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स्वास्थ्य व्यवस्था बदहालः मरीज को पांच मिनट का समय भी नहीं दे पाते सरकारी डॉक्टर्स, जानिए क्या है वजह?

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Published : Jul 19, 2022, 10:36 AM IST

झारखंड में सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर्स को मरीजों की नब्ज समझने की फुर्सत नहीं है. मर्ज दिखाने आए लोगों को पांच मिनट तक का वक्त ये चिकित्सक नहीं दे पाते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को छोड़िए, इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैण्डर्ड के मानक (IPHS) के अनुसार भी झारखंड में डॉक्टर्स उपलब्ध नहीं है. पूरी खबर पढ़िए इस खास रिपोर्ट में.

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रांचीः झारखंड देश के उन राज्यों में से एक है जहां मरीजों के अनुपात में डॉक्टर की संख्या बेहद कम है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति 1000 की आबादी पर 01 डॉक्टर होने चाहिए जबकि IPHS के अनुसार 10 हजार की आबादी पर एक डॉक्टर जरूर होने चाहिए. लेकिन झारखंड में हालात बेहद विकट है. राज्य में करीब 19 हजार की आबादी पर 01 डॉक्टर है. यह संख्या भी तब है जब सरकारी अस्पतालों में सेवा दे रहे सभी डॉक्टर्स को यह मान लिया गया है कि वह मरीजों का इलाज भी करते हैं जबकि 24 जिलों और स्वास्थ्य निदेशालय में बड़ी संख्या में चिकित्सक वैसे पदों पर बैठे हैं जो प्रशासनिक पद है.

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आलम ऐसा है कि राज्य में सरकारी डॉक्टरों के सृजित पद का एक तिहाई पद खाली है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक (WHO) की बात छोड़िए झारखंड में इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैण्डर्ड के मानक (IPHS) के अनुसार भी रोगियों के हिसाब से झारखंड में सरकारी डॉक्टर्स नहीं हैं. राज्य में सरकारी डॉक्टरों के सृजित पद पहले से ही जनसंख्या के अनुपात में कम हैं. उस पर भी सृजित पदों का एक तिहाई पद खाली होना स्वास्थ्य सेवा की बदहाली की ओर ही इशारा करता है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट


राज्य में मेडिकल अफसर के 2099 पद, डेंटल चिकित्सक के 190 और विशेषज्ञ डॉक्टरों के 1012 पद यानि कुल मिलाकर 3301 पद सृजित हैं. जिसमें से मेडिकल अफसर के 234 पद, डेंटल चिकित्सक के 61 पद और विशेषज्ञ डॉक्टरों के 878 पद खाली पड़े हैं. इसका असर यह पड़ रहा है कि सरकारी अस्पतालों के ओपीडी में मरीजों की कतारें लंबी होती जा रही है और डॉक्टर हर मरीज पर समय नहीं दे पा रहे हैं.


IPHS के मानक के अनुसार एक मरीज पर डॉक्टर को कम से कम पांच मिनट का समय देना चाहिए ताकि वह मरीज का बेहतर तरीके से रोग और उसकी पहचान कर इलाज कर सकें. लेकिन एक एक डॉक्टर्स को 150-200 मरीज को ओपीडी में देखना पड़ रहा है नतीजा यह कि चिकित्सक ज्यादातर मामलों में सिर्फ मरीज से मर्ज पूछकर ही दवा लिख रहे हैं.


सरकार अनजान नहींः झारखंड में डॉक्टर्स की कमी और उसके चलते सरकारी असपतालों में इलाज कराने आने वाले मरीजों की गुणवत्तापूर्ण जांच में कोताही से सरकार या स्वास्थ्य महकमा अंजान है, ऐसा बिल्कुल नहीं है. विधानसभा के बजट सत्र के दौरान ही झारखंड की महालेखाकार ने एक पूरी रिपोर्ट सरकार को दी है. जिसमें यह जानकारी दी गयी है कि कैसे डॉक्टर्स की कमी की वजह से ओवर लोडेड डॉक्टर्स ओपीडी में नॉर्म के अनुसार समय मरीजों को नहीं दे पा रहे हैं और इससे इलाज की क्वालिटी प्रभावित होती है. हैरत की बात यह है कि अभी तक राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सिर्फ दावे किए जाते हैं पर कोई व्यवस्था की जाए ऐसा प्रयास भी नहीं दिख नहीं रहा है.


जानिए क्या कहते हैं आंकड़ेः 2022 में राज्य की अनुमानित आबादी 04 करोड़ के करीब है. IPHS के अनुसार 10 हजार की आबादी पर 01 डॉक्टर चाहिए, वैसे ही WHO के अनुसार 01 हजार की आबादी पर होने 01 डॉक्टर चाहिए. IPHS के अनुसार ही राज्य को 4000 डॉक्टर चाहिए लेकिन अभी सिर्फ 2128 डॉक्टरों के भरोसे राज्य की 4 करोड़ की आबादी है. 18844 लोगों पर 01 डॉक्टर ही उपलब्ध है. राज्य में सरकारी डॉक्टरों के सृजित 3301 पदों में से 1173 पद खाली हैं.

क्या कहते हैं आंकड़े

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2022 की अनुमानित जनसंख्या करीब 04 करोड़ है. ऐसे में झारखंड में IPHS मानक के अनुसार ही 4 हजार से अधिक डॉक्टर की जरूरत है जबकि अभी 2128 सरकारी डॉक्टर ही उपलब्ध है यानि 18844 लोगों पर एक डॉक्टर. ऐसे में मेडिसीन, स्त्री एवं प्रसूति रोग, शिशु रोग जैसे ओपीडी में तो डॉक्टर्स अपने अनुभव पर ही फटाफट मरीज को देखकर दवा की सलाह दे देते हैं. रांची सदर अस्पताल में मेडिसीन के डॉक्टर बीएन पोद्दार कहते हैं कि उनकी कोशिश होती है कि सभी मरीजों को अच्छे से देखें लेकिन दवाब तो रहता ही है.


सरकारी डॉक्टर्स के संगठन झारखण्ड स्टेट हेल्थ सर्विसेस एसोसिएशन (झासा) के महासचिव डॉ. बिमलेश सिंह मानते हैं कि राज्य में स्वास्थ्य सेवा को दुरुस्त करने में सबसे अहम रोल निभाने वाले डॉक्टर्स की घोर कमी है और एक एक डॉक्टर्स मरीजों के बोझ से दबा है. उन्होंने कहा कि एक ओर राज्य में जनसंख्या बढ़ी है तो दूसरी ओर सृजित पद भी खाली पड़े हैं. ऐसे में स्वास्थ्य व्यवस्था कैसी होगी इसका अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है.

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