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झारखंड में कोरोना ने पंचायतों के विकास में डाला रोड़ा, 15वें वित्त आयोग की सिर्फ 65% राशि हुई खर्च, विभाग में खलबली

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Published : Jan 13, 2022, 9:34 PM IST

झारखंड में कोरोना ने पंचायतों के विकास में रोड़ा डाल दिया है. अब तक झारखंड में 15वें वित्त आयोग की सिर्फ 65 प्रतिशत राशि ही खर्च हो पाई है. पंचायती राज विभाग के निदेशक राजेश्वरी बी ने त्रिस्तरीय पंचायतों को दी गई राशि को शत प्रतिशत खर्च करने का निर्देश दिया है.

15th Finance Commission in Jharkhand
15th Finance Commission in Jharkhand

रांची:भारत में साल 2020 में कोरोना की एंट्री हुई. तब से लेकर अबतक इस वायरस से जंग चल रही है. इस बीच कोरोना का सबसे ज्यादा खामियाजा त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था को उठाना पड़ा है. इसकी वजह से गांवों का विकास प्रभावित हो रहा है.

दरअसल, झारखंड में 15वें वित्त आयोग की तरफ से टाइड और अनटाइड मद में वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 के लिए कुल 2313.500 करोड़ का अनुदान मिला था. लेकिन 10 जनवरी 2022 तक 65.30 प्रतिशत यानी 1510.710 करोड़ राशि ही खर्च हो पाई है. इसका सीधा असर वित्तीय वर्ष 2022-23 के अनुदान पर पड़ सकता है. इसकी वजह से पंचायती राज विभाग में खलबली मची हुई है. पंचायती राज विभाग के निदेशक राजेश्वरी बी (Director of Panchayati Raj Department Rajeshwari B) ने त्रिस्तरीय पंचायतों को दी गई राशि को शत प्रतिशत खर्च करने का निर्देश दिया है. हालांकि शेष बची 35 प्रतिशत राशि को खर्च करने के लिए महज ढाई महीना ही बचा है.

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क्यों नहीं खर्च हो पाई राशि: यह सवाल उठना लाजमी है. साथ ही जवाब भी बेहद सरल है. दरअसल, वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए जिला पंचायत स्तर पर 168.99 करोड़, ब्लॉक पंचायत स्तर पर 253.350 करोड़ और ग्राम पंचायत स्तर पर 1266.750 करोड़ (तीनों मिलाकर कुल 1689.000 करड़) का अनुदान मिला था. लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से लगे लॉक डाउन के कारण पूरी व्यवस्था चरमरा गई थी. इसका नतीजा यह रहा है जिला पंचायत स्तर पर एक पैसा भी खर्च नहीं हो पाया.

ब्लॉक पंचायत स्तर पर महज 9.820 करोड़ और ग्राम पंचायत स्तर पर सिर्फ 303.873 करोड़ ही खर्च हो सका. नतीजा यह यह है कि खर्च के अनुपात में वित्तीय वर्ष 2021-22 में त्रिस्तरीय पंचायत के लिए सिर्फ 624.500 करोड़ रुपए अनुदान में मिले. अच्छी बात यह रही है कि वर्ष 20221-22 में शेष बची राशि को खर्च करने में पूरी तेजी दिखाई गई. इसी का नतीजा है कि ग्राम पंचायत स्तर पर 73 प्रतिशत राशि खर्च हो चुकी है. लेकिन ब्लॉक पंचायत और जिला पंचायत स्तर पर तेजी दिखाने की जरूरत है.

लगातार टल रहा है पंचायत चुनाव:झारखंड में साल 2015 में पंचायत का चुनाव हुआ था. इसका कार्यकाल दिसंबर 2020 में ही समाप्त हो चुका है. कोरोना संक्रमण की वजह से चुनाव टलता जा रहा है. हालांकि 2 जनवरी 2022 को ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने इसी साल मार्च तक पंचायत चुनाव कराने की बात कही थी. लेकिन कोरोना की वजह से उपजे हालात को देखकर तो नहीं लगता कि मार्च तक चुनाव हो पाएगा. फिलहाल झारखंड में तीन स्तर पर कार्यकारी समिति का गठन कर पंचायती राज अधिनियम का काम चलाया जा रहा है.

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