शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने जल शक्ति विभाग में मल्टीपर्पज वर्करों की नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका में स्पष्ट किया है कि इन वर्करों का चयन याचिका के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने दीपक कुमार व अन्य लोगों की दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किए.
याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार राज्य सरकार ने पैरा फीटर, पैरा पंप ऑपरेटर और मल्टीपर्पज वर्करों के पदों को भरने के लिए साक्षात्कार लिए थे. पैरा फिटर और पेरा पंप ऑपरेटर के पदों को भरने के लिए बीपीएल श्रेणी को एक अतिरिक्त अंक देने का निर्णय लिया गया, जबकि मल्टीपर्पज वर्कर के लिए बीपीएल श्रेणी के उम्मीदवारों को यह प्रावधान नहीं रख गया.
प्रार्थीयों का कहना है कि ऐसा कर राज्य सरकार ने मल्टीपर्पज पदों को भरने के लिए बीपीएल श्रेणी के उम्मीदवारों के साथ भेदभाव किया. यही नहीं इन पदों के लिए एससी-एसटी और ओबीसी श्रेणी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए अतिरिक्त अंक दिए जाने का कोई प्रावधान भी नहीं रखा गया.
प्रार्थियों का कहना है कि इन पदों को भरने के लिए रोस्टर सिस्टम का पूर्णतया पालन भी नहीं किया गया. प्रार्थियों के अनुसार चयन प्रक्रिया के दौरान फिजिकल टेस्ट भी नहीं करवाया गया जो कि फिजिकल एक्सपर्ट की मौजूदगी में किया जाना अनिवार्य था.
प्रार्थियों का यह भी आरोप है कि चयन प्रक्रिया के दौरान गलत तरीके से योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार करते हुए कुछ अपने चाहतों को इन पदों पर नियुक्ति प्रदान कर दी गई. राज्य सरकार को इस मामले में याचिका का जवाब दाखिल करने का आदेश दिए गए हैं. मामले पर सुनवाई 27 नवंबर को होगी.