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पहले IAS, अब विधायक: सदन में जेआर कटवाल के तीखे तेवर, बोले-पहली बार देखी संस्थान बंद करने वाली सरकार

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Published : Mar 15, 2023, 9:57 PM IST

आज हिमाचल विधानसभा बजट सत्र का दूसरा दिन था. ऐसे में दूसरा दिन काफी घटनाप्रधान रहा. भाजपा की तरफ से प्रदेश में बंद किए गए संस्थानों को लेकर जमकर हंगामा किया गया और सरकार को घेरा गया. पढ़ें पूरी खबर...

हिमाचल विधानसभा बजट सत्र.
हिमाचल विधानसभा बजट सत्र.

शिमला: हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र का दूसरा दिन काफी घटनाप्रधान रहा. सदन की कार्यवाही की शुरुआत प्रश्नकाल से होती है, लेकिन भाजपा की तरफ से सात विधायकों ने नियम-67 के तहत चर्चा मांगी. भाजपा विधायकों ने सरकार द्वारा डी-नोटिफाई कर बंद किए गए संस्थानों को लेकर चर्चा की मांग की. कुछ देर हंगामे के बाद स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने इस प्रस्ताव को रद्द करने का मन बनाया, परंतु परिस्थितियां ऐसी बनी की स्पीकर ने चर्चा की अनुमति दे दी.

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विपक्ष पर तंज कसा कि बेशक चर्चा हो जाएगी, लेकिन विपक्ष फिर भी वॉकआउट करेगा. खैर, सदन में हलचल के बाद आखिरकार चर्चा शुरू हुई. इसी दौरान आईएएस अधिकारी रहे और अब झंडूता विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार विधायक बने जेआर कटवाल ने जोरदार तर्कों से सुखविंदर सिंह सरकार को घेरा. कटवाल ने कहा कि संस्थान खोलने का काम सिटिंग गवर्नमेंट का होता है. अब पहली बार ये देखने में आया है कि सरकार संस्थान बंद करने का काम कर रही है.

उन्होंने बल्हसीणा कॉलेज को बंद करने का मामला उठाया. कटवाल ने कहा कि मिड सेशन में अब बच्चे कहां जाएं. यहां 20 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे थे. कटवाल ने कहा कि कोटधार में पीएचसी के साथ दो स्कूल पूर्व सरकार ने अपग्रेड किए थे. अब स्कूल बंद होने से बच्चों को आठ किलोमीटर दूर जाना होगा. ये संस्थान नीड बेस्ड थे. उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र के अन्य संस्थानों का ब्यौरा भी दिया और कहा कि सरकार को सारी परिस्थितियों का रिव्यू करना चाहिए था न कि आनन-फानन में संस्थान बंद करने का फैसला लिया जाना चाहिए था. कटवाल ने अपने आईएएस अधिकारी के सेवाकाल के अनुभव का भरपूर उपयोग करते हुए तथ्यों सहित अपनी बात रखी.

उन्होंने अपने पूर्व वक्ता और कांग्रेस सदस्य राजेश धर्माणी की तरफ से बिना डॉक्टर्स के स्वास्थ्य संस्थानों को खोलने पर पलटवार करते हुए कहा कि ये बताया जाए कि किस नेता की धमकी के कारण बिलासपुर अस्पताल से दो डॉक्टर्स ने नौकरी छोड़ दी थी.चर्चा में शामिल सदन में एकमात्र महिला विधायक व भाजपा सदस्य रीना कश्यप ने कहा कि सरकार ने सिरमौर जिला में 68 संस्थान बंद किए. ये तानाशाही वाला रवैया है. पूर्व सरकार ने आईपीएच का डिविजन दिया था और वो जनता की जरूरत थी. इसके अलावा अन्य संस्थान भी जरूरत के मुताबिक खोले गए थे.

विपिन बोले, तथ्य लाओ 5 बजे तक इस्तीफा दे दूंगा-चर्चा के दौरान सदन में कांग्रेस सदस्य सुरेश कुमार ने कहा कि अगर पूर्व सरकार ने कोरोना के दौरान इतना ही अच्छा काम किया था तो तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री को क्यों हटाया गया? सुरेश कुमार द्वारा विपिन सिंह परमार का जिक्र करने के बाद परमार ने चेयर की अनुमति से जवाब देने के अपने अधिकार का प्रयोग किया. परमार ने कहा कि सुरेश कुमार अपनी बात के पक्ष में तथ्य लेकर आएं और सदन के पटल पर रखें. परमार ने कहा कि यदि सुरेश कुमार तथ्य रखने में सफल होते हैं तो शाम पांच बजे इस्तीफा देकर चले जाएंगे. इस पर स्पीकर कुलदीप पठानिया ने कहा कि सारी बातों को देखने के बाद जो तथ्यहीन बात होगी, उसे सदन के रिकॉर्ड से निकाला जाएगा.

दैवीय शक्ति बनाम दिव्य दृष्टि-सदन में दूसरे दिन कई रोचक घटनाक्रम हुए. सत्ता पक्ष की तरफ से कहा गया कि जयराम सरकार के कार्यकाल के आखिरी समय में सरकार के पास कौन सी दैवीय शक्ति आ गई जो 900 से अधिक संस्थान खोले गए. इस पर विपक्ष की तरफ से पलटवार हुआ. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि 11 दिसंबर 2022 को सत्ता संभालने के एक ही दिन बाद सुखविंदर सिंह सरकार के पास ऐसी कौन सी दिव्य दृष्टि आ गई जो संस्थान बंद कर दिए गए.

सदन का समय बढ़ाया गया-चर्चा लंबी खिंची तो स्पीकर ने सदन का समय डेढ़ घंटे तक बढ़ाया. हालांकि बाद में विपक्ष के वॉकआउट पर चेयर ने कहा कि चूंकि विपक्ष ने वॉकआउट किया है तो चर्चा को रद्द किया जाता है. स्पीकर ने कहा कि चूंकि विपक्ष के सदस्य सदन में नहीं हैं और उन्हें ये प्रस्ताव वापिस लेना था या फिर इस पर वोटिंग होनी थी. विपक्ष सदन के भीतर नहीं है, लिहाजा नियम-67 के तहत स्थगन प्रस्ताव को रिजेक्ट किया जाता है.

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