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जेएमएम ने संवैधानिक संस्थाओं पर उठाया सवाल, कहा- चुनाव आयोग अब गोड्डा सांसद से पूछकर कर रहा है काम

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Published : Sep 6, 2022, 9:48 PM IST

जेएमएम ने मुख्यमंत्री के ऑफिशियल पत्र को ट्विटर के माध्यम से सार्वजनिक करने के मामले पर भारतीय जनता पार्टी पर जमकर निशाना साधा है. जेएमएम नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेता संवैधानिक संस्थाओं पर प्रत्यक्ष रूप से कब्जा कर रहे हैं.

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जेएमएम ने संवैधानिक संस्थाओं पर उठाया सवाल

रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राज्य के मुख्यमंत्री के ऑफिशियल और कॉन्फिडेंशियल पत्र को ट्विटर के माध्यम से जाहिर करने के मामले पर भारतीय जनता पार्टी पर जमकर निशाना साधा है. जेएमएम नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेता संवैधानिक संस्थाओं पर प्रत्यक्ष रूप से कब्जा कर रहे हैं.

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सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि जहां बीजेपी की शासन नहीं है, वहां सत्ता में आने का प्रयास कर रही है. इसका प्रमाण झारखंड में देखने को मिल रहा है. उन्होंने कहा कि एक तरफ सोमवार को विश्वास मत हासिल किया जा रहा था तो दूसरी तरफ चुनाव आयोग को मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए ऑफिशियल लेटर को गोड्डा सांसद द्वारा ट्वीट के माध्यम से सार्वजनिक किया जा रहा था. यह संयोग नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग के कार्यालय से प्रेषित और मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी गोपनीय पत्र को सार्वजनिक करना अपराध है.

क्या कहते हैं जेएमएम नेता

सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि सांसद निशिकांत दुबे बीजेपी के सांसद हैं और उनकी पहचान भी है. वह ऑफिस ऑफ सिक्योरिटी एक्ट का उल्लंघन करने में लगे हुए हैं. उन्होंने निशिकांत दुबे पर आरोप लगाते हुए कहा कि दो पत्र अपने ट्विटर के माध्यम से जारी किए हैं. जिसमें एक पत्र मुख्यमंत्री द्वारा चुनाव आयोग को भेजा गया था, जिसपर मुख्यमंत्री का हस्ताक्षर भी है और दूसरे पत्र मुख्यमंत्री का इनिशियल सिग्नेचर था.

जेएमएम नेता ने कहा कि इस पत्र की कॉपी किसी सांसद को नहीं दी गई थी. इस स्थिति में दोनों पत्र बाहर कैसे आए. उन्होंने कहा कि इस तरह यदि भारतीय जनता पार्टी के सांसद गोपनीय पत्र को जारी करते रहेंगे तो यह निश्चित रूप से चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग गोपनीयता नहीं संभाल रही है. उन्हें भेजा गया पत्र सांसद के हाथ कैसे पहुंच गया. यह संयोग नहीं माना जा सकता है. इस तरह के घटना से प्रतीत होता है कि संवैधानिक संस्थाओं पर अब भारतीय जनता पार्टी का प्रत्यक्ष रूप से कब्जा हो गया है.

सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि राज्यपाल रमेश बैस द्वारा बताया गया था कि 2 दिन के अंदर भारत निर्वाचन आयोग को मंतव्य भेज दिया जाएगा. लेकिन पांच दिन बीत जाने के बावजूद अब तक कोई संवाद नहीं हो पाया है. उन्होंने कहा कि निशिकांत दुबे और चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि चुनाव आयोग अब हर काम गोड्डा सांसद से ही पूछ कर कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि विपक्ष में हिम्मत नहीं था. अगर विपक्ष में हिम्मत होता तो सदन के अंदर सरकार के खिलाफ मतदान करें. इसलिए वॉकआउट करने का निर्णय लिया.

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