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झारखंड में हाथियों की लगातार हो रही मौत पर हाई कोर्ट सख्त, वन सचिव और पीसीसीएफ तलब

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Published : Dec 11, 2021, 12:17 PM IST

झारखंड में लगातार हाथियों की मौत हो रही है. इस पर झारखंड हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका दायर की है, जिसपर सुनवाई की गई. अदालत ने वन सचिव और पीसीसीएफ को अगली सुनवाई के दौरान उपस्थित होने का आदेश दिया है.

Jharkhand High Court
लगातार हाथियों की हो रही मौत पर झारखंड हाई कोर्ट सख्त

रांचीः राज्य में लगातार हो रही हाथियों की मौत मामले में दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान वन सचिव और प्रधान मुख्य वन संरक्षक के अदालत में उपस्थित नहीं होने पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की है. अदालत ने वन सचिव और पीसीसीएफ को अगली सुनवाई के दौरान हाजिर होने का सख्त आदेश दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी.

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झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में जनहित याचिका की सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से उपस्थित अधिवक्ता ने अदालत को जानकारी देते हुए कहा कि शपथ पत्र दायर कर दी गयी है. इसपर अदालत ने जानना चाहा कि राज्य सरकार के वन सचिव और प्रधान मुख्य वन संरक्षक को जब अदालत में हाजिर रहने का आदेश दिया गया था तो वह सुनवाई के दौरान क्यों नहीं उपस्थित हुए.

जानकारी देते अधिवक्ता

अदालत के सवाल का जबाव देते हुए अधिवक्ता ने कहा कि वह समझ नहीं पाए होंगे. अदालत में हाजिर होने से किसी भी प्रकार की छूट नहीं दी गई थी तो कैसे लगा हाजिर नहीं होना है. अदालत की सख्त तेवर को देख अधिवक्ता ने क्षमा मांगते हुए समय देते की आग्रह किया.

स्वतः संज्ञान लेकर दर्ज किया पीआईएल

लातेहार में 30 अगस्त और 9 सितंबर को दो हाथियों की मौत हो गई थी. लातेहार के बालूमाथ थाना क्षेत्र के गणेशपुर इलाके में हाड़ी जंगल में 9 सितंबर को हाथी के एक बच्चे का शव मिला था. इसकी खबर प्रकाशित होने के बाद अदालत ने स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका दायर की. इस याचिका पर पहले भी सुनवाई हुई है. इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से बताने के लिए कहा था कि क्या कोई बीमारी फैल रही है या फिर नियमित पेट्रोलिंग नहीं हो रही है? अगर ऐसा है तो यह बहुत गंभीर मामला है. लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस जवाब नहीं मिलने पर अदालत ने अधिकारियों को हाजिर होने का निर्देश देते हुए सुनवाई 17 दिसंबर को निर्धारित की है.

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