झारखंड

jharkhand

Hanumangarhi in Giridih: प्राकृतिक धाम हनुमानगढ़ी में रामनवमी का है खास महत्व, जानें क्या हैं मान्यताएं

By

Published : Mar 29, 2023, 5:29 PM IST

गिरिडीह के प्राकृतिक धाम हनुमानगढ़ी में रामनवमी का खास महत्व है. मान्यता है कि हनुमान जी स्वयं यहां प्रकट हुए थे. रामनवमी के अवसर पर यहां विशेष महोत्सव का आयोजन होता है.

Etv Bharat
Hanumangarhi of giridih

गिरिडीह: जिले में रामनवमी की धूम मची हुई है. जिले के बगोदर प्रखंड क्षेत्र के प्राकृतिक धाम हनुमानगढ़ी में मनाए जाने वाले रामनवमी महोत्सव का खास महत्व है. मान्यता है कि यहां हनुमान जी स्वयं प्रकट हुए हैं. यहां पूजा अर्चना करने से मन्नतें पूरी होती हैं. इसी आस्था और उम्मीद के साथ यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है.

यह गुफा धरातल से 70-80 मीटर ऊपर स्थित है. गुफा तक जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है. गुफा के अंदर बजरंगबली की आकृति को देखा जा सकता है. इससे यहां के प्रति श्रद्धालुओं में रामभक्त हनुमान के प्रति अटूट श्रद्धा, भक्ति और आस्था है. लोगों का मानना है कि यहां मत्था टेकने से मन्नतें पूरी होती हैं.

यह भी पढ़ें:Giridih News: रामनवमी को लेकर हाई अलर्ट पर गिरिडीह जिला प्रशासन, दंडाधिकारी के साथ पुलिस अधिकारी तैनात

रामनवमी के मौके पर यहां पूजा-अर्चना करने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. पिछले दो सालों से इस मौके पर मंदिर कमेटी के द्वारा रामलीला का आयोजन किया जा रहा है. इन दिनों भी यहां अयोध्या की टीम के द्वारा रोज रात में रामलीला का मंचन किया जा रहा है. मंदिर परिसर का धीरे-धीरे विकास भी किया जा रहा है. पहाड़ की चोटी पर जहां खटेश्वरनाथ का मंदिर स्थित है, वहीं नीचे शिव मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. स्थानीय लोगों मंदिर परिसर को धार्मिक के साथ पर्यटन स्थल के रुप में विकसित किए जाने की मांग कर रहे हैं.

दूध जैसी कुआं का पानी का रंग:इस परिसर में एक कुआं भी स्थित है. कुआं के पानी का रंग दूध जैसा सफेद होता है. इसे भी लोग धार्मिक दृष्टिकोण से जोड़कर देखते हैं. अगल-बगल के गांवों में स्थित कुएं का पानी का रंग सामान्य पानी की तरह होता है, जबकि मंदिर परिसर स्थित कुआं का पानी का रंग अलग है.

हनुमान (बंदर) का रहता है बसेरा:इस परिसर में हनुमान (बंदर) का बसेरा है. पहाड़ और गुफा के आसपास बड़ी संख्या में हनुमान विचरण करते रहते हैं. श्रद्धालुओं के द्वारा हनुमान को फल-फूल खिलाया जाता है. एक तरफ आपरूपी प्रकट हुए हनुमानजी और दूसरी तरफ हनुमान के बसेरे को भी धार्मिक दृष्टिकोण से जोड़कर देखा जाता है.

यह भी पढ़ें:रामनवमी के जुलूस पर मौसम रहेगा मेहरबान! हल्की बारिश का अनुमान, कुछ इलाकों के लिए येलो अलर्ट जारी

दुबिया बाबा करते थे शेर की सवारी:मंदिर के पुजारी रामचंद्र शरण बताते हैं कि गुफा और उसमें प्रकट हनुमानजी की आकृति कब से है, इसकी जानकारी किसी को नहीं है. बताते हैं कि यहां कई श्रद्धालु आएं और यहीं समाधी भी ले लिया. दुबिया बाबा एक ऐसे साधु-महात्मा थे, जो दुब, घास और दूध का सेवन करते थें और शेर की सवारी करते थें. लोग बताते हैं कि पहाड़ के अंदर भी एक गुफा है, जहां दुबिया बाबा ने समाधी लिया था. उन्होंने यह भी बताया कि पहाड़ के नीचे की गुफा से रोज रात में भजन-कीर्तन जैसे मनोरम कार्यक्रम की धुन अपने आप निकलता है. आपरूपी प्रकट हुए हनुमानजी की गुफा में रात में ठहरकर इस धुन को कोई भी सुन सकता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details