पलामूःपलामू टाइगर रिजर्व इलाके में लंबे अरसे के बाद बाघ देखा गया है, लेकिन बाघ के मूवमेंट की जानकारी सार्वजनिक हो रही है, जो उसके लिए खतरा का कारण बन सकता है. पीटीआर में दाखिल होने के बाद बाघ ने अब तक तीन शिकार किए हैं. बुधवार को बाघ ने कोई शिकार नहीं किया था और उसका मूवमेंट एक मानव आबादी से सटे इलाके में था.
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बाघ के मूवमेंट की जानकारी गोपनीय रखना चाहता है विभागः इस संबंध में पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष और उपनिदेशक प्रजेश जेना ने कहा कि यह खुशी की बात है इलाके में बाघ है. लेकिन जंगली इलाके में ग्रामीणों को सावधानी बरतने की जरूरत है. विभाग बाघ के मूवमेंट से जुड़ी हुई बात को सार्वजनिक नहीं करना चाहता है. उन्होंने बताया कि बाघ की निगरानी के लिए स्पेशल टीम को तैनात किया गया है और उसके मूवमेंट पर नजर रखी जा रही. बाघ प्रतिदिन 15 से 20 किलोमीटर चलता है.
10 से 20 स्क्वायर किलोमीटर होता है बाघ का इलाकाःबाघ का इलाका करीब 10 से 20 स्क्वायर किलोमीटर का होता है. बाघ इसी इलाके में अपना शिकार करता है और रहता है. वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव बताते हैं कि बाघ अपने इलाके में ही रहता है. मेटिंग का गंध आने के बाद वह बाघिन के पास जाता है. इस दौरान उसकी दूसरे बाघों से संघर्ष भी होती है. प्रोफेसर बताते हैं कि एक टेरिटरी में एक से अधिक बाघिन रह सकती हैं, लेकिन उसी टेरिटरी में एक से अधिक बाघ नहीं रह सकते हैं.
गर्मी के मौसम में बाघ मेटिंग करते हैंः गर्मी बढ़ने के साथ ही बाघ मेटिंग करता है. अप्रैल, मई और जून महीने में मेटिंग होती है. प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव बताते हैं कि पीटीआर के इलाके में देखे गए बाघ के साथ बाघिन भी है, यह कहना मुश्किल है. ऐसा नहीं है कि पीटीआर के इलाके में बाघ नहीं हैं. पीटीआर के इलाके में आधा दर्जन के करीब बाघ मौजूद हैं. पूरा का पूरा कॉरिडोर मध्य प्रदेश के संजय डुबरी और बांधवगढ़ से जुड़ा हुआ है.
पीटीआर में दिखे बाघ का संबंध संजय डुबरी टाइगर रिजर्व सेः उन्होंने बताया कि पीटीआर के इलाके में देखे गए बाघ का संबंध संजय डुबरी टाइगर रिजर्व से है. संजय डुबरी से निकल कर गुरुघासी टाइगर रिजर्व, सूरजपूर होते हुए बाध के पीटीआर इलाके ने पहुंचने की आशंका है. प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव बताते हैं कि उस इलाके से निकलकर बाघ का पीटीआर के इलाके में पहुंचने का इतिहास रहा है. जबकि इस इलाके के बाघ एमपी और छत्तीसगढ़ के इलाके में गए हैं. पीटीआर के मंडल, कुटकु समेत कई इलाके हैं जहां बाघ आते हैं.
ब्रीडिंग के लिए शांत इलाका चाहिए बाघिन कोः प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव बताते हैं कि बाघिनों को ब्रीडिंग के लिए शांत इलाका चाहिए, ताकि वह अपने शावकों को ख्याल रख सके. बाघिन तीन वर्षों तक अपने शावकों का ख्याल रखती हैं. उसके बाद ही उन्हें अकेला छोड़ती है. उन्होंने बताया कि पीटीआर और उसके आसपास के इलाके में मवेशी एक बड़ी समस्या हैं. बाघिन ब्रीडिंग के लिए यह सबसे बड़े बाधक हैं. उन्होंने बताया कि बाघिन शावकों को किसी सुरक्षित स्थान पर जन्म देती हैं, जहां मानवीय हस्तक्षेप नहीं होता है. इसी इलाके में शावकों को वह शिकार करना भी सिखाती हैं और उनका ख्याल रखती हैं.