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160 किलोमीटर की पदयात्रा कर रांची पहुंचे कुरमी/कुड़मी विकास मोर्चा के लोग, जानिए क्या है इनकी मांग

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Published : Sep 28, 2021, 8:07 AM IST

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कुरमी/कुड़मी विकास मोर्चा के सदस्य धनबाद से 160 किलोमीटर की यात्रा कर रांची पहुंचे. पदयात्रा में शामिल सैकड़ों लोगों को प्रशासन ने मोरहाबादी मैदान के समीप रोक दिया. मोर्चा बिनोद बिहारी महतो को झारखंड के पितामह का दर्जा देने की मांग कर रहा है.

रांचीः अलग झारखंड राज्य के लिए आंदोलन करने वाले बिनोद बिहारी महतो को झारखंड के पितामह का दर्जा देने की मांग को लेकर कुरमी/कुड़मी विकास मोर्चा के सदस्य धनबाद से रांची पहुंचे. ये लोग धनबाद स्थित बिनोद बिहारी महतो के पैतृक आवास से 160 किमी की विशाल पदयात्रा कर रांची पहुचे. पदयात्रा में शामिल सैकड़ों लोगों को प्रशासन ने मोरहाबादी मैदान के समीप रोक दिया. कुरमी/कुड़मी विकास मोर्चा का यह पैदल मार्च राजभवन तक जाना था.

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कुरमी/कुड़मी विकास मोर्चा का कहना है कि झारखंड अलग राज्य के निर्माण में बिनोद बिहारी महतो का अहम योगदान रहा है. बावजूद इसके आज तक विनोद बिहारी महतो को झारखंड आंदोलनकारी का दर्जा नहीं मिल पाया है. कुरमी/कुड़मी विकास मोर्चा ने राज्य सरकार से विनोद बिहारी महतो को झारखंड पितामाह का दर्जा देने और राजभवन, विधानसभा और रांची के किसी चौक में आदमकद प्रतिमा स्थापित कर सम्मान देने की मांग की है. इसके अलावा झारखंड के पाठ्यक्रम में उनकी जीवनी को शामिल करने की भी मांग की गई है.

आपको बता दें कि झारखंड को अलग राज्य बनाने के लिए लंबे समय तक आंदोलन चला था. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की नींव बिनोद बिहारी महतो ने रखी थी. वह पार्टी के पहले अध्यक्ष बने थे, जबकि शिबू सोरेन महासचिव थे. इससे पहले वह करीब 25 साल तक कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य थे. दूसरी तरफ महाजनी प्रथा के खिलाफ धान काटो अभियान चलाने पर लोगों ने शिबू सोरेन को दिशोम गुरू यानी दसों दिशाओं का गुरू कहना शुरू कर दिया. तब से शिबू सोरेन को गुरूजी भी कहा जाने लगा. लेकिन कुरमी समाज का मानना है कि अलग झारखंड के लिए आंदोलन खड़ा करने वाले बिनोद बिहारी महतो की भूमिका सबसे अहम थी. फिर भी उनको वो सम्मान नहीं मिल सका, जिसके वे हकदार थे.

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