हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

हाई कोर्ट के आदेश को हल्के में न ले प्रशासन, नेशनल हाईवे के किनारे शौचालयों की पर्याप्त व्यवस्था न होने पर मुख्य सचिव से मांगा शपथपत्र

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 6, 2023, 7:09 AM IST

Himachal High Court on HP Administration: हिमाचल प्रदेश में हाईवे के किनारे शौचालय एवं मूलभूत सुविधा मुहैया करवाने के कोर्ट के आदेश को न मानने पर हिमाचल हाई कोर्ट ने प्रशासन पर सख्त टिप्पणी की है. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा की अदालत के आदेश को प्रशासन हल्के में न ले.

Himachal High Court
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने छह साल पहले नेशनल हाईवेज के किनारों पर शौचालय व अन्य मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाने के आदेश जारी किए थे. सभी जिलों के डीसी को ये आदेश दिए गए थे कि नेशनल हाईवे के किनारे सभी मूलभूत सुविधाएं होनी चाहिए. इस मामले की ताजा सुनवाई पर कोर्ट मित्र ने बताया कि 2017 में पारित आदेश को लेकर अभी भी स्थिति जस की तस है. इस पर हिमाचल हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है.

अदालत ने कहा कि महाधिवक्ता कार्यालय के आदेश को हल्के में लेने पर ये माना जाएगा कि हाई कोर्ट के ही आदेश हल्के में लिए जा रहे हैं. ये प्रवृत्ति सहन नहीं होगी. अब हिमाचल हाई कोर्ट ने हाईवे के किनारों पर शौचालयों सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध न करवाने से जुड़े मामले में राज्य सरकार के मुख्य सचिव को दो हफ्ते के भीतर शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश जारी किए हैं. यही नहीं, हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को इस मामले में छह साल में उठाए गए कदमों की व्यापक रिपोर्ट भी दाखिल करने के आदेश दिए हैं.

मामले के अनुसार हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में विगत छह साल यानी वर्ष 2017 से सड़कों के किनारे मूलभूत सुविधाओं की कमी को लेकर एक जनहित याचिका पर सुनवाई हो रही है. तब से लेकर अभी तक हाई कोर्ट ने सरकार को इस बारे में समय-समय पर कई निर्देश जारी किए हैं. इन निर्देशों में सरकार को हाईवे के किनारे वांछित सुविधाएं उपलब्ध कराने के आदेश जारी किए गए. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र ने बताया कि जो स्थिति 2017 में थी, अभी भी वैसी ही है. अब हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को सड़कों के किनारे शौचालय सुविधाओं की जानकारी देने को कहा है.

हिमाचल हाई कोर्ट ने जनहित से जुड़े इस मामले में प्रदेश के सभी जिलाधीशों को आदेश दिए थे कि वह इन सड़कों के आसपास की सफाई कार्य से जुड़ी सभी अथॉरिटी के साथ बैठक करें. कोर्ट ने सरकारी अधिकारियों के रवैये पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था कि हाई कोर्ट के आदेशानुसार महाधिवक्ता कार्यालय से जारी निर्देशों को हल्के में लेना वास्तव में हाई कोर्ट को हल्के में लेना माना जाएगा. अदालत ने कहा था कि दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ मजबूरन कड़ी कार्रवाई करनी पड़ेगी.

मामले की सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष बताया गया कि कि प्रदेश में हर साल तकरीबन 2 करोड़ पर्यटक आते हैं. प्रदेश में आने वाले पर्यटकों की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए सड़कों के किनारे पर्याप्त शौचालय तक नहीं है. मजबूरन पर्यटकों व अन्य यात्रियों को खुले में शौच जाना पड़ता है. इससे स्थानीय जल स्रोत व पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचता है. खुले में गंदगी करने से गंभीर बीमारियों के फैलने का खतरा भी पैदा हो रहा है. आने वाले समय में यह स्थिति भयावह रूप ले लेगी, जिससे निपटने के लिए अभी से तैयारी करनी होगी. मामले पर अगली सुनवाई 21 दिसंबर को होगी.

ये भी पढ़ें:सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती मामले में हाईकोर्ट में बदली खंडपीठ, अब 7 दिसंबर को सुनवाई करेगी नई बैंच

ABOUT THE AUTHOR

...view details