते हैं. इन्हीं परेशानियों को दूर करने और दलालों की सक्रियता को कम करने के लिए इस पहल पर काम किया जा रहा है.