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धनबाद में कोरोना गाइडलाइन की जमकर उड़ी धज्जियां, मेला का हुआ आयोजन

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Published : Jan 18, 2022, 1:56 PM IST

Updated : Jan 18, 2022, 2:09 PM IST

झारखंड में कोरोना संक्रमण की रफ्तार तेज है. कोयलांचल में भी यही स्थिति है. फिर भी लोग लापरवाही करने से बाज नहीं आ रहे हैं. इसी का नमूना दिखा धनबाद के सबलपुर में जहां कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए मेला का आयोजन किया गया.

corona guidelines violation
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धनबाद: वैश्विक महामारी कोरोना के तीसरे लहर में धनबाद में प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में संक्रमितों की पहचान हो रही है. ओमीक्रोन ने भी झारखंड में दस्तक दे दी है. धनबाद जिला प्रशासन ने लोगों से कोविड-19 एप्रोप्रियेट बिहेवियर का पालन करने की अपील कर रखी है. 31 जनवरी तक राज्य सरकार ने मिनी लॉकडाउन लगा दिया है. इस दौरान सभी प्रकार के सार्वजनिक मेले प्रतिबंधित कर दिए गए हैं, बावजूद धनबाद के लोगों में जागरुकता की कमी है और मेले का आयोजन देखने को मिल रहा है.

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धनबाद नगर निगम के सरायढेला थाना क्षेत्र में पड़ने वाले सबलपुर में मेले का आयोजन किया गया. जहां हजारों की संख्या में लोग इकट्ठे हुए सैकड़ों दुकानें सजी. वहां अधिकांश लोगों ने मास्क नहीं पहना था. ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोग किस तरह से कोरोना को आमंत्रण दे रहे हैं. इस मेले में जिला प्रशासन की ओर से एक भी अधिकारी और पुलिस नहीं देखी गई. ऐसे में समझ सकते हैं कि जिला प्रशासन भी कितनी सजग है. इतने बड़े आयोजन के बावजूद जिला प्रशासन को इसकी खबर तक नहीं है. धनबाद जिला प्रशासन या फिर धनबाद पुलिस का कहीं कोई अता पता नहीं था.

यहां पर हजारों वर्षों से ग्राम देवता और मां काली की पूजा स्थानीय लोगों के द्वारा की जाती है. लोग अपनी मन्नतें पूरी होने के बाद यहां पर पूजा करने के लिए आते हैं. इस जगह पर 7 लोग ग्राम देवता की पूजा करते हुए चटिया झुपते (नाचते-नाचते पूजा की जाती है) हैं. खौलते गर्म घी में हाथ डालते हुए वह पकवान उठाते हैं उसी पकवान से ग्राम देवता की पूजा की जाती है. उसके बाद बलि देने की भी परंपरा है. इस अनोखी पूजा को देखने के लिए धनबाद जिले के आसपास के ग्रामीण इलाकों के साथ-साथ अन्य जिलों के भी लोग यहां पर आते हैं लेकिन कोरोना काल में इस प्रकार का आयोजन जिला प्रशासन ने कैसे होने दिया अब इस पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं. इस पूरे मेले में कहीं पर एक भी जिला प्रशासन के नुमाइंदे या पुलिस नहीं देखे गए.

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न कोई मजिस्ट्रेट ना ही स्थानीय थाना ऐसे में मेला आयोजक भला क्यों लोगों से मास्क लगाने की अपील करते. मेले में मौजूद स्थानीय से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह मेला एक प्राचीन मेला है यहां ग्राम देवता की पूजा होती है और बलि की भी प्रथा है. हजारों वर्षों से यहां पर मेला लगने की परंपरा है. प्रत्येक साल इस स्थान पर पूजा की जाती है. हालांकि मास्क उन्होंने भी नहीं लगाया था सवाल पूछे जाने पर सकपका गये. उन्होंने कहा कि लोग मन्नत मांगने के बाद उसे पूरा करने के लिए यहां पूजा में शामिल होते हैं ऐसे में किसी को आने से मना नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि लोगों से मास्क लगाने की अपील की जा रही है कुछ लोगों ने लगाया है कुछ लोगों ने नहीं. लेकिन इतना बड़ा आयोजन और जिला प्रशासन की चुप्पी जरूर कोरोनावायरस संक्रमण को बढ़ावा दे रही है. अब कोरोना क्या रूप दिखाती है यह आने वाले वक्त में ही पता चल सकेगा.
Last Updated : Jan 18, 2022, 2:09 PM IST

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