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ड्यूटी के बाद सरकारी डॉक्टर कर सकेंगे प्रैक्टिस, प्राइवेट प्रैक्टिस पर लगी रोक हटी

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Published : Aug 21, 2022, 11:43 AM IST

स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने नेपाल हाउस में डॉक्टर्स संग बैठक की. इसमें कई अहम फैसले लिए गए. बैठक में सरकारी डॉक्टर्स के प्राइवेट प्रैक्टिस पर लगी रोक हटा ली गई तो डॉक्टर्स ने हड़ताल वापस ले ली. हालांकि Health Minister Banna Gupta ने सरकारी अस्पतालों में निर्धारित ड्यूटी पूरी करने की हिदायत दी.

meeting with doctors at Nepal House
नेपाल हाउस में डॉक्टर्स संग बैठक

रांची: स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने नेपाल हाउस में विकास आयुक्त कार्यालय सभागार में स्वास्थ्य सचिव अरुण कुमार सिंह के साथ डॉक्टर्स और आईएमए के पदाधिकारियों के साथ बैठक की. चर्चा के बाद सरकारी चिकित्सकों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर लगी रोक हटाने पर सहमति बन गई. Health Minister Banna Gupta के भरोसे पर डॉक्टर्स ने 25 अगस्त से प्रस्तावित हड़ताल कैंसिल कर दी है. आईएमए झारखंड के पदाधिकारियों, झासा एवं अन्य चिकित्सक संगठनों के पदाधिकारियों संग स्वास्थ्य मंत्री की बैठक में निर्णय लिया गया कि निर्धारित ड्यूटी करने के बाद सरकारी चिकित्सक प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकते हैं.

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स्वास्थ्य मंत्री के साथ हुई बैठक के बाद चिकित्सकों ने बताया कि स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के पत्रांक 666 (3) के माध्यम से यह आदेश जारी किया गया था कि गैर शैक्षणिक सरकारी चिकित्सक प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं.

झासा (झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विस एसोसिएशन) से जुड़े डॉ. विमलेश प्रसाद ने बताया कि बैठक में स्वास्थ्य मंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि गैर शैक्षणिक सरकारी चिकित्सकों को भी निर्धारित ड्यूटी के बाद प्राइवेट प्रैक्टिस करने दी जाएगी. स्वास्थ्य मंत्री के इस निर्णय के बाद डॉक्टर्स ने 25 अगस्त से प्रस्तावित हड़ताल को वापस ले लिया है.

चार अस्पताल में ही कर सकेंगे प्रैक्टिसः इधर, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि चिकित्सकों की मांग को मान लिया गया है, उन्हें प्राइवेट प्रैक्टिस करने की अनुमति दी गई है. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि एक चिकित्सक ज्यादा से ज्यादा चार अस्पतालों में काम कर सकते हैं ताकि वह अपना समय सरकारी अस्पताल में भी दे सकें.

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स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सरकारी अस्पताल के चिकित्सक निजी अस्पतालों में रोजाना दो हजार मरीजों को देखते हैं तो वहीं सरकारी अस्पतालों में मात्र 47 मरीजों को देखते हैं जो कि निश्चित रूप से दुर्भाग्यपूर्ण है. इसी को देखते हुए हमने यह निर्णय लिया है कि गैर शैक्षणिक सरकारी चिकित्सकों पर निजी प्रैक्टिस करने पर रोक नहीं लगाई जाएगी लेकिन उन्हें यह हिदायत दी जाएगी कि वह अपना निर्धारित समय सरकारी अस्पताल में जरूर दें.

मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट पर चर्चाः वहीं स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट और क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट को लेकर भी बैठक में चर्चा की. उन्होंने कहा कि एक्ट में मरीजों और चिकित्सकों दोनों का ख्याल रखा जाएगा. इसके अलावा राज्य के विभिन्न चिकित्सक संगठनों के वरिष्ठ सदस्यों से विचार विमर्श करने के बाद इस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से विमर्श के बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा.

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बैठक में स्वास्थ्य मंत्री के अलावा अपर मुख्य स्वास्थ्य सचिव अरुण कुमार सिंह, एनएचएम के अभियान निदेशक डॉ. भुवनेश प्रताप, रिम्स निदेशक डॉ. कामेश्वर प्रसाद, आईएमए के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार सिंह, आईएमए के सचिव डॉ. प्रदीप सिंह, झासा के प्रांतीय सचिव डॉ. विमलेश सिंह, आईएमए के रांची अध्यक्ष डॉक्टर शंभू प्रसाद सिंह, हॉस्पिटल बोर्ड ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. आरएस दास, झासा के राज्य संयोजक डॉ. मृत्युंजय कुमार सिंह, डॉक्टर पीपी शाह, मेडिकल अकादमी के चेयरमैन डॉक्टर अबीर चक्रवर्ती उपस्थित रहे.

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