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भारतीय सेना के सीने पर सोने के तमगों से चमक रहे हिमाचल के जांबाज, ऐसी प्रेरक है वीरभूमि की शौर्यगाथा

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Published : May 31, 2021, 8:43 PM IST

Updated : May 31, 2021, 8:55 PM IST

नेशनल डिफेंस अकादमी से पास आउट होने वाले युवाओं में भारतीय सेना का हिस्सा बनने का उत्साह चरम पर है. इन्हीं युवा अफसरों में हिमाचल प्रदेश के भी नौजवान भी शामिल हैं. पालमपुर के अवधेश कटोच ने तो स्वोर्ड ऑफ ऑनर और गोल्ड मैडल हासिल कर प्रदेश का नाम चमकाया ही है, अन्य युवाओं ने भी वीरभूमि की सैन्य परंपरा को आगे बढ़ाया है

National Defence Academy
फोटो.

शिमला: चेन्नई की मिलेट्री एकेडमी में देश की सेवा करने का संकल्प लेकर हिमाचल का एक युवा प्रवेश करता है. पासिंग आउट परेड में हिमाचल के युवा अवधेश कटोच को न केवल स्वोर्ड ऑफ ऑनर हासिल होता है, बल्कि ओवरऑल मेरिट और बेस्ट कैडेट के तौर पर स्वर्ण पदक भी दिया जाता है. अवधेश कुमार वीरभूमि हिमाचल की उस शौर्य परंपरा का हिस्सा बना है, जिस पर हर प्रदेश वासी को नाज है.

देश के पहले परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा और करगिल युद्ध में विक्रम बत्रा तथा संजय कुमार जैसे परमवीरों की धरती हिमाचल ने अपनी शौर्य गाथा के किस्से लिखने लगातार जारी रखे हैं. भारतीय सेना के चमकते सितारे शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा भी पालमपुर से ही संबंध रखते थे. बड़ी बात ये है कि हिमाचल के हिस्से चार परमवीर चक्र आए हैं. इसके अलावा 1159 शौर्य मैडल वीरभूमि हिमाचल को मिले हैं. हिमाचल प्रदेश की इस शौर्य गाथा का गान करने से पहले हाल ही में नेशनल डिफेंस अकादमी से पास आउट यहां के युवाओं का संक्षिप्त परिचय हासिल करते हैं.

इस बार ये युवा बने अफसर

नेशनल डिफेंस अकादमी से पास आउट होने वाले युवाओं में भारतीय सेना का हिस्सा बनने का उत्साह चरम पर है. इन्हीं युवा अफसरों में हिमाचल प्रदेश के भी नौजवान भी शामिल हैं. पालमपुर के अवधेश कटोच ने तो स्वॉर्ड ऑफ ऑनर और गोल्ड मैडल हासिल कर प्रदेश का नाम चमकाया ही है, अन्य युवाओं ने भी वीरभूमि की सैन्य परंपरा को आगे बढ़ाया है. जिला कांगड़ा के पालमपुर के शशांक शर्मा अपने दादा की विरासत को आगे बढ़ाते हुए सेना में अफसर बने हैं.

इसी तरह ऋषभदेव शर्मा नौसेना में अफसर होंगे. ऋषभदेव शर्मा बिलासपुर जिला से हैं. उसी बिलासपुर जिला से, जहां के संजय कुमार ने करगिल युद्ध का पासा पलटा था और परमवीर चक्र से अलंकृत हुए थे. इसी कड़ी में मंडी जिला केअनिरुद्ध शर्मा भारतीय वायुसेना का हिस्सा होंगे. कांगड़ा के रोहित लेफ्टिनेंट बने हैं तो ऊना के शुभम ठाकुर भी सेना में लेफ्टिनेंट का पद संभालेंगे. इसी तरह हिमाचल की बेटियां किसी से कम नहीं हैं. विक्रम बत्रा की धरती पालमपुर की बेटी आरजू बावा भी सेना में अफसर बनी हैं. उनके पिता कर्नल गुरप्रीत बावा भी सेना में हैं.

