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झारखंड में सुखाड़ की स्थिति पर विचारः सीएम हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में आपदा प्रबंधन प्राधिकार की बैठक

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Published : Oct 29, 2022, 8:57 AM IST

Updated : Oct 29, 2022, 12:41 PM IST

रांची में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में आपदा प्रबंधन प्राधिकार की बैठक शनिवार को होगी. यह मीटिंग मुख्यमंत्री आवास में आयोजित की गयी (CM meeting with Disaster Management in Ranchi) है. इसमें झारखंड में सूखे की स्थिति पर विचार किया जाएगा. ऐसे आसार हैं कि झारखंड को सूखा घोषित करने की अनुशंसा केंद्र सरकार से की जा सकती है या हेमंत सरकार की ओर से किसी प्रकार की राहत की घोषणा की जा सकती है.

CM Hemant Soren meeting with Disaster Management Authority in Ranchi
रांची

रांचीः राजधानी स्थित मुख्यमंत्री आवास में आपदा प्रबंधन प्राधिकार की बैठक की जाएगी. सीएम हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में यह बैठक (CM meeting with Disaster Management in Ranchi) होगी. जिसमें झारखंड में सूखे की स्थिति पर विचार किया जाएगा. सूखे से संबंधित तैयार रिपोर्ट पर बैठक में विचार किया जाएगा. इसके बाद झारखंड को सूखा घोषित करने की केंद्र सरकार से अनुशंसा भी की जा सकती है. इस वर्ष खरीफ फसल के समय झारखंड में बारिश समय पर नहीं हुई थी. इस कारण राज्य के 256 प्रखंडों में सूखे की स्थिति है. इस बैठक में मुख्य सचिव, आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव, कृषि, पेयजल, स्वास्थ्य, जल संसाधन, ग्रामीण विकास विभागों के सचिव शामिल होंगे.

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इस बैठक को लेकर ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि झारखंड के लोगों को एक बड़ी राहत मिल सकती है. सीएम कोई बड़ा एलान कर सकते हैं. राज्‍य में 154 प्रखंड गंभीर रूप से सूखाग्रस्त हैं, 72 प्रखंड आंशिक रूप से सूखाग्रस्त घोषित (drought condition in jharkhand) किए गए हैं. कृषि निदेशालय की ये रिपोर्ट आपदा प्रबंधन प्रभाग को भेजा गया है. कृषि निदेशालय की यह रिपोर्ट शनिवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में प्रस्तावित आपदा प्रबंधन प्राधिकार की बैठक में चर्चा होगी. जिससे सूखाग्रस्त प्रखंडों को लेकर प्राधिकार का अंतिम निर्णय हो सके. इसके बाद प्राधिकार के निर्णय से केंद्र सरकार को अवगत कराया जाएगा, उसके बाद सूखाग्रस्त प्रखंडों के लिए मिलने वाली अनुदान पर विचार किया जाएगा.

झारखंड में सुखाड़ की स्थितिः जानिए कौन-कौन से प्रखंड गंभीर रूप से सूखाग्रस्‍त घोषित हैं. चतरा में 2, देवघर में 10, धनबाद मे 10, दुमका में 10, गढ़वा में 20, गिरिडीह में 13, गोड्डा में 9, गुमला में 2, हजारीबाग में 13, जामताड़ा में 6, खूंटी में 6, कोडरमा में 5, लातेहार में 7, पाकुड़ में 6, पलामू में 21, रांची में 2, साहिबगंज में 9, पश्चिमी सिंहभूम में 3 प्रखंड गंभीर रुप से सूखाग्रस्त हैं.

आंशिक रूप से सूखाग्रस्‍त प्रखंडः वहीं अगर प्रदेश के आंशिक रुप से सूखाग्रस्त इलाकों की बात करें तो इन में 72 प्रखंड शामिल हैं. जिसमें बोकारो में 6, चतरा में 3, गुमला में 9, हजारीबाग में 3, लातेहार में 2, लोहरदगा में 7, रामगढ़ में 5, रांची में 14, सरायकेला-खरसांवा में 8 और पश्चिमी सिंहभूम में 15 प्रखंड आंशिक सूखाग्रस्त हैं.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बीते 12 सितंबर को हुई आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक में कृषि विभाग के अधिकारियों को सुखाड़ की जमीनी हकीकत का आकलन के निर्देश दिए गये थे. जिसके बाद कृषि विभाग द्वारा तैयार रिपोर्ट में राज्य के 22 जिलों के 226 प्रखंडों को सूखा प्रभावित माना गया है. जिसमें पलामू प्रमंडल सबसे ज्यादा सुखाड़ प्रभावित है जबकि पूर्वी सिंहभूम और सिमडेगा सुखाड़ से प्रभावित नहीं है. कृषि विभाग के रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में धान की बुआई 15 अगस्त तक होती है हालांकि 31 जुलाई के बाद होने वाली धान की खेती में उत्पादन प्रभावित होता है. इस वर्ष 31 जुलाई तक राज्य में 18 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई का लक्ष्य था जिसके मुकाबले में सिर्फ 2.84 लाख हेक्टेयर में ही धान की बुआई हुई थी. अगस्त में यह बढ़कर 30 प्रतिशत तक पहुंचा था. यहां बता दें कि पिछले 10 वर्ष के दौरान पहली बार ऐसा देखा गया जब जून और जुलाई में किसी भी दिन 24 घंटे में 65 मिलीलीटर से ज्यादा बारिश नहीं हुई.जिस वजह से खरीफ की फसल इस बार बुरी तरह प्रभावित हुई है.

Last Updated :Oct 29, 2022, 12:41 PM IST

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