जमशेदपुर: यशोदा चिटफंड धोखाधड़ी मामले में प्रथम न्यायिक दंडाधिकारी सुप्रिया टिक्का की अदालत ने 5 लोगों को तीन-तीन साल की सजा सुनाई है. इसको लेकर सोमवार को जिला सत्र न्यायलय में फैसला के इंतजार में लगभग 25 पीड़ित महिलाएं मौजूद रही.
यशोदा चिटफंड धोखाधड़ी मामले में 88 लाख रुपए के गोलमाल के आरोपी शौकत अली और युसूफ अली को कोर्ट ने सजा सुना दी. इधर, मामले के पीड़ितों ने करोड़ों की धोखाधड़ी के लिए जिम्मेदार लोगों को कम सजा दिए जाने पर कोर्ट परिसर में इसका विरोध किया. पीड़ित महिलाओं ने विरोध जताते हुए फैसला पर कई सवाल खड़े किए. सोमवार को कोर्ट परिसर में फैसला सुनने के लिए करीब 20 से 25 की संख्या में पीड़ित महिलाएं मौजूद थीं. फैसला आने के बाद महिलाओं ने केस की पैरवी कर रहे अधिवक्ता एसएस प्रसाद से मिलकर आपत्ति जताई है.
पीड़ित महिलाओं का कहना है कि यशोदा चिटफंड कंपनी के नाम पर कई लोगों को शिकार बनाया गया है. पांच साल में राशि दोगुना करने का प्रलोभन दिया गया था. इसके झांसे में आकर लोग कर्ज पर पैसा लेकर कंपनी पर भरोसा जताया, लेकिन बाद में कंपनी का कार्यालय बंद कर उसके सभी कर्मचारी फरार हो गए थे. अधिवक्ता एसएस प्रसाद ने महिलाओं को समझाया की प्रथम न्यायिक दंडाधिकारी को 3 वर्ष तक की सजा देने का अधिकार है. ऐसे में सीआरपीसी की धारा-325 के अनुसार गंभीर मामले में सीजीएम कोर्ट में रेफर किया जा सकता है, ताकि आरोपियों को ज्यादा से ज्यादा सजा मिल सके. आरोपियों ने करीब 88 लाख की ठगी की है. उन्हें इसकी गंभीर सजा मिलनी चाहिए.
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बता दें कि साल 2017 में महिलाओं ने मानगो थाना में यशोदा नेटवर्किंग कंपनी के शौकत अली और मोहम्मद इकबाल के खिलाफ धोखाधड़ी की प्राथमिकी दर्ज कराई थी. जिसपर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. फिलहाल सभी आरोपी घाघीडीह जेल में बंद हैं.