झारखंड

jharkhand

जाति प्रमाण पत्र को आजीवन मान्यता देने पर सियासत, बीजेपी ने कहा- समाज में विद्वेष फैला रही है सरकार

By

Published : Sep 30, 2021, 1:28 PM IST

Updated : Sep 30, 2021, 1:38 PM IST

ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल की बैठक में आदिवासियों के जाति प्रमाण पत्र को आजीवन मान्यता देने के फैसले को लेकर राजनीति शुरू हो गई है. बीजेपी ने जहां सरकार के इस फैसले की निंदा की है वहीं सरकार इस पर बचाव के मूड में है.

politics on caste certificate
जाति प्रमाण पत्र पर सियासत

रांची: ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल की बैठक में आदिवासियों के जाति प्रमाण पत्र को आजीवन मान्यता देने के फैसले के बाद सियासत चरम पर है. बीजेपी ने जहां सरकार पर निशाना साधते हुए इसे सामाजिक विद्वेष फैलाने वाला कदम बताया है. वहीं संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने अन्य जातियों के प्रमाण पत्र को भी आजीवन मान्यता देने पर विचार करने का संकेत दिये हैं.

ये भी पढ़ें-TAC को असंवैधानिक बताने पर बीजेपी पर भड़के बंधु तिर्की, कहा- आदिवासियों का हित नहीं चाहता विपक्ष

बीजेपी का सरकार पर आरोप

बीजेपी प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू ने कहा कि राज्य सरकार अन्य सभी जातियों के जाति प्रमाण पत्र की वैधता आजीवन करे जिससे बार-बार जाति प्रमाणपत्र बनाने के लिए हो रही परेशानी से निजात मिलेगी. उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति की जाति का निर्धारण जन्म के बाद ही हो जाता है जो जीवनभर रहता है, ऐसे में जाति प्रमाण पत्र की मान्यता हमेशा के लिए होनी चाहिए ना कि सीमित समय के लिए. उन्होंने सरकार से ऐसे कदम नहीं उठाने की अपील की जिससे सामाजिक विद्वेष फैले और लोगों की परेशानी कम होने की बजाय बढ़ जाए.

देखें वीडियो

अन्य जातियों के लिए भी हो रहा है विचार

आदिवासियों के जाति प्रमाण पत्र को आजीवन मान्यता देने के सरकार के फैसले के बाद अब सभी वर्गों के जाति प्रमाण पत्र को आजीवन मान्यता देने की मांग तेज होने लगी है. सभी वर्गों की तरफ से मांग तेज होने के बाद सरकार ने भी इसे मानने को लेकर संकेत दिए हैं. संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने सरकार की ओर से सफाई देते हुए कहा है कि अभी टीएसी में निर्णय हुआ है ना कि इसपर नियम बने हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री इस संबंध में जरूर सभी वर्गों का ध्यान में रखकर फैसला करेंगे.

विवादों में है नवगठित टीएसी
झारखंड में नवगठित ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल विवादों में है. राज्यपाल के अधिकार में कटौती कर मुख्यमंत्री को अधिक पावरफुल बनाये जाने के मुद्दे पर विवाद अभी भी जारी है. फिलहाल इस संबंध में अभी भी संचिका राजभवन में ही है. हालांकि इन सबके बीच नवगठित टीएसी की अब तक दो बैठक हो चुकी है.

सीएम हैं टीएसी के पदेन अध्यक्ष

नवगठित टीएसी के पदेन अध्यक्ष मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हैं, वहीं कल्याण मंत्री चंपई सोरेन को टीएसी का उपाध्यक्ष बनाया गया है. 19 सदस्यीय समिति में मुख्यमंत्री, मंत्री समेत 17 विधायक और दो मनोनीत सदस्य हैं. मुख्यमंत्री के पदेन अध्यक्ष और कल्याण मंत्री के पदेन उपाध्यक्ष के अलावा अनुसूचित जनजाति के जिन 15 विधायकों को सदस्य बनाया गया है उसमें प्रोफेसर स्टीफन मरांडी, नीलकंठ सिंह मुंडा, बाबूलाल मरांडी, बंधु तिर्की, सीता सोरेन, दीपक बिरुआ, चमरा लिंडा, कोचे मुंडा, भूषण तिर्की, सुखराम उरांव, दशरथ गागराई, विकास कुमार मुंडा, नमन विक्सल कोंगाड़ी, राजेश कच्छप, सोनाराम सिंकू शामिल हैं. वहीं दो मनोनीत सदस्य के रुप में विश्वनाथ सिंह सरदार और जमल मुंडा को शामिल किया गया है.

Last Updated :Sep 30, 2021, 1:38 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details