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जैविक खेती को बढ़ावा दे रही सरकार, 50 हजार किसानों को प्रशिक्षण देना का रखा गया लक्ष्य

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Published : Oct 30, 2019, 11:06 AM IST

Updated : Oct 30, 2019, 11:25 AM IST

मुख्य सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी ने इस दौरान कहा कि जैविक और शून्य बजट प्राकृतिक खेती के तहत वर्तमान वर्ष में 50 हजार किसानों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा है. अभी तक 29579 किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है. 15391 किसान प्रशिक्षण लेने के बाद प्राकृतिक खेती शुरू करना शुरू कर चुके हैं.

cs shri kant baldi meeting with zero budget farming state task force committee

शिमला: जैविक एवं शून्य बजट खेती को प्रोत्साहित करने के लिए गठित की गई राज्य स्तरीय टास्क फोर्स कमेटी के साथ सचिवालय में मुख्य सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी ने बैठक की. बैठक में शून्य बजट खेती में किसानों को आ रही समस्याओं को लेकर चर्चा की गई.

मुख्य सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी ने इस दौरान कहा कि जैविक और शून्य बजट प्राकृतिक खेती के तहत वर्तमान वर्ष में 50 हजार किसानों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा है. अभी तक 29579 किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है. 15391 किसान प्रशिक्षण लेने के बाद प्राकृतिक खेती शुरू करना शुरू कर चुके हैं. राज्य की कुल 3226 पंचायतों में से 2209 पंचायतों को इस योजना में लाया गया है.

मुख्य सचिव ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आवंटित 19.03 करोड़ की राशि में 14.36 करोड़ सभी जिलों को विभिन्न गतिविधियों के लिए आवंटित किए गए हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसानों के प्राकृतिक खेती को अपनाने में बागवानी की प्रमुख भूमिका है. किसानों के लिए प्राकृतिक खेती के अंतर्गत आने वाली विभिन्न फसलों से संबंधित पद्धतियों की एक सूची बनाई जानी चाहिए.

राज्य स्तरीय टास्क फोर्स कमेटी के साथ की गई बैठक में मास्टर प्रशिक्षक को मार्च 2020 तक एक माह में अधिकतम पांच बार प्रशिक्षण देने की स्वीकृति दी गई. बैठक में कृषि तकनीक प्रबंधन एजेंसी (आत्मा) के अंतर्गत नियुक्त खंड तकनीक प्रबंधक और सहायक तकनीक प्रबंधक को मार्च 2020 तक प्रतिमाह 2500 रुपये की अतिरिक्त राशि देने को भी मंजूरी दी गई.

Intro:मुख्य सचिव ने प्राकृतिक खेती में बागवानी के महत्व पर दिया बल
मुख्य सचिव डाॅ. श्रीकान्त बाल्दी ने कहा कि प्रदेश में किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती को अपनाने में बागवानी की प्रमुख भूमिका है। किसानों के लिए प्राकृतिक खेती के अन्तर्गत आने वाली विभिन्न फसलों से संबंधित पद्धतियों की एक सूची बनाई जानी चाहिए। प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए। प्रशिक्षित किसानों की प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए रिफ्रेशर प्रशिक्षण आयोजित किए जाने चाहिए।

डाॅ. बाल्दी आज यहां प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अन्तर्गत जैविक तथा शून्य बजट प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए गठित राज्य स्तरीय टाॅस्क फोर्स की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।Body:राज्य में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अन्तर्गत हुई प्रगति की प्रशंसा करते हुए, उन्होंने कहा कि वर्तमान वर्ष में इस योजना के तहत 50 हजार किसानों को प्रशिक्षण प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना के अन्तर्गत अभी तक 29579 किसानों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है, जिसमें से 15391 किसानों ने अपने खेतों में प्राकतिक खेती आरम्भ कर दी है। राज्य की कुल 3226 पंचायतों में से 2209 पंचायतों को इस योजना के तहत लाया गया है।

उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आवंटित 19.03 करोड़ रुपये की रशि में से 14.36 करोड़ रुपये सभी जिलों को विभिन्न गतिविधियों के लिए आवंटित किए गए हैं।

बैठक में मास्टर प्रशिक्षक को मार्च, 2020 तक एक माह में अधिकतम पांच बार प्रशिक्षण प्रदान करने की स्वीकृति प्रदान की गई, जिससे प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार किया जा सके। बैठक में कृषि तकनीक प्रबन्धन एजेंसी (आत्मा) के अन्तर्गत नियुक्त किए गए खण्ड तकनीक प्रबन्धक (बी.टी.एम.) और सहायक तकनीक प्रबन्धक (ए.टी.एम.) को मार्च, 2020 तक प्रतिमाह 2500 रुपये की अतिरिक्त राशि प्रदान करने को भी स्वीकृति प्रदान की गई।

प्रधान सचिव कृषि ओंकार चन्द शर्मा, शून्य बजट प्राकृतिक कृषि के राज्य परियोजना निदेशक राकेश कंवर, निदेशक कृषि डाॅ. आर.के. कौंडल, निदेशक बागवानी डाॅ. एम.एल. धीमान, निदेशक पशुपालन डाॅ. स्वदेश कुमार चैधरी, डाॅ. यशवंत सिंह परमार बागवानी एवं वाणिकी विश्वविद्यालय नौणी सोलन व चैधरी सरवन कुमार हि.प्र. कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर, कांगड़ा के प्रतिनिधियों सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।Conclusion:
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