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Khunti News: जंगल में आग लगी है, लकड़ी की मची लूट, विभाग खामोश

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Published : Mar 15, 2023, 2:09 PM IST

Updated : Mar 15, 2023, 2:23 PM IST

खूंटी के जंगल वन माफिया की गिरफ्त में है. खूंटी वन प्रमंडल क्षेत्र में जंगल से लकड़ी कटाई का मामला हो या फिर जंगल में आग लगने और लगाने का वन विभाग के पास इसे रोकने की पुख्ता तैयारी नहीं है.

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जंगल में आग

खूंटी:एक कहावत है, जंगल में मोर नाचा किसने देखा, जंगल की बात को न देखने की कहानी तब कही जाती थी जब जंगल को देखने और बचाने की नौकरी करने और मोटी सैलरी लेने वाले नहीं थे. अब यह बात कही जाती है कि जगंल में जो हो रहा है उसे देखने के लिए लोग हैं लेकिन देखते नहीं है. जंगल को काट लिया जाय या फिर जंगल में आग लगा दी जाय वन विभाग जागता ही नहीं है और जो लोग हैं उनके पास वह साधन नहीं है जिससे जंगल की रक्षा हो सके.

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खूंटी वन प्रमंडल क्षेत्र के अड़की, मुरहू, रनिया और खूंटी प्रखंड क्षेत्र के कुछ इलाकों में लकड़ी माफिया इतने सक्रिय है कि जंगलों को काटकर उसकी तस्करी कर रहे है. जंगल बचाने की जिम्मेदारी लिए बैठे सिस्टम वाले उसे सुरक्षित व संरक्षित करने की दिशा में सक्रिय ही नही. जंगलों में आग लग जाए तो वनकर्मी और वन समिति को नंगे पांव चलकर झाड़ी और पत्तो के सहारे आग बुझाने का का काम करती है. लेकिन वन विभाग का दावा है कि उसके पास सभी उपकरण मौजूद है लेकिन वास्तविकता अलग दिखाई पड़ती है.

खूंटी वन प्रमंडल क्षेत्र का एरिया लगभग 47871.72 हेक्टेयर जबकि 479 स्क्वायर किमी में फैला है और गर्मी के शुरुवाती दिनों से ही जंगलों में आग लगने लगती है. अड़की,कर्रा,मुरहू,रनिया,खूंटी,तोरपा,बुंडू,तमाड़ इलाके में आये दिन जंगलों में आग लगने की खबरे आम है और सूचना पर वन समिति के सदस्य जंगलों में आग बुझाने के लिए निकल जाते है. जिस इलाके में आग लगी होती है वहां बिना किसी सुरक्षा उपकरण के वन समिति व वनरक्षी आग बुझाने का काम करती है.

खूंटी वन प्रमंडल अंतर्गत छह वन क्षेत्र है जिसमे खूंटी वन क्षेत्र खूंटी, गिरगा वन क्षेत्र रनिया,जरिया वन क्षेत्र कर्रा,तमाड़ वन रोपण,तमाड़ वन क्षेत्र तमाड़,बुंडू वन क्षेत्र बुंडू को मिलाकर लगभग 47871.72 हेक्टेयर जबकि 479 स्क्वायर किमी में फैला हुआ है और अधिकांश जंगलों में रोजाना आग लगती रहती है. रविवार और सोमवार को खूंटी और कर्रा वन क्षेत्र में आग लग गई थी जिसे बुझाने के लिए गठित टीम को कई घंटों तक मसक्कत करनी पड़ी तब जाकर आग पर काबू पाया जा सका.

जिले के वनरक्षियों ने अपनी पहचान न बताते हुए कहा कि जान जोखिम में डालकर ड्यूटी करते है। जंगल मे जब आग लगने की सूचना मिलती है तो सीनियर अफसर आग बुझाने का निर्देश तो दे देते है. उपकरण मुहैया नही कराते जिसके कारण हम लोग झाड़ी व पत्तो के सहारे फायर लाइन बनाकर आग का रास्ता बदलते है जिससे आग एक एरिया से दूसरे एरिया तक नही फैल सके और उसी जगह पर रुक जाए उसके बाद हमलोग किसी तरह आग बुझा पाते है.

ईधर जिले के डीएफओ कुलदीप मीणा का दावा है कि विभाग के सभी रेंज में 2-2 ब्लोअर, ग्रास कटर और बिटर मशीन उपलब्ध है. साथ ही पूरे प्रमंडल में 425 वन समिति के सदस्य है और 40 वनरक्षी है. जंगलों को सुरक्षित व संरक्षित करने की जिम्मेदारी वन समितियों को है और उसे बचाने के लिए हर माह ट्रेनिंग दी जाती है. डीएफओ ने बताया कि वनों की सुरक्षा के लिए रोजाना पेट्रोलिंग करते है और उसके लिए दो टीम का गठन किया है. आग से बचाव के लिए रेंज स्तर पर टीम बनाई गई है और उसे ब्लोअर, बिटर और ग्रास कटर दिया गया है साथ ही रेगुलर वनरक्षियों व वन समितिना को ट्रेंड किया जाता रहा है साथ ही हाथी से बचाव को लेकर भी जानकारी दी जाती है.

Last Updated : Mar 15, 2023, 2:23 PM IST

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