हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

Universal Carton for Apple: यूनिवर्सल कार्टन लागू न होने से बागवानों में रोष, कर सकते हैं आंदोलन का रुख

By

Published : Jun 9, 2023, 12:29 PM IST

Updated : Jun 9, 2023, 2:21 PM IST

हिमाचल प्रदेश में सेब के लिए यूनिवर्सल कार्टन पर अभी तक सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने फैसला नहीं लिया है. सरकार ने प्रदेश में सेब को वजन के हिसाब से बेचने का निर्णय तो लिया, लेकिन अभी भी पुरानी व्यवस्था के मुताबिक टेलीस्कोपिक कार्टन के अनुसार ही काम हो रहा है. जिससे बागवानों में सरकार के खिलाफ रोष है. ऐसे में नाराज बागवान आंदोलन का रुख कर सकते हैं.

Apple Growers on Universal Carton.
सेब के लिए यूनिवर्सल कार्टन लागू न होने से हिमाचल के बागवानों में रोष.

शिमला: हिमाचल प्रदेश में सेब सीजन शुरू होने में करीब एक माह का ही वक्त बचा है, लेकिन प्रदेश सरकार ने अभी तक यूनिवर्सल कार्टन को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है. ऐसे में बागवानों में सरकार के खिलाफ रोष बढ़ता जा रहा है. सरकार ने सेब को वजन के हिसाब से बेचने का फैसला तो कर दिया है, लेकिन इसके लिए जो व्यवस्था की गई है, वो पुरानी ही है. यानी टेलीस्कोपिक कार्टन में ही बागवानों को अपना सेब भरना होगा. इससे हिमाचल की मंडियों में सेब को तोलने की दिक्कत तो आएगी ही, साथ में बाहरी मंडियों में इस सिस्टम से सेब नहीं बिक पाएगा. ऐसे में बागवानों को भारी नुकसान होने की आशंका है. यूनिवर्सल कार्टन पर समय रहते फैसला न करने से बागवानों में नाराजगी है. वहीं, बागवानों का संयुक्त किसान मंच इस मसले को लेकर बैठक बुलाकर जल्द ही अपनी रणनीति तैयार करेगा.

पुराने कार्टन के सहारे बागवान:हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने अबकी बार मंडियों में सेब को वजन के हिसाब से बेचने का फैसला लिया है, लेकिन वजन के हिसाब से सेब बेचने के लिए व्यवस्था नहीं की है. मतलब सरकार ने पुराने कार्टन के सहारे बागवानों को छोड़ दिया है. जिसमें बागवानों को अबकी बार टेलीस्कोपिक कार्टन में ही सेब बेचने की नौबत आ रही है. यह वही कार्टन है जिसकी वजह से आज तक बागवानों को जमकर शोषण होता रहा है. अब सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने वजन के हिसाब से सेब बेचने की छूट बागवानों को दे तो दी है, लेकिन इसको जमीनी स्तर पर लागू करना आसान नहीं है. इससे बागवानों को अबकी बार भारी दिक्कतें आने वाली हैं, इसकी चिंता अभी से बागवानों को सताने लगी है.

हिमाचल में यूनिवर्सल कार्टन की मांग.

टेलीस्कोपिक कार्टन से विवाद की संभावना:हिमाचल की मंडियों में भी इस सिस्टम को लागू करना आसान नहीं होगा. इससे बागवानों के साथ-साथ आढ़तियों को भी दिक्कत आएगी. पुराने कार्टन में सेब को बेचने से मंडियों में इसको तोलने में समय बर्बाद होगा और वजन को लेकर भी विवाद होने की संभावना भी रहेगी. यही वजह है कि बागवान इसका एकमात्र हल यूनिवर्सल कार्टन के रूप में देख रहे हैं, जिसको सरकार लागू नहीं कर रही.

