लातेहारः प्रकृति की आगोश में बसे नेतरहाट अपनी खूबसूरत वादियों के लिए दुनियाभर में विख्यात है. खूबसूरती के अलावा भी प्रकृति ने नेतरहाट को कई ऐसे अनमोल उपहार दिए हैं, जो लोगों के लिए वरदान के समान हैं. ऐसे ही अनमोल धरोहरों में एक नेतरहाट से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है मुड़माटी. इस स्थान की मिट्टी की खासियत है कि इसका उपयोग साबुन और शैम्पू (Soap and Shampoo) के विकल्प के रूप में किया जाता है.
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नेतरहाट के मुड़माटी के बारे में कहा जाता है कि एक बार जो इस मिट्टी का उपयोग कर लेता है, वह साबुन और शैम्पू को भूल जाता है. दरअसल मुड़माटी की मिट्टी को औषधीय गुणों (Medicinal Properties) से युक्त माना जाता है. यहां की मिट्टी में खासियत यह है कि साबुन या शैम्पू के बदले अगर इस मिट्टी से बाल धोया जाए तो बाल बिल्कुल साफ और मुलायम हो जाता है. साथ इसे शरीर पर मला जाए तो त्वचा में निखार आ जाता है.
साबून-शैम्पू की जगह मिट्टी का इस्तेमाल करते हैं लोग
इसी वजह से यहां पर आकर बड़ी संख्या में लोग मिट्टी उठाकर अपने साथ ले जाते हैं और उसी का उपयोग नहाने के दौरान बाल धोने के लिए करते हैं. अब तो दूर-दूर से लोग यहां की मिट्टी ले जाने आते हैं. स्थानीय निवासी शशि पन्ना ने बताया कि यहां की मिट्टी में सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह काफी मुलायम और मेडिकेटेड (Medicated) होती है. औषधीय गुणों से युक्त होने की वजह से इस मिट्टी का उपयोग लोग नहाने के दौरान साबुन और शैम्पू के रूप में करते हैं.
स्थानीय भाषा में मूड़ मसना मिट्टी भी कहते हैं
मिट्टी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके उपयोग से त्वचा संबंधित रोगों का भी इलाज होता है. अवकाश प्राप्त शिक्षिका शांति नगेसिया ने बताया कि इस मिट्टी को लोग स्थानीय भाषा में मूड़ मसना मिट्टी भी कहते हैं. मिट्टी की खासियत यह है कि इसके उपयोग से बाल संबंधित बीमारी, डैंड्रफ के अलावा शरीर में हुए त्वचा संबंधित बीमारी भी दूर होती है. इसीलिए लोग इसका उपयोग बड़ी मात्रा में करते हैं. आसपास के लोग तो साबुन और शैम्पू के बदले इसी मिट्टी का उपयोग करते हैं.
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क्या कहते हैं डॉक्टर्स
मिट्टी से नहाने और बाल धोने को लेकर डॉक्टर्स भी मानते हैं कि भारत में पारंपरागत तरीकों में मिट्टी का इस्तेमाल होता है. पुराने जमाने में लोग मिट्टी से नहाया भी करते थे. आज भी कई कॉस्मेटिक कंपनियां मुल्तानी मिट्टी की बिक्री करती है. ऐसे में मुड़माटी साफ जगह से लेकर इस्तेमाल किया जाता है तो इसमें कोई हर्ज नहीं है. उन्होंने बताया कि मिट्टी एकदम प्राकृतिक है क्योंकि शैम्पू और साबुन में कास्टिक सोडा त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है, जबकि मिट्टी में ऐसी कोई बात नहीं होती है.
बड़े और संपन्न लोग भी ले जाते हैं मिट्टी
स्थानीय लोगों की मानें तो इस स्थान की मिट्टी को बड़े और संपन्न लोग भी अपने साथ ले जाते हैं और इसका उपयोग करते हैं. लोगों ने बताया कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) जब नेतरहाट आए थे तो स्थानीय लोगों ने उन्हें मुड़माटी की मिट्टी उपहार के रूप में दिया गया था.
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सफेद रंग की होती है मिट्टी
यह मिट्टी सफेद रंग की होती है. इस मिट्टी में पत्थर का अंश काफी कम पाया जाता है, छूने में यह काफी चिकना होता है. इसका उपयोग करने के लिए इसे पानी में भिगोकर पेस्ट बनाया जाता है. फिर उसे बाल और शरीर पर साबुन की तरह लगाकर नहाया जाता है.
मिट्टी चुनती ग्रामीण लड़कियां नेतरहाट के रास्ते में स्थित है मुड़माटी
नेतरहाट मोड़ से नेतरहाट की ओर जाने वाले रास्ते में मुड़माटी स्थित है. रास्ते में बोर्ड भी लगा हुआ है. इसे देखकर आसानी से स्थान को पहचाना जा सकता है. मुड़माटी की मिट्टी भले ही औषधीय गुणों से युक्त हो पर अभी-भी यह स्थान पर्यटन की दृष्टि से विख्यात नहीं हो सका है. जरूरत इस बात की है कि प्रशासन ऐसे स्थानों को संरक्षित करें.