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झोपड़ी में स्कूल! जानिए, कहां और क्यों बच्चे ऐसे पढ़ने को हैं विवश

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Published : Oct 15, 2022, 7:35 AM IST

यहां झोपड़ी में स्कूल लगता है. शासन-प्रशासन और शिक्षा विभाग की लापरवाही की वजह से बच्चे झोपड़ी में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. इसके पीछे वजह है, जर्जर स्कूल भवन और विद्यालय भवन का अभाव. ये पूरी तस्वीर है घाटशिला के केंदपोशी प्राथमिक विद्यालय (study in hut in Ghatshila) की. इस रिपोर्ट से आप भी जानिए स्कूल का पूरा हाल.

Children study in hut at Kendposhi Primary School in Ghatshila
घाटशिला

पूर्वी सिंहभूम,घाटशिलाः आज हम डिजिटल युग में जी रहे हैं. घर बैठे कई तरह के काम हो रहे हैं, बच्चे भी ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. लेकिन झारखंड में पूर्वी सिंहभूम जिला का एक ऐसा भी गांव है, जो आज के जमाने में भी पाषाण काल की याद दिलाता (study in hut in Ghatshila) है. शिक्षा व्यवस्था के लिए ये कहीं से भी अच्छे संकेत नहीं है कि नौनिहाल इस तरह से अपने भविष्य का निर्माण करते नजर आएं.

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आदिकाल में झोपड़ी या पेड़ के नीचे लोग शिक्षा ग्रहण करते थे. लेकिन अब ऐसा ही देखने को मिल रहा है पूर्वी सिंहभूम जिला के घाटशिला प्रखंड अंतर्गत काड़ाडुबा पंचायत अंतर्गत केंदपोशी प्राथमिक विद्यालय (Kendposhi Primary School) में. जो यहां की शिक्षा व्यवस्था और स्कूल की बदहाली बताने के लिए काफी है. ये तस्वीरें हुक्मरानों और नौकरशाही को उनकी जिम्मेदारियों का आईना दिखा रही हैं. केंदपोशी प्राथमिक विद्यालय, नाम से स्कूल है. लेकिन यहां फूस की झोपड़ी में स्कूल चलता है, बच्चे जमीन पर बैठ कर झोपड़ी में पढ़ाई (Children study in hut at Kendposhi) कर रहे हैं. लेकिन बारिश के मौसम में बच्चे शिक्षा क्या ग्रहण करेंगे वो खुद को भीगने से बचाने के लिए दूसरे के घरों में शरण लेना पड़ता है. बारिश, बरसाती कीड़े, सांप-बिच्छु के खौफ को पार करके अब ये नौनिहाल शीतलहर को भी झेलने को तैयार हैं.

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विद्यालय भवन का अभाव के साथ इन दुश्वारियों के बाद भी इलाके के बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए रोजाना स्कूल आते हैं. बताया जाता है कि 6 माह पूर्व अप्रैल 2022 में इसी जर्जर स्कूल भवन की छत से मलबा टूटकर गिरा था. भवन की स्थिति जर्जर होने के कारण कुछ दिन तक स्कूल के 53 बच्चों की जान की परवाह करते हुए स्कूल की एकमात्र पारा शिक्षिका सुमित्रा मुर्मू ने खुले आसमान के नीचे पढ़ाना शुरू किया. अभिभावकों ने स्थिति पर तरस खाकर श्रमदान कर स्कूल भवन के पास एक झोपड़ी बना दिया. जिसमें बच्चे जमीन पर बैठकर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.

झोपड़ी में जमीन पर बैठकर पढ़ते बच्चे

स्कूल की बदहाली को लेकर शिक्षिका सुमित्रा मुर्मू बताती हैं कि वो बीमार भी रहे तो उन्हें हर दिन बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल आना पड़ता है. क्योंकि स्कूल में एक ही शिक्षक है जबकि यहां शिक्षक का 2 पद दिया गया है. एक शिक्षक के रिटायरमेंट के बाद से ही यह पद खाली पड़ा हुआ है. एक ही टीचर होने से स्कूल चलाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. वहीं स्कूली बच्चों की ओर से शिक्षा मंत्री से निवेदन किया है कि उनको जल्द नया भवन उपलब्ध करा दें ताकि उनकी पढ़ाई स्कूल भवन में हो ना की झोपड़ी में. लेकिन इस बात को भी महीनों बीत गए, कई मौसम गुजर गए. शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण यहां के बच्चे झोपड़ी में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. अब देखना होगा कि आखिर कब तक इन नौनिहालों के दिन बहुरेंगे और कब तक केंदपोशी प्राथमिक विद्यालय को नया भवन मिलेगा या फिर पुरानी बिल्डिंग की मरम्मत होगी.

स्कूल भवन की जर्जर छत
छत से टूटकर गिरा मलबा

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