पाकुड़: सूबे में बंद पड़ी पत्थर की खदानें अब हजारों ग्रामीणों के आत्मनिर्भर बनने का जरिया बनेंगी. वैसी पत्थर की खदानें जिनकी लीज अवधी खत्म हो गई है और उसमें पानी भरा है उसमें अब मछली पालन करवाया जाएगा. पाकुड़ जिला प्रशासन सरकारी जमीन के अलावा रैयतों की जमीन पर भी मछली पालन करवाएगी. राज्य सरकार की छाड़न योजना के तहत मत्स्य बीज का संचयन शुरू किया है.
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मत्स्य विभाग ने पहले चरण में जिले के मालपहाड़ी पत्थर औद्योगिक क्षेत्र की 123 एकड़ जमीन पर बंद पड़ी पत्थर खदान में कतला, रेहु, मिरीगल प्रजाति के 240 लाख मत्स्य बीज (स्पॉन) का संचयन किया है. पाकुड़ जिले के कई मजदूरों की जीविका का मुख्य साधन पत्थर खदानों में पत्थरों का उत्खनन और प्रेषण करना है. प्रशासन की ओर से पत्थर खदानों में मत्स्य पालन को बढ़ावा दिए जाने से आसपास रहने वाले ग्रामीणों को रोजगार का दोहरा लाभ भी मिलेगा.
मछली पालन को बढ़ावा देने का निर्णय
पाकुड़ जिले में सैकड़ों पत्थर खदानें हैं, लेकिन सरकारी और रैयतों की जमीन पर स्थित 333 ऐसी पत्थर खदानें हैं, जिनकी लीज अवधी सालों पहले ही खत्म हो चुकी है. इनमें पानी हमेशा लबालब भरा रहता है. पत्थर खदानों में काम करने वाले मजदूर उत्खनन का काम बंद होने के बाद दूसरे पत्थर कारोबारियों के यहां मजदूरी का काम किया करते थे. इससे उनके और परिवार के भरण पोषण में कठिनाई उठानी पड़ती थी. जिला प्रशासन ने गांव के ग्रामीण मजदूरों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए मछली पालन को बढ़ावा देने का निर्णय लिया.