पलामू:डालटनगंज रेलवे स्टेशन (Daltonganj Railway Station) का नाम क्यों बदला जाए? यह सवाल पलामू जिला प्रशासन (Palamu District Administration) से केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने पूछा है. केंद्रीय गृह मंत्रालय का एक पत्र पलामू जिला प्रशासन को मिला है. पत्र के आलोक में जवाब तैयार करने की जिम्मेदारी मेदिनीनगर सदर एसडीएम को दी गई है. पलामू जिला प्रशासन अगले 30 दिनों में इसका जवाब तैयार कर केंद्रीय गृह मंत्रालय में भेज देगी. 1862 ने अंग्रेजों ने कर्नल डालटन के नाम पर इस शहर को बसाया था. जबकि पलामू जिला का 1 जनवरी 1892 में अस्तित्व में आया. डालटनगंज को ही जिला का मुख्यालय बनाया गया है.
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गृह मंत्रालय ने पलामू जिला प्रशासन से पूछा सवाल, क्यों बदला जाए डालटनगंज रेलवे स्टेशन का नाम ?
केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने पलामू जिला प्रशासन से सवाल पूछा है, कि क्यों डालटनगंज रेलवे स्टेशन (Daltonganj Railway Station) का नाम बदल दिया जाए? इसे लेकर गृह मंत्रालय ने जिला प्रशासन को एक पत्र भी भेजा है. पत्र का जवाब तैयार करने की जिम्मेदारी मेदिनीनगर सदर एसडीएम को दी गई है. जिला प्रशासन को 30 दिनों के अंदर गृह मंत्रालय को जवाब भेजना है.
2001 में डालटनगंज का नाम बदलकर मेदिनीनगर किया गया
पलामू में 80 के दशक से डालटनगंज का नाम बदलकर मेदनीनगर करने के लिए आंदोलन शुरू हुआ था. आंदोलन में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था. 15 नवंबर 2000 को झारखंड के गठन के बाद 2001 में राज्य सरकार ने डालटनगंज का नाम बदलकर मेदिनीनगर कर दिया था. राज्य सरकार के गजट में डालटनगंज का नाम बदलकर मेदिनीनगर हो गया है, लेकिन केंद्र सरकार के कार्यालयों में डालटनगंज का नाम मेदिनीनगर नहीं हुआ है. रेलवे स्टेशन, पोस्ट ऑफिस और बैंकों में अभी भी डालटनगंज के नाम का इस्तेमाल होता है.
महान चेरो राजा मेदिनी राय के नाम डालटनगंज का नाम है बदला
चेरो वंश के महान राजा मेदिनी राय के नाम पर डालटनगंज का नाम बदलकर मेदिनीनगर किया गया है. मेदिनी राय चेरो वंश के प्रतापी राजा थे. उनके कार्यकाल में एक कहावत आज भी प्रचलित है, धनी धनी राजा मेदनीया, घर घर बाजे मथनियां. यह कहावत उस दौर में लोगों के खुशी के बारे में बताता था. आज भी लोगों को यह कहावत याद है.