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न्यूयार्क में कोडरमा का बजा डंका, बेटी काजल कुमारी ने बाल मजदूरों की पीड़ा पर रखी राय

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Published : Sep 23, 2022, 6:06 PM IST

Jharkhand Kajal Kumari speech in UN addresses United Nations Transforming Education Summit
बेटी काजल कुमारी ने बाल मजदूरों की पीड़ा पर रखी राय ()

अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में कोडरमा का डंका बजा है. झारखंड की बेटी काजल कुमारी ने संयुक्‍त राष्‍ट्र की ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन समिट (Jharkhand Kajal Kumari speech in UN) में बाल मजदूरों पर वक्तव्य दिया है. जिसकी खूब सराहना हो रही है.

कोडरमा:अमेरिका के न्‍यूयॉर्क शहर में कोडरमा की बेटी ने डंका बजाया है. न्यूयार्क में झारखंड से आने वाली काजल ने वैश्विक नेताओं के सामने बाल मजदूरों की पीड़ा पर बेबाकी से बात रखी (Jharkhand Kajal Kumari speech in UN) है. मौका था संयुक्‍त राष्‍ट्र की ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन समिट का (United Nations Transforming Education Summit), जहां 20 वर्षीय काजल कुमारी ने कहा कि बालश्रम और बाल शोषण के खात्‍मे में शिक्षा की सबसे महत्‍वपूर्ण भूमिका है. इसलिए बच्‍चों को शिक्षा के अधिक से अधिक अवसर प्रदान करने चाहिए. इसके लिए वैश्विक नेताओं को आर्थिक रूप से अधिक प्रयास करना चाहिए. इसके समानांतर आयोजित हुई लॉरिएट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्‍ड्रेन समिट में नोबेल विजेताओं और वैश्विक नेताओं को संबोधित करते हुए काजल ने बालश्रम, बाल विवाह, बाल शोषण और बच्‍चों की शिक्षा को लेकर अपनी आवाज बुलंद की. उन्होंने कहा कि बच्‍चों के उज्‍ज्वल भविष्‍य के लिए शिक्षा एक चाभी के समान है. इससे ही वे बालश्रम, बाल शोषण, बाल विवाह और गरीबी से बच सकते हैं.

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बता दें कि लॉरिएट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्‍ड्रेन दुनियाभर में इकलौता मंच है, जिसमें नोबेल पुरस्कार विजेता, वैश्विक नेता बच्‍चों के मुद्दों को लेकर जुटते हैं और भविष्‍य की कार्ययोजना तय करते हैं. यह मंच नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी की देन है. इसका मकसद एक ऐसी दुनिया का निर्माण करना है, जिसमें सभी बच्‍चे सुरक्षित रहें, आजाद रहें, स्‍वस्‍थ रहें और उन्‍हें शिक्षा मिले.


कोडरमा की काजल कुमारी ने बताया कि वह आज भले ही बाल मित्र ग्राम में बाल पंचायत की अध्‍यक्ष हैं और एक बाल नेता के रूप में काम कर रहीं हैं. लेकिन वह कभी परिवार के भरण पोषण के लिए अभ्रक खदान (माइका माइन) में बाल मजदूर थीं और ढिबरा चुनने का कामा करती थीं. झारखंड के कोडरमा जिले के डोमचांच गांव में एक बाल मजदूर के रूप में काजल ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि बालश्रम और बाल विवाह का पूरी दुनिया से उन्‍मूलन बहुत जरूरी है क्‍योंकि यह दोनों ही बच्‍चों का जीवन बर्बाद कर देते हैं. यह बच्‍चों के कोमल मन और आत्‍मा पर कभी न भूलने वाले जख्‍म देते हैं. उसने बताया कि 14 साल की उम्र में कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन ने उसे बाल मित्र ग्राम से जोड़कर ढिबरा चुनने के काम से निकालकर स्‍कूल में दाखिल करवाया था. इसके बाद से काजल कैलाश सत्‍यार्थी द्वारा स्‍थापित कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन के फ्लैगशिप प्रोग्राम बाल मित्र ग्राम की गतिविधियों में सक्रियता से भाग लेने लगीं. काजल ने पिछले दिनों नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी के उस ऐलान का भी समर्थन किया था जिसमें उन्‍होंने बाल विवाह मुक्‍त भारत नाम से आंदोलन की बात कही थी.

गांव के लोगों को सरकारी योजनाओं से जोड़ने की जिम्‍मेदारी भी काजल ने अपने कंधों पर ले ली है. काजल अब तक 35 बच्‍चों को माइका माइंस में बाल मजदूरी से आजाद करवा चुकी है और तीन बाल विवाह भी रुकवा चुकी है. कोरोना काल में जब स्‍कूल बंद थे तब उसने बच्‍चों को ऑनलाइन शिक्षा देने में अहम भूमिका निभाई थी. फिलहाल काजल कॉलेज में फर्स्‍टईयर की पढ़ाई कर रही है. उसका लक्ष्‍य है कि वह पुलिस फोर्स ज्‍वाइन करे. इस मौके पर नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित लीमा जीबोवी, स्‍वीडन के पूर्व प्रधानमंत्री स्‍टीफन लोवेन और जानी-मानी बाल अधिकार कार्यकर्ता केरी कैनेडी समेत कई वैश्विक हस्तियां मौजूद थीं.


गौरतलब है कि झारखंड के ही बड़कू मरांडी और चंपा कुमारी भी अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर बालश्रम के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं. चंपा को इंग्‍लैंड का प्रतिष्ठित डायना अवॉर्ड भी मिल चुका हैं. यह दोनों ही बच्‍चे पूर्व में बाल मजदूर रह चुके हैं.

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