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देवघर तीर्थ पुरोहित समाज ने मुख्यमंत्री के नाम उपायुक्त को सौंपा ज्ञापन, पूजा पद्धति में परिवर्तन और मंदिर में हस्तक्षेप करने का जताया विरोध

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 29, 2023, 10:10 PM IST

देवघर श्रावणी मेला के दौरान बाबा बैद्यनाथ मंदिर का पट देर रात तक खुला रखने और शृंगार पूजा का समय बदलने के मामले में देवघर तीर्थ पुरोहित समाज ने विरोध जताया है. इस संबंध ने तीर्थ पुरोहित समाज ने मुख्यमंत्री के नाम देवघर उपायुक्त विशाल सागर को ज्ञापन सौंपा है. जिसमें दोषी पदाधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की गई है.

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Teerth Purohit Given Memorandum To DC

देवघर:बाबा नगरी देवघर स्थित बैद्यनाथ धाम मंदिर में पूजा पद्धति में परिवर्तन और गैर संवैधानिक तरीके से मंदिर की आंतरिक व्यवस्था में हस्तक्षेप करने के विरोध में तीर्थ पुरोहित समाज ने मुख्यमंत्री के नाम देवघर उपायुक्त विशाल सागर को ज्ञापन सौंपा है. जिसमें तीर्थ पुरोहित विनोद द्वारी ने कहा कि श्रावणी मेले के आरंभ से मंदिर की आंतरिक व्यवस्था में मंदिर प्रभारी और उनके सभी पदाधिकारी मिलकर मंदिर पूजा पद्धति में हस्तक्षेप कर मंदिर की परंपरा को ध्वस्त कर रहे हैं, जो गैर संवैधानिक और गैर कानूनी है.

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अहले सुबह तक मंदिर का पट खुला रखने पर जतायी आपत्तिःपिछले दिनों अधिकारियों द्वारा रात्रि 12:20 में कच्चा स्नान बाबा बैद्यनाथ को कराया गया. उसके उपरांत विश्राम शृंगार और भोग लगाते लगाकर सुबह 3:27 बजे मंदिर का पट बंद किया गया. यह अधिकार किसी भी परिस्थिति में अधिकारियों को नहीं है. इस तरह की पूजा पद्धति को तीर्थ पुरोहित समाज कभी नहीं मानेगा और इसका विरोध करेगा.

नियमों का उल्लंघन और परंपरा से खिलवाड़ बर्दाश्त नहींः उन्होंने आगे कहा कि बैद्यनाथ धाम बासुकीनाथ तीर्थ क्षेत्र विकास प्राधिकार अधिनियम 2015 संविधान के अधीन आता है और संविधान की धारा 25 एवं 26 का उल्लंघन करने का अधिकार किसी को नहीं है. यह भी उल्लेखनीय है कि 2015 का अधिनियम सरकार और श्राइन बोर्ड को जो अधिकार देती है वह अधिकार मेला क्षेत्र, मंदिर प्रांगण और भक्तों को केवल पूजा सुचारू रूप से कराने का अधिकार देती है.

दोषी पदाधिकारियों को निलंबित करने की मांगः जो भी नियम बने हैं उसमें मंदिर की परंपरा और पूजा पद्धति पर किसी तरह का हस्तक्षेप वह मनमानी करने का अधिकार पदाधिकारी को नहीं है. फिर भी पदस्थापित प्रभारी पदाधिकारी और उनके सहयोगियों द्वारा परंपरा और पूजा पद्धति में हस्तक्षेप किया गया, जो गैर संवैधानिक और गैरकानूनी है. तीर्थ पुरोहित समाज ने उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के आलोक में सभी संबंधित पदाधिकारियों को निलंबित करने की मांग की है.

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