पलामूः जिले का तापमान आसमानी खतरे को आमंत्रित कर रहा है. यह आसमानी खतरा लगातार लोगों की जान ले रहा है. पलामू के इलाके में वज्रपात से मौत के आंकड़े पांच वर्षों में छह गुणा तक बढ़ गए हैं. पांच वर्षों में आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़ों में वज्रपात से 129 लोगों की मौत हुई है. लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार 180 से अधिक लोगो की मौतें हुई है.
2015-16 में पलामू में आपदा प्रबंधन के अनुसार वज्रपात में मात्र 6 लोगों की मौत हुई थी, 2020 -21 में 36 लोगों की मौत हुई है. 2022 में अब तक वज्रपात से करीब एक दर्जन लोगों की मौत हुई है. पलामू में वज्रपात से होने वाली मौतों के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं. खेत में काम करने वाले किसान और बारिश के दौरान पेड़ों के नीचे छिपने वाले लोग वज्रपात का शिकार हो रहे हैं. पलामू के कई परिवार वज्रपात के कारण उजड़ गए हैं.
पलामू का तापमान वज्रपात को कर रहा है आमंत्रित, माइनिंग बन रहा बड़ा कारणः 2022 में पलामू में तीन मौकों पर पूरे देश में सबसे अधिक तापमान रिकॉर्ड किया गया है. पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल बताते हैं कि पलामू का बढ़ता तापमान वज्रपात का बड़ा कारण है. वे बताते हैं कि नेतरहाट के इलाके में तापमान काफी कम रहता है. जबकि पलामू में तापमान काफी अधिक है. पलामू के इलाके में बादलों के पहुंचने के बाद, गर्म वातावरण के कारण टकराव बढ़ जाता है, जिसके कारण पलामू में लगातार वज्रपात हो रहे हैं. कौशल किशोर जायसवाल बताते हैं कि पलामू के इलाके में हाल के दिनों में स्टोन माइनिंग काफी बढ़ गई. जिसका यहां के पहाड़ काफी गर्म हो गए हैं. नतीजा है पलामू का तापमान बढ़ रहा है और बारिश भी कम हो रही है. बारिश के दौरान वज्रपात की घटनाएं बढ़ गई हैं.
वज्रपात से कई परिवार उजड़ गए हैं, स्कूलों में भी है बड़ा खतराःवज्रपात के कारण पलामू के कई परिवार पूरी तरह से उजड़ गए हैं. वज्रपात में परिवार ने कमाऊ सदस्य खोया है या उनके बच्चे इसका शिकार हुए हैं. 13 जून 2022 को पलामू के पांकी थाना क्षेत्र में वज्रपात में तो मासूम बच्चों की मौत हो गई थी. दोनों बच्चे परिवार के इकलौती संतान थे. इस घटना में परिवार पूरी तरह से उजड़ गया है. वज्रपात के दौरान खेतों में काम करने वालों के साथ-साथ स्कूली बच्चे भेज शिकार हुए हैं. पलामू में 2564 सरकारी स्कूल हैं, जिसमें से 60 प्रतिशत अधिक स्कूलों में तड़ित चालक नहीं है. पांकी के गोंगो में पढ़ाई करने वाले एक बच्ची से बताया कि बारिश के दौरान जब गर्जन होती है तो उन्हें डर लगता है कि कहीं स्कूल में वज्रपात ना हो जाए.
वज्रपात से होने वाले मौतों पर चार लाख रुपये का है मुआबजा का प्रावधानः वज्रपात से होने वाली मौतों पर आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा चार लाख रुपये मुआवजा का प्रावधान है. प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी बताते हैं कि मामले में पलामू, गढ़वा और लातेहार के अधिकारियों को कई दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. वज्रपात एक बड़ी समस्या रही है. लोगों को जागरूक होने की जरूरत है. प्रमंडलीय आयुक्त ने कहा कि बारिश के दौरान किसान यह लोग सावधान रहें ताकि वे वज्रपात का शिकार नहीं हो. सरकारी रिकॉर्ड में आने के बाद मृतक को मुआवजा दिया जाता है. पलामू में मई, जून, जुलाई, अगस्त, सितंबर के महीने में वज्रपात होती है.