रांची: दशहरे के बाद दीपावली, भाईदूज, गोवर्धन पूजा, छठ, क्रिसमस और न्यू ईयर तक त्योहारों-उत्सवों की पूरी श्रृंखला है और इस दौरान फूलों की बंपर डिमांड रहेगी. इसे देखते हुए पलामू, गढ़वा, लातेहार, चतरा, खूंटी, हजारीबाग, बोकारो, पूर्वी और पश्चिम सिंहभूम के दर्जनों गांवों में बड़ी संख्या में किसानों ने फूलों की खेती की है.
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हजारीबाग जिले के सदर प्रखंड के खंभाटांड़ की महिला किसान अंजनी तिर्की ने हर साल परती रह जाने वाली जमीन पर गेंदा फूल की खेती शुरू की है. उन्होंने झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसायटी (जेएसएलपीएस) के महिला समूह से 10 हजार रुपए का कर्ज लेकर अफ्रीकन वैरायटी के गेंदे के फूल लगाए हैं. उनके खेतों में लगभग 8,000 पौधे लगे हैं. अभी तक तीन बार फूलों की तुड़ाई हुई है और उनकी खेती की लागत वसूल हो चुकी है. पूरे सीजन में कम से कम दस बार फूलों की तुड़ाई होगी. अनुमान है कि तीस से चालीस हजार रुपए की कमाई होगी.
हजारीबाग जिले के दारू प्रखंड स्थित पेटो निवासी अजय कुमार कोरोना काल में बेरोजगार हो गए थे. वह एक निजी स्कूल में संगीत के शिक्षक थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने लीज पर जमीन लेकर फूलों की खेती शुरू की. उन्होंने इसके लिए नई तकनीक का सहारा लिया और रात में एलईडी बल्ब लगाकर फूलों के पौधों के रोशनी दी. इस तकनीक से पौधे जल्द तैयार हो गए और पूरा खेत फूलों से खिल उठा. अजय चाहते हैं कि भविष्य में बड़े पैमाने पर फूलों की खेती करें. इसके लिए उन्होंने सरकार को पॉली हाउस के लिए आवेदन भी दिया है. अजय ने केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री कुंभ योजना का लाभ लिया है. इससे खेत में महज पांच हजार रुपए में सोलर पैनल लग गया और अब वह लगातार खेती कर सकते हैं.
बोकारो के कसमार प्रखंड के चौरा गांव की लीलू देवी उन महिला किसानों में से एक है, जिसने महज कुछ माह में गेंदा फूल की खेती कर अपने परिवार की जिंदगी बदल दी है. उन्होंने महज कुछ हजार रुपये से गेंदा के फूल की खेती शुरू की थी. चार माह बाद ही उन्होंने एक लाख रुपये से अधिक का मुनाफा अर्जित किया. उन्होंने राज्य सरकार की मदद से उसने गेंदा फूल की खेती का प्रशिक्षण प्राप्त किया. बंगाल से लाकर हाईब्रिड नस्ल के पांच हजार गेंदा के फूल लगाए. झारखंड की राजधानी से 35-40 किलोमीटर दूर खूंटी जिले की पहचान हाल तक नक्सल प्रभावित इलाके के रूप में थी. यहां जंगलों से सटे दर्जनों गांवों में बंदूकें रह-रहकर गरज उठती थीं और पूरी फिजा में फैली बारूदी गंध लोगों को दहशत में डाल देती थी. पर ये गुजरे दौर की बात है.
पिछले आठ-दस वर्षों से ये इलाके फूलों की खुशबू से महक रहे हैं. इस साल पूरे जिले में तीन सौ एकड़ से भी अधिक क्षेत्र में गेंदा फूल की खेती हुई है. खूंटी, मुरहू और अड़की प्रखंड के करीब आठ सौ किसानों के बीच इस साल विभिन्न संस्थाओं और कॉरपोरेट कंपनियों की ओर से गेंदा पूल के 15 लाख पौधों का वितरण किया गया है.