लातेहार: जिले का हर एक गांव कुछ साल पहले तक नक्सल गतिविधियों से प्रभावित था. लेकिन जिले के मनिका थाना क्षेत्र अंतर्गत मटलौंग गांव कभी नक्सलियों का गढ़ हुआ करता था. ऐसे में यहां विकास कार्य की परिकल्पना भी नहीं की जाती थी लेकिन नक्सल प्रभाव कम होते ही यह गांव भी विकास की दौड़ में शामिल हो गया है.
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नक्सलियों के लिए सेफ जोन
दरअसल, मटलौंग गांव की भौगोलिक बनावट के कारण यह नक्सलियों का सेफ जोन बन गया था. यहां से नक्सली अपनी गतिविधियों को संचालित करते थे. इस कारण यहां आने जाने वालों पर नक्सलियों की नजर रहती थी. ऐसे में यह इलाका विकास से पूरी तरह वंचित रह गया था. सड़क, पुल पुलिया और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं भी यहां नहीं थी. नक्सल गतिविधियों के कारण सड़क निर्माण का कार्य करना यहां लगभग नामुमकिन था.
पलायन कर जाते थे लोग
क्षेत्र में विकास और व्यवसाय की संभावना काफी कम रहने के कारण यहां के अधिकांश लोग पलायन कर दूसरे शहरों में कमाने चले जाते थे. ऐसे में नक्सलियों का साम्राज्य यहां और सुदृढ़ हो गया था, जो लोग गांव में रहते थे, उन्हें नक्सलियों के इशारे पर रहने को मजबूर होना पड़ता था.
नक्सल गतिविधियों पर अंकुश लगने के बाद जगी संभावना
सरकार की ओर से नक्सल गतिविधियों के खिलाफ अंकुश लगाने को लेकर जब कार्रवाई आरंभ की गई तो इस क्षेत्र में भी विकास की थोड़ी संभावना दिखने लगी. सीआरपीएफ का कैंप स्थापित कर इस क्षेत्र को सुरक्षित करने का प्रयास आरंभ किया गया. शुरुआती दौर में तो जवानों को स्थानीय ग्रामीणों का कोई सहयोग नहीं मिलता रहा, लेकिन जवानों के कारण नक्सलियों के स्वच्छंद विचरण पर अंकुश लगा. ऐसे में ग्रामीणों के जीवन में भी थोड़ी स्वतंत्रता आई. जिसके बाद सुरक्षा व्यवस्था के बीच गांव को जिला मुख्यालय और प्रखंड मुख्यालय से जुड़ने के लिए पक्की सड़क का निर्माण करवाया गया. सड़क बनने के बाद सुरक्षाबलों की गतिविधियां भी लगातार बढ़ गई. जिससे नक्सल गतिविधियां मंद पड़ने लगी.
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गांव से कस्बा के रूप में बदलने लगा मटलौंग
नक्सल गतिविधियों में कमी आने के बाद गांव में विकास होने लगा. धीरे-धीरे यह गांव कस्बा का रूप धारण करने लगा. वर्तमान में यहां कई दुकानें खुल गई. जहां जरूरत की सभी सामान आसानी से मिलने लगे. ऐसे में आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का भी व्यवसाय का मुख्य केंद्र मटलौंग बनने लगा. जिस जगह पहले नक्सलियों के कारण सन्नाटा फैला रहता था वहीं अब लोगों की चहल-पहल दिखने लगी. गांव के सुमित कुमार, मंटू कुमार, ज्ञान कुमार सिंह आदि ने कहा कि पहले वे लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसते थे. लेकिन पिछले कुछ सालों में उनका गांव कई मामले में विकास किया. अब यहां सड़क के साथ-साथ प्रज्ञा केंद्र के माध्यम से बैंक भी खुल गए हैं. अस्पताल में भी लोगों का इलाज आरंभ हो गया है.
अधिकारी भी करते हैं प्रशंसा
गांव में हुए बदलाव की प्रशंसा जिले के वरीय अधिकारी भी करते हैं. लातेहार उपायुक्त अबु इमरान ने कहा कि अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों ग्रामीणों और मीडिया के लोगों की सकारात्मक भूमिका के कारण ही आज इस गांव में इस प्रकार का बदलाव हो सका है.