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20 सूत्री समिति को लेकर सत्तारूढ़ दलों में तकरार, कांग्रेस के अल्टीमेटम पर जगा झामुमो

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Published : Aug 4, 2021, 7:45 PM IST

राज्य में 20 सूत्री कमेटी गठन को लेकर सत्तारूढ़ दलों के अंदर फंसा पेंच सुलझने का नाम नहीं ले रहा है. हालत यह है कि कांग्रेस के 72 घंटे का अल्टीमेटम के बाबजूद भी अब तक कोई फॉर्मूला तय नहीं हो पाया है. ऐसे में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद के बीच अब तक फॉर्मूला तय नहीं होने के कारण तकरार जारी है.

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रांची: राज्य में 20 सूत्री कमेटी गठन को लेकर सत्तारूढ़ दलों के अंदर फंसा पेंच सुलझने का नाम नहीं ले रहा है. हालत यह है कि कांग्रेस के 72 घंटे का अल्टीमेटम के बाबजूद भी अब तक कोई फॉर्मूला तय नहीं हो पाया है. ऐसे में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद के बीच अब तक फॉर्मूला तय नहीं होने के कारण तकरार जारी है.

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कांग्रेस के दबाव के बाद वुधवार को मंत्री चंपाई सोरेन के आवास पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के 20 सूत्री गठन कमिटी की बैठक हुई. बैठक में मंत्री हफीजुल अंसारी, विधायक मथुरा महतो, विधायक सुदीप्तो, विधायक स्टीफन मरांडी, पार्टी महासचिव विनोद पांडे सहित कई उपस्थित थे. करीब एक घंटे तक चली इस बैठक में 20 सूत्री कमेटी गठन को लेकर चर्चा होती रही. बैठक के बाद मंत्री चंपाई सोरेन ने सत्तारूढ़ दलों के अंदर किसी तरह का पेंच फंसने से इनकार करते हुए कहा कि जल्द ही इसकी औपचारिक घोषणा हो जायेगी. उन्होंने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से नामों पर अंतिम मुहर गुरु जी शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगायेंगे.

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इधर अंदरूनी कलह से जूझ रही कांग्रेस 20 सूत्री गठन में हो रही देरी पर नाराजगी जता चूकी है. हालांकि कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने उम्मीद जताया है कि 15 अगस्त से पहले 20 सूत्री निगरानी समिति का गठन हो जायेगा.

सत्तारूढ़ दलों में नहीं है ऑल इज वेल-बीजेपी

20 सूत्री गठन को लेकर हो रही देरी पर बीजेपी ने सत्तारूढ़ दलों पर निशाना साधते हुए कहा है कि सभी अपनी अपनी हिस्सेदारी लेने में जनता को भूल चूके हैं. बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री अमर बाउरी ने सत्तारूढ़ दलों पर हमला बोलते हुए कहा कि ये अवसर है उन्हें धनपति बनने का इसलिए हर कोई अपनी भागीदारी दिखा रहा है तो समन्वय कैसे रहेगा गठबंधन के अंदर. बड़े नेता के बीच भले ही समन्वय हो मगर विधायक और कार्यकर्ताओं में भारी अंतर्विरोध है जो आगे और बढनेवाला है.


फार्मूला बना ही नहीं तो कैसे बनेगा सहमति

सत्तारूढ़ दलों में 20 सूत्री निगरानी समिति में शामिल होने को लेकर मारामारी है. हर दल अधिक से अधिक जगह पाने की कोशिश में हैं. यही वजह है कि अब तक मामला उलझा हुआ है. यही एक व्यवस्था है जिसके जरिए सत्तारूढ़ दल बड़ी संख्या में अपने कार्यकर्ताओं को कमेटी में जगह देकर संतुष्ट करती है. इधर कहा जा रहा है कि 20 सूत्री को लेकर जो फॉर्मूला तैयार हुआ है उससे कांग्रेस और राजद को स्वीकार नहीं है. झारखंड मुक्ति मोर्चा को 13 जिला, कांग्रेस को 08 और राजद को 1 जिला देने की बात है. 02 जिला पर कांग्रेस झामुमो का साझा रुप से रहेगा जो कांग्रेस को स्वीकार्य नहीं है. कांग्रेस 10 जिले की मांग कर रहा है इसके अलावे जिला को लेकर भी सत्तारूढ़ दल में समन्वय अब तक नहीं बन पाया है.

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फॉर्मूला की चर्चा

बहरहाल, राज्य स्तर से लेकर प्रखंड स्तर तक में 20 सूत्री और निगरानी कमेटी में 2626 कार्यकर्ताओं का समावेश होगा इसके अलावे सभी दलों के विधायक अपने अपने क्षेत्र में पदेन सदस्य के रुप में समिति में रहेंगे. कांग्रेस के खाते में जो जिले आ रहे हैं उसमें पलामू, हजारीबाग, रामगढ़ कोडरमा, देवघर, गोड्डा, पाकुड़, लोहरदगा शामिल है. वहीं, राजद खाते में चतरा शामिल है. धनबाद और रांची को लेकर अभी तय होना बाकी है. खूंटी सहित शेष 13 जिले झामुमो के खाते में होने की संभावना है.

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