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Chief Engineer Virendra Ram Case: वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी से खुली सरकारी व्यवस्था की पोल, प्रशासन में मचा हड़कंप

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Published : Feb 24, 2023, 7:33 PM IST

चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी से सरकारी व्यवस्था की पोल खुल गई है. विधायक सरयू राय ने कहा कि सरकारी महकमें में कई और वीरेंद्र राम हैं, जिनपर कार्रवाई करने की जरूरत है.

Arrest of Chief Engineer Virendra Ram
वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी से खुली सरकारी व्यवस्था की पोल

क्या कहते हैं विधायक सरयू राय और विनोद कुमार

रांचीःग्रामीण विकास विभाग के मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी से शासन-प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है. पूजा सिंघल के बाद दूसरे बड़े रसूखदार अधिकारी भ्रष्टाचार मामले में पकड़ा गया है. इससे फिर झारखंड शर्मसार हुआ है. विधायक सरयू राय ने कहा कि राज्य में कई ऐसे वीरेंद्र राम हैं, जिनपर कार्रवाई करने की आवश्यकता है.

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फिलहाल, चीफ इंजीनियर रिमांड पर है और ईडी उनसे पूछताछ कर रही है. वहीं, ग्रामीण विभाग ने गिरफ्तार चीफ इंजीनियर के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई शुरू कर दी है. ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि जल्द ही इस संबंध में चिठ्ठी निकल जायेगी. गौरतलब है कि ग्रामीण विकास विभाग के मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम के 24 ठिकानों पर 2 दिनों तक इडी की छापेमारी के बाद गुरुवार को भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तारी के बाद वीरेंद्र राम को ईडी ने 5 दिनों के रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है.

ग्रामीण विकास विभाग के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर भ्रष्टाचार को लेकर झारखंड सुर्खियों में है. विधायक सरयू राय ने वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी पर कहा कि राज्य सरकार में कई और भ्रष्ट अधिकारी है, जिन्हें चिन्हित कर सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी की एक सीमा होती है, जो उसके तहत कार्रवाई करती है. लेकिन एसीबी को लगातार भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई करनी चाहिए.

राज्य में एसीबी को जिस तरह से लचर कर दी गई है, उससे लगता है कि राजनीतिक मोलभाव के कारण एसीबी कार्रवाई नहीं कर रही है. कभी जांच पूरी हो जाती है तो कार्रवाई नहीं होती. एसीबी सिर्फ खानापूर्ति को लेकर कार्रवाई करती है. सरयू राय ने कहा कि भ्रष्ट अधिकारियों को खाद पानी कहां से मिलता है. सरकार सजग रहे तो कोई भ्रष्ट नहीं हो सकता है. इन भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से राजनेताओं पर भी आक्षेप लगने लगता है.

माले विधायक विनोद सिंह ने कहा है राज्य में भ्रष्टाचार व्यप्त है. इससे इंकार नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि निविदा फाइनल करने में 6 से 8 महीने लग जाते हैं. इसके पीछे सिर्फ बारगेन पॉलिसी है. टेंडर होने के बाद भी वर्क आर्डर मिलने में देरी होती है. यह भ्रष्टाचार नहीं तो और क्या है. उन्होंने कहा कि लोक सेवक और जनसेवक सभी का 2 वर्षों पर संपत्तियों की जांच होनी चाहिए.

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