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Lunar eclipse 2023: चंद्र ग्रहण के दौरान खुला रहेगा देवघर बाबा धाम का मंदिर, लेकिन बंद रहेगी पूजा

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 28, 2023, 10:47 AM IST

Updated : Oct 28, 2023, 10:53 AM IST

साल 2023 का आखिरी चंद्र ग्रहण लग रहा है. इस दौरान देशभर के मंदिर बंद रखे जाते हैं. इस दौरान झारखंड के देवघर बाबा धाम मंदिर खुली है लेकिन यहां पूजा बंद रहेगी. No worship during lunar eclipse in Baidyanath Dham.

Deoghar Baba Dham Temple will open but puja will be stopped during lunar eclipse 2023
चंद्र ग्रहण के दौरान खुला रहेगा देवघर बाबा धाम का मंदिर

चंद्र ग्रहण के दौरान देवघर बाबा धाम में पूजा को लेकर जानकारी देते तीर्थ पुरोहित

देवघरः भारत में इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर की मध्य रात्रि को लग रहा है. खगोलीय घटनाओं में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए यह एक सुनहरा मौका है. साथी चंद्र ग्रहण के दौरान किस राशि वाले को होगा फायदा और किस होगा नुकसान जानिए देवघर के तीर्थ पुरोहित प्रमोद श्रृंगारी से.

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तीर्थ पुरोहित प्रमोद श्रृंगारी ने बताया कि बीते सप्ताह अमेरिका में सूर्य ग्रहण लगा था, जिसके 14 दिनों के बाद अब भारत में चंद्र ग्रहण लगने वाला है. यह एक आंशिक चंद्र ग्रहण होने वाला है. उल्लेखनीय है कि पूर्णिमा के दौरान चंद्र ग्रहण लगता है. चंद्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी आ जाती है, तो ग्रहण लगता है. जब पृथ्वी की छाया चांद पर पड़ती है, तो चांद हमें लाल रंग का नजर आने लगता है.

शनिवार को चंद्र ग्रहण भारतीय समय अनुसार रात्रि एक बजकर पांच मिनट से 2 बजकर 27 मिनट तक लगेगा. यह ग्रहण एक घंटा 18 मिनट का होने वाला है. क्योंकि चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक लग जाता है. इस दौरान सूतक 9 घंटे पहले लगता है. दिन में 4:09 में ही सूतक लग जाएगा. इस दौरान दीक्षा लिए इंसान और पूजा पाठ करने वाले लोगों के लिए भोजन वर्जित रहता है. इसमें बच्चे वृद्ध और रोगी को सूतक नहीं लगता है.

बाबा बैजनाथ धाम की अनोखी परंपरा है कि सूतक काल में बाबा मंदिर का कपाट बंद नहीं होता है. ग्रहण काल में मंदिर खुला रहता है लेकिन पूजा बंद रहती है. देवघर बाबा मंदिर में रात 8 बजे तक पूजा कर सकते हैं हालांकि उपवास रखने वाले व्यक्ति को 9 घंटे पहले अन्न ग्रहण कर लेना चाहिए.

यह ग्रहण मेष राशि और दक्षिणी नक्षत्र में लग रहा है. मेष, धनु और सिंह राशि वाले को थोड़ा कष्ट रहेगा. वह अपने इष्ट मंत्रों का उच्चारण करेंगे तो कष्टों से निवारण पाएंगे और साथ ही उन्हें शारीरिक लाभ होगा. ग्रहण काल को सिद्ध काल के रूप में माना जाता है. इस दौरान कोई यज्ञ या फिर पिंडदान करता है तो उन्हें अधिक फल की प्राप्ति होती है.

Last Updated :Oct 28, 2023, 10:53 AM IST

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