सोलन:हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश से जगह-जगह से नुकसान के मामले सामने आ रहे हैं. सोलन में भी सोमवार को भारी बारिश से अलग-अलग जगहों से नुकसान की खबरें सामने आई है. वहीं, सोलन के कंडाघाट में ममलीघ के गांव जडोंन में बादल फटने से एक ही परिवार के सात लोगों की मौत हो गई. जिससे हर आंख नम दिखाई दे रही हैं. लोगों के साथ-साथ मवेशी भी इस दौरान रोते हुए नजर आ रहे थे और परिवार के सदस्यों को ढूंढते हुए नजर आ रहे थे. मौके की स्थिति को देखते हुए राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह और सोलन विधायक व स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल ने मौके का जायजा लिया और प्रभावित परिवार से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया.
सीएम सुक्खू ने की पीड़ित परिवार से मुलाकात बता दें कि सोलन में बादल फटने से रतिराम (60 वर्ष) के परिवार के सात लोगों की मौत हो गई. रतिराम कुछ वर्ष पहले ही पीडब्ल्यूडी विभाग से सेवानिवृत हुए थे और खेती-बाड़ी का काम करते हैं. उनके साथ उनकी पत्नी, एक बेटी, बेटा-बहु और उनके दो बच्चे ही जिंदा बचे हैं. वहीं, बादल फटने की घटना में रतिराम के बेटे हरनाम सिंह (35 वर्ष) और उनकी पत्नी हेमलता (30 वर्ष), हरनाम के बच्चे राहुल (13 वर्ष)व नेहा (12 वर्ष) की मौत हुई है. वहीं, रतिराम की बेटी कमलेश के पति राकेश (35 वर्ष) और उनके दो बच्चे भावना (11 वर्ष) और गौरव (9 वर्ष)की मौत हुई है.
रतिराम के परिवार पर टूटा कहर दर्दनाक हादसा इस कदर था कि रतिराम को अपनी आंखों के सामने अपने बच्चों, पोतों और नातियों की मौत देखनी पड़ी. रोते बिलखते जो निकल पाए, वो निकल गए, लेकिन जब सांसे बंद हुई तब रतिराम की आस भी टूट गई. घटना में रतिराम के पैरों में भी चोटें आई, लेकिन रतिराम फिर भी अपने परिवार को बचाने की जदोजहद करता रहा. जहां पर यह घटना हुई है, वहां पर तीन घर थे. एक रतिराम के बड़े बेटे का, दूसरा रतिराम की बेटी का, जहां पर उसके बेटी और दामाद बच्चों के साथ रहते थे. वही एक घर में रतिराम अपने छोटे बेटे के साथ रहता था, लेकिन आज यह तीनों ही घर पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं.
बादल फटने से 7 लोगों की मौत जब यह हादसा पेश आया तो रतिराम अपनी पत्नी और अपने छोटे बेटा बहू और अपने दो पोतों के साथ नीचे वाले घर में था, जैसे तैसे करके रतिराम बाहर निकल गया और घर में फंसे लोगों को निकालने का प्रयास किया. रतिराम के परिवार के सात सदस्य इस हादसे में मारे गए. वहीं, उनकी जमीन भी चली गई है. अब सिर्फ अपनों की यादें है, जिनके सहारे रतिराम को जिंदगी गुजारनी पड़ेगी. परिवार में किसी भी सदस्य के जाने का दुःख बहुत बड़ा होता है. बहरहाल सरकार ने पीड़ित परिवार को हरसंभव सहायता देने की बात कही है. प्रभावित परिवार को अलग से जमीन दिलवाने का आश्वासन भी दिया गया है, लेकिन रतिराम का परिवार कब तक इस दर्द से बाहर निकल पाएगा, यह कहना मुश्किल है.
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