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कोडरमा में ठंड और बेमौसम बारिश ने बढ़ाई किसानों की परेशानी, सब्जियों की खेती बर्बाद

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Published : Jan 27, 2022, 2:24 PM IST

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प्रकृति के आगे किसानों की मेहनत और मर्जी बेकार ()

झारखंड में ठंड और बेमौसम बारिश से सब्जियों की खेती बर्बाद हो रही है. किसानों का कहना है कि प्रकृति के आगे किसानों की मेहनत और मर्जी सारे बेकार हैं. भारी नुकसान से दुखी किसानों ने सब्जियों की खेती की बीमा करने की मांग की है.

कोडरमा: जिले में लगातार ठंड का असर बढ़ रहा है. ठंड और बेमौसम बारिश से जहां जनजीवन लगातार प्रभावित हो रहा है. वहीं अब इसका प्रतिकूल असर खेती पर भी दिखने लगा है. अत्यधिक और असमय बारिश से सब्जियों की खेती बर्बाद हो रही है. खासकर टमाटर की फसल को इस असमय बारिश से भारी नुकसान हुआ है. खेतों में पड़े पड़े ही पौधे और टमाटर गल गए हैं. इसके अलावा कई मौसमी सब्जियों की खेती पर भी पाला का कहर दिख रहा है. जिसका सीधा असर किसानों की जीविका पर पड़ रहा है.

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गौरतलब है कि पिछले 1 महीने में तीन बार जमकर बारिश हुई है. इसके अलावा जिले का औसत तापमान भी 6 से 7 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है. वहीं दूसरी तरफ ठंड और बारिश के कारण टमाटर के बाद दूसरी मौसमी सब्जियों को भी नुकसान हो रहा है. बारिश और ठंड के कारण जमीन में अधिक नमी हो गई है. जिसके कारण पौधों का विकास नहीं हो पा रहा है. चंदवारा प्रखंड के किसान सेवा साव ने रोते हुए बताया कि प्रकृति के आगे किसान की मेहनत और मर्जी सारे बेकार हैं. उन्होंने कहा कि 4 महीनों तक टमाटर के पौधों की सेवा बच्चों की तरह की. अब फल देने का समय आया था लेकिन बारिश में लगभग सारे पौधे खराब हो गए. उन्होंने कहा कि इसी तरह के नुकसान के कारण किसान आत्महत्या को ही मजबूर हो जाते हैं.

वहीं किसान अजय साव ने बताया कि उन्होंने 30 से 35 हजार रुपये खर्च कर तकरीबन डेढ़ एकड़ में ऑस्ट्रेलियन टमाटर के बीज लगाए थे और अभी तक महज 8 से 10 हजार रुपये की ही आमदनी हुई थी कि बाकी टमाटर खेत में ही सड़ गए हैं. अजय साव को अब गरमा फसल से बेहतरी की उम्मीद है. उन्होंने सब्जियों की खेती की बीमा करने की मांग की है. असमय बारिश के कारण मौसमी सब्जियों को होने वाले नुकसान के कारण आने वाले दिनों में इनकी कीमतों में इजाफा भी हो सकता है. किसान अशोक साव ने बताया कि जमीन में अधिक नमी के कारण मौसमी सब्जियों के पौधे का विकास सही ढंग से नहीं हो पा रहा है.

प्रकृति की मर्जी के आगे रो पड़े किसान

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