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मरीजों को अब नहीं होगी परेशानी, DDU में जल्द मिलेगी लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की सुविधा

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Published : Mar 4, 2021, 12:18 PM IST

डीडीयू अस्पताल में लेप्रोस्कोपी सर्जरी की सुविधा जल्द ही शुरू होने वाले हैं. डीडीयू एमएस डॉ. रमेश चौहान ने बताया कि अब सर्जरी आधुनिक तरीके से की जाती है. लेप्रोस्कोपिक सर्जरी चिकित्सा की अत्याधुनिक पद्धति है.

DDU shimla
DDU shimla

शिमला: पित्त की पोटली (गॉल ब्लैडर) की पत्थरी से परेशान लोगों को लेप्रोस्कोपी सर्जरी के लिए महंगे अस्पताल का रुख नहीं करना पड़ेगा. डीडीयू अस्पताल में लेप्रोस्कोपी सर्जरी की सुविधा जल्द ही मिल जाएगी. अस्पताल प्रशासन की ओर से सरकार को लेप्रोस्कोपिक सेट खरीदने की स्वीकृति मांगी है. बी माइक्रोस्कोप के माध्यम से मरीज की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी (दूरबीन शल्य चिकित्सा) की जाएगी जोकि दर्द रहित होगी.

डीडीयू एमएस डॉ. रमेश चौहान ने बताया कि अब सर्जरी आधुनिक तरीके से की जाती है. लेप्रोस्कोपिक सर्जरी चिकित्सा की अत्याधुनिक पद्धति है. इसमें टेलीस्कोप को वीडियो कैमरा के साथ जोड़ा जाता है और कैमरे को छोटे चीरे के जरिए नाभी के नीचे लगाकर पेट में डाला जाता है. यह बहुत छोटा चीरा होता है. इससे पूरे पेट की जांच की जाती है.

वीडियो.

कई तरह की सर्जरी के लिए कारगर लेप्रोस्कोपी तकनीक

टेलीस्कोप से पेट के अंदर के सारे अंग और मांसपेशियों के बड़े चित्र कंप्यूटर मॉनिटर की स्क्रीन पर साफ दिखते हैं और उन्हें देखकर ऑपरेशन किया जाता है. उन्होंने बताया कि हर जगह चाहे गाल ब्लैडर की सर्जरी हो या हर्निया की, अपेंडिक्स लेप्रोस्कोप से हो रही है. हमे भी दुनिया के साथ इसको मिलाकर रखना है, इसलिए हमने लेप्रोस्कोपिक की खरीद के लिए सरकार से स्वीकृति मांगी गई है ताकि यहां पर भी लोगों को आधुनिक सेवाएं दी जा सके.

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एक दिन में घर लौट सकता है मरीज

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी दर्द रहित, सुरक्षित और जल्द होने वाली सर्जरी है. आधे से पौने घंटे के बीच मरीज की सर्जरी हो जाती है. इसके अलावा मरीज एक दिन बाद ही घूम-फिर सकता है. इसमें जल्दी स्वास्थ्य लाभ होता है और मरीज उसी दिन अपने घर भी जा सकता है. इस सर्जरी में संक्रमण होने की संभावना बहुत कम होती है. कम चीर-फाड़ होने के कारण खून का स्त्राव अधिक नहीं होता.

ओपन सर्जरी की अगर तुलना में यह सर्जरी महंगी नहीं होती है, क्योंकि जितना खर्च मरीज को ओपन सर्जरी के बाद मरीज के अस्पताल में रहने और तीमारदार के खर्च पर आता है. करीब उतने में ही लेप्रोस्कोपी के बाद मरीज स्वस्थ होकर घर जा सकता है. ऐसे में मरीज पर होने वाले बाकी खर्च बच जाते हैं.

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