24 किलो के सेब बॉक्स का बागवान कर रहे विरोध: सरकार ने जो नोटिफिकेशन जारी की है, उससे विवाद ज्यादा पनपने की आशंका है. नोटिफिकेशन में कहा गया है कि बागवान 24 किलो तक की पेटी को मार्केट में ले जा सकेंगे. इस तरह बागवानों को एक तरह से 24 किलो की पेटी भरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, क्योंकि आढ़ती मार्केट में इसी आधार पर पेटियों को खरीदने के लिए बागवानों पर दवाब डाल सकते हैं. ऐसे में बागवानों को अब भी पेटी के हिसाब से सेब के रेट मिलेंगे, इसकी भी वे आशंका जता रहे हैं. यही नहीं, मार्केट में ले जाने से पहले बागवानों को पेटियों में सेब को तोलना पड़ेगा. इसकी डिटेल भी बनानी होगी जो कि पेचीदा होगी, क्योंकि इसी डिटेल के आधार पर खरीददार मंडियों में बागवानों से सेब की खरीद करता है. फिर मंडियों में आढ़ती पेटियों का वजन करेंगे. अगर सेब का वजन किसी कारणवश पेटियों में बताए गए वजन से कम निकला तो फिर विवाद होगा. अगर पेटी का वजन उस पर दर्शाए गए वजन से मेल नहीं खाता तो फिर बागवानों से कटौती होगी.

हिमाचल में यूनिवर्सल कार्टन लागू न होने से बागवानों में रोष.

बाहरी मंडियों सेब बेचने में आएगी दिक्कत: हिमाचल में बड़ी संख्या में बागवान अपने सेब को बाहरी मंडियों में ले जाते हैं. बाहरी मंडियों में हिमाचल की अपेक्षा सेब के अच्छे दाम मिलते हैं. इस तरह अगर सेब के यूनिवर्सल कार्टन को लागू नहीं किया जाता तो इन बाहरी मंडियों के आढ़ती बागवानों से टेलीस्कोपिक कार्टन में ही भर-भर कर सेब मांगेंगे. जिस तरह अभी तक होता आया है. यानी सेब की पेटियों का वजन 35 किलो तक इन मंडियों में किया जा सकता है, क्योंकि हिमाचल सरकार का बाहरी मंडियों और वहां के आढ़तियों पर कोई बस नहीं है.

यूनिवर्सल कार्टन से सेब बेचना होगा आसान: सरकार हिमाचल की मंडियों में वजन के हिसाब से सेब बेचने के नियम लागू कर सकती है, लेकिन बाहरी मंडियों में वह इस नियम को लागू नहीं कर पाएगी. साफ है कि बागवानों का इन मंडियों में शोषण ही होगा. हालांकि अगर यूनिवर्सल कार्टन पूरे हिमाचल में तय किया जाता है तो इससे बाहरी मंडियों के आढ़ती यहां से बागवानों से अधिक सेब भरने के लिए मजबूर नहीं कर पाएंगे. यूनिवर्सल कार्टन में निर्धारित 20 किलो से ज्यादा सेब आता ही नहीं है. जबकि पुराने टेलीस्कोपिक कार्टन में 35 किलो तक भी सेब भरा जा सकता है.

सेब के लिए हिमाचल में यूनिवर्सल कार्टन की मांग.

बागवानों में सरकार के रवैये को लेकर रोष: हिमाचल में बागवानों में सरकार के ढुलमुल रवैये को लेकर भारी रोष है. बागवान संगठन सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की तैयारी में है. सेब उत्पादक संघ सरकार के खिलाफ आंदोलन करने का ऐलान कर चुका है, हालांकि इसको लेकर वह जल्द रणनीति बनाएगा. इसी तरह किसानों के बड़े संगठन संयुक्त किसान मंच भी अब इस मुद्दे पर जल्द बैठक करने वाला है. संयुक्त किसान मंच में किसानों और बागवानों के 27 संगठन शामिल हैं. मंच संभवतः अगले सप्ताह तक एक बैठकर अपनी रणनीति तैयार करेगा.

आंदोलन की तैयारी में बागवान: संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान का कहना है कि सरकार ने वजन के हिसाब से सेब बेचने की का जो फैसला किया है वो स्वागत योग्य है, लेकिन यूनिवर्सल कार्टन के बिना यह संभव नहीं है. यही वजह है कि बागवान सरकार से लगातार यूनिवर्सल कार्टन लागू करने की मांग कर रहे हैं. सेब सीजन के लिए थोड़ा सा समय बच गया है, सरकार यूनिवर्सल कार्टन पर फैसला अभी तक नहीं ले पाई है. उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मंच इस मसले को लेकर जल्द ही बैठक करेगा, जिसमें इसके सभी संगठनों और सदस्यों की राय लेकर रणनीति तैयार की जाएगी.

यह भी पढे़ं:करसोग बस हादसे के बाद भी नहीं टूटी HRTC की नींद, खटारा बसों के भरोसे आवाजाही, यात्रियों के जान पर मंडरा रहा खतरा!

Last Updated :Jun 9, 2023, 2:21 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details