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धनबाद: मनरेगा में भ्रष्टाचार करने वाले पांच लोगों पर साल भर बाद दर्ज की गई प्राथमिकी, भ्रष्टाचारियों में खौफ का माहौल

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Published : Mar 7, 2021, 9:02 AM IST

धनबाद जिले के गोविंदपुर प्रखंड के जमडीहा पंचायत में मनरेगा की योजनाओं में जमकर भ्रष्टाचार किया गया. इसको लेकर साल भर पहले प्रशासन की ओर से जांच करने के साथ ही भ्रष्टाचारियों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था. लेकिन, एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी. अब साल भर बाद इस मामले में 5 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है.

धनबाद
गोविंदपुर प्रखंड के जमडीहा पंचायत में मनरेगा की योजनाओं में भ्रष्टाचार

धनबाद: जिले के गोविंदपुर प्रखंड के जमडीहा पंचायत में मनरेगा की योजनाओं में जमकर भ्रष्टाचार किया गया. इसको लेकर साल भर पहले प्रशासन की ओर से जांच करने के साथ ही भ्रष्टाचारियों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था. लेकिन, एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी. अब साल भर बाद इस मामले में 5 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है.

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11 योजनाओं से निकाली गई राशि

जमडीहा पंचायत में मनरेगा योजना के तहत बकरी और मुर्गी शेड से संबंधित 11 योजनाओं की राशि निकाल ली गई. लेकिन, शेड निर्माण का कार्य धरातल पर नहीं उतरा. इस मामले के संज्ञान में आने के बाद प्रशासन की ओर से जांच की गई थी, जिसमें मामला सही पाया गया था. लेकिन, जांच ठंडे बस्ते में चली गयी.

मुखिया सहित पांच लोगों पर प्राथमिकी
गौरतलब है कि इस मामले में मानवाधिकार आयोग की ओर से भी संज्ञान लिया गया है. हालांकि, गोविंदपुर बीडीओ ने जमडीहा पंचायत की मुखिया कुंती कुमारी राय, पंचायत के दो पूर्व सचिव प्रभु दयाल महतो और अवधेश कुमार के साथ साथ दो रोजगार सेवक संतोष कुमार सिंह और वरुण पांडेय के खिलाफ गोविंदपुर थाने में मामला दर्ज कराया गया है.


27 फरवरी 2020 को ही दिया गया था प्राथमिकी का आदेश

बता दें कि पंचायत के कुबरीटांड गांव में मनरेगा की एक दर्जन योजनाओं की जांच डीआरडीए निदेशक ने 24 फरवरी 2020 को कराई थी, जिसमें गड़बड़ी उजागर हुई थी. इस मामले में 27 फरवरी 2020 को ही प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया था. लेकिन मामला दर्ज नहीं हुआ था. अब धनबाद डीडीसी दशरथ चंद्र दास के आदेश पर गोविंदपुर प्रखंड विकास पदाधिकारी की ओर से मामला दर्ज कराया गया है.

योजनाओं की कराई जाएगी जांच
ईटीवी भारत से बात करते हुए प्रखंड विकास पदाधिकारी संतोष कुमार ने बताया कि गोविंदपुर में मेरे पदभार ग्रहण करने से पहले का यह मामला है. वरीय पदाधिकारियों की ओर से जैसे ही आदेश मिला है, वैसे ही दर्ज करा दिया है. इससे भ्रष्टाचार करने वाले लोगों में खौफ है और आगे अन्य योजनाओं की भी जांच कराई जाएगी.

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