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Jharkhand High Court: सातवीं जेपीएससी परीक्षा मामले पर हाई कोर्ट की मौखिक टिप्पणी- कट ऑफ डेट से हो रहा अन्याय

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Published : Aug 24, 2021, 7:01 PM IST

Hearing on seventh JPSC exam case in Jharkhand High Court

झारखंड हाई कोर्ट में मंगलवार को दो अहम मामलों पर सुनवाई हुई. सातवीं जेपीएससी परीक्षा मामले पर हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि कट ऑफ डेट से अन्याय हो रहा है, सरकार की गलती का खामियाजा छात्र क्यों भुगतें. वहीं राज्य में निजी स्कूलों को मनमानी तरीके से फीस वसूली नहीं करने के झारखंड सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर हुई सुनवाई में कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है.

रांचीः सातवीं से दसवीं झारखंड लोक सेवा आयोग (Jharkhand Public Service Commission) की ओर से ली जा रही सिविल सेवा परीक्षा (Civil Services Exam) के लिए तय उम्र सीमा निर्धारण कट ऑफ डेट को चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इसको लेकर हाई कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी की है. इस मामले की सुनवाई जारी है, बधुवार को फिर इसकी सुनवाई होगी.

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हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि कट ऑफ डेट से अन्याय हो रहा है, सरकार की गलती का खामियाजा छात्र क्यों भुगतें. वर्ष 2017 से सरकार ने परीक्षा नहीं ली, वर्ष 2017 से वर्ष 2020 तक परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र कहां जाएंगे, सरकार ने कट ऑफ डेट बदल दिया यह सरकार का अधिकार है, पर इससे कई छात्र परीक्षा देने से वंचित रह जाएंगे.

रीना कुमारी और अमित कुमार एवं अन्य की ओर से दायर अपील याचिका पर वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने कोर्ट में पक्ष रखा. प्रार्थियों के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि कट ऑफ डेट में बदलाव के कारण हजारों छात्र परीक्षा देने से वंचित रह जाएंगे. सरकार की ओर से उपस्थित महाधिवक्ता राजीव रंजन एवं अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने अदालत को बताया कि सरकार की ओर से कट ऑफ डेट निर्धारित की गई तिथि सही है और काफी विचार के बाद यह निर्णय लिया गया है.


मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति डॉ. रविरंजन एवं जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में हुई. प्रार्थियों की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2020 में संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा के लिए निकाले गए विज्ञापन में उम्र का कट ऑफ डेट 2011 रखा गया था, पर उस विज्ञापन को वापस ले लिया गया. एक साल बाद ही जेपीएससी की ओर से संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा के लिए फिर से विज्ञापन निकाला गया, जिसमें कट ऑफ डेट एक अगस्त 2016 रखा गया है, याचिका के माध्यम से प्रार्थियों ने इसे घटाकर एक अगस्त 2011 करने की मांग की है.

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निजी स्कूल की ओर से मनमानी फीस के मामले पर सुनवाई

राज्य में निजी स्कूलों को मनमानी तरीके से फीस वसूली नहीं करने के झारखंड सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत में दोनों पक्षों को सुना गया, जिसके बाद राज्य सरकार को 6 सितंबर से पहले अपना जवाब पेश करने को कहा है. जिसमें यह बताने को कहा है कि मामले से संबंधित जनहित याचिका तो हाई कोर्ट में लंबित नहीं है, दोनों पक्षों की सहमति पर मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 6 सितंबर की तिथि निर्धारित की है.

राज्य के निजी स्कूलों में पढ़ाने वाले अभिभावकों की नजर अब हाई कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई है कि कोर्ट से क्या फैसला आता है? उन्हें अपने बच्चों की फीस स्कूल में जमा करना ही होगा या इससे उन्हें राहत मिलती है.

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सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि झारखंड सरकार ने जिस दिल्ली सरकार की तर्ज पर स्कूल में फीस नहीं लेने का आदेश दिया है, उस दिल्ली सरकार के आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी, दिल्ली हाई कोर्ट ने उस आदेश को गलत करार देते हुए रद्द कर दिया है. उसके बाद दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में भी याचिका दायर की.

सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए दिल्ली सरकार की याचिका को खारिज कर दी. अब ऐसे में झारखंड सरकार की ओर से आदेश का हवाला देते हुए यह आदेश दिया गया था, वह आदेश ही सुप्रीम कोर्ट से निरस्त हो गया तो इस आदेश को रद्द कर दिया जाए. अदालत ने प्रार्थी के आग्रह को स्वीकार करते हुए मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 6 सितंबर की तिथि निर्धारित की है. इस बीच राज्य सरकार को अपना जवाब अदालत में पेश करने को कहा है.


झारखंड अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने झारखंड सरकार की फीस वसूल ना करने के आदेश को झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी है. उसी याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों की सहमति से मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 6 सितंबर की तिथि निर्धारित की है. इस बीच राज्य सरकार को कहा है कि मामले से संबंधित जनहित याचिका तो कोर्ट में लंबित नहीं है.

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