इसी तरह शिमला जिला के ओजस कैंथला अपने परिवार की बहादुरी की विरासत को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे. पिता और चाचा के बाद अब ओजस ने सेना में अफसर बनकर देश की सेवा में कदम बढ़ाया है. ओजस के पिता भारतीय सेना में कर्नल हैं तो चाचा बिग्रेडियर के पद पर हैं. सोलन के चेतन जग्गा भी भारतीय सेना का गौरवपूर्ण हिस्सा बने हैं. ये तो इस बार की पासिंग आउट परेड के सितारे हैं,

गैलेंट्री अवॉर्ड से दमक रहा हिमाचल का शौर्य

छोटा पहाड़ी प्रदेश हिमाचल वीरों की भूमि है. यहां के डेढ़ लाख से अधिक वीर सपूत सेना में सेवाएं देकर देश की रक्षा में योगदान दे रहे हैं. प्रदेश में पौने दो लाख के करीब पूर्व सैनिक हैं. हिमाचल की शौर्य परंपरा पर नजर डाली जाए तो यहां के वीरों को अब तक चार परमवीर चक्र, दस महावीर चक्र, 51 वीर चक्रों सहित कुल 1159 गैलेंटरी अवॉर्ड मिल चुके हैं. यदि जनसंख्या को आधार माना जाए तो भारतीय सेना में सबसे अधिक शौर्य सम्मान हिमाचल के हिस्से ही आए हैं. मेजर सोमनाथ शर्मा ने जिस शौर्य गाथा की नींव रखी थी, उस पर मेजर धनसिंह थापा, कैप्टन विक्रम बत्रा और सूबेदार संजय कुमार सहित सैंकड़ों वीरों ने बहादुरी की शानदार इमारत खड़ी की है. कुल 1159 शौर्य सम्मानों में भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान के तौर पर 4 परमवीर चक्र, 2 अशोक चक्र, दस महावीर चक्र, 18 कीर्ति चक्र, 51 वीरचक्र, 89 शौर्य चक्र व 985 अन्य सेना मैडल शामिल हैं.

हर दसवें हिमाचली वीर के सीने पर सजा है मैडल

आबादी के लिहाज से देखा जाए तो भारतीय सेना को मिले शौर्य सम्मानों में से हर दसवां मैडल हिमाचली वीर के सीने पर सजा है. अदम्य साहस की दृष्टि से देखें तो मेजर सोमनाथ शर्मा की बहादुरी ने देश के पहले परमवीर चक्र की गाथा लिखी.कबायली हमले के दौरान मेजर सोमनाथ की दिलेरी किसी परिचय का मोहताज नहीं है. इसी तरह 1962 की जंग में मेजर धनसिंह थापा ने अपने जीवट से सारी दुनिया को कायल किया था. करगिल की जंग में कैप्टन विक्रम बत्रा का खौफ पाकिस्तान की सेना पर इस कदर था कि वो उसे शेरशाह पुकारते थे. पीड़ा की बात ये कि कैप्टन बत्रा ने अंतिम सांस युद्ध भूमि में ली.उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र मिला. करगिल जंग में ही राइफलमैन (अब सूबेदार मेजर) संजय कुमार का साहस अतुलनीय रहा है.इसी तरह बिग्रेडियर खुशाल सिंह ठाकुर की करगिल में शौर्य गाथा को भला कैसे भुलाया जा सकता है.

सैन्य परिवारों को मिलती हैं कई सुविधाएं

हिमाचल के वीर सपूतों को यहां की सरकार भी सिर-आंखों पर बिठाती है. प्रदेश में सैन्य परिवारों को कई तरह की सुविधाएं दी जाती हैं.कठिन समय में भी सरकार उनका सहारा बनती है. प्रदेश में युद्ध विधवाओं यानी वीर नारियों की बेटियों के विवाह के लिए राज्य सरकार पचास हजार रुपए की सहायता राशि प्रदान करती है. प्रदेश में 1050 वीर नारियों को सम्मान दिया जाता है. इसी तरह किसी एक्शन या ऑपरेशन के दौरान शहीद होने वाले सेना और अर्धसैनिक बलों के आश्रितों को भी सहायता दी जाती है.

सेना व अर्ध सैनिक बलों में सेवा के दौरान युद्ध में शहीद होने पर 20 लाख रुपये, घायल होने पर 5 लाख रुपये तथा 50 प्रतिशत या इस से अधिक विकलांग होने की स्थिति में 2.50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि मिलती है. हिमाचल सरकार ने परमवीर चक्र, अशोक चक्र विजेताओं को मिलने वाले अनुदान को एकमुश्त 25 लाख रुपये से बढ़ाकर 30 लाख रुपए किया है. साथ ही सेना के महावीर चक्र विजेताओं के अनुदान को भी 15 लाख रुपए से बढ़ाकर 20 लाख रुपए किया गया है.

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कहना है कि राज्य सरकार सैन्य परिवारों के मान-सम्मान में हमेशा अग्रणी रही है. हिमाचल वीर भूमि है और यहां के युवा सेना में सेवा करके गौरव का अनुभव करते हैं. हिमाचल को देश के पहले परमवीर चक्र विजेता की धरती होने का सम्मान हासिल है. हाल ही में कई युवाओं ने सेना में अफसर बनकर प्रदेश की शौर्य परंपरा को विस्तार दिया है.

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Last Updated : May 31, 2021, 8:55 PM IST

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