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जोशीमठ में भू-धंसाव से सीख: भूकंप क्षेत्रों का होगा अध्ययन,अग्रिम चेतावनी प्रणाली होगी विकसित

उत्तराखंड के जोशीमठ से सीख लेकर अब हिमाचल ने कदम उठाना शुरू कर दिया है. सीएम सुखविंदर सिंह ने अग्रिम चेतावनी प्रणाली विकसित करने का निर्देश अधिकारियों को दिया है.(CM Sukhvinder instructions)

CM Sukhvinder instructions
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Published : Jan 31, 2023, 9:12 AM IST

शिमला:उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव के मद्देनजर हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने भविष्य में प्रदेश को इस तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े इसको लेकर अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए. सीएम सुखविंद सिंह नेअधिकारियों को आपदा प्रबंधन प्रतिक्रिया क्षमता प्रणाली में सुधार के लिए एक अग्रिम चेतावनी प्रणाली विकसित करने का निर्देश दिया है.

भूकंप संभावित क्षेत्रों को पहचाना जाएगा:प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री के इस निर्णय से भूकंप संभावित क्षेत्रों की पहचान करने में सहायता मिलेगी. भूस्खलन एवं धंसाव वाले क्षेत्रों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने में भी यह मददगार साबित होगी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने राज्य में संस्थागत और व्यक्तिगत स्तर पर तैयारियों के अलावा प्रतिक्रिया और जागरूकता प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी बल दिया है.

भूकंप क्षेत्रों को लेकर अध्ययन:प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री ने राज्य आपदा प्रतिक्रिया निधि के माध्यम से राज्य विद्युत बोर्ड को दी जा रही सहायता को बढ़ाने और राज्य आपदा राहत नियमावली में आवश्यक संशोधन करने के भी निर्देश दिए हैं. उन्होंने नई और उन्नत तकनीक के माध्यम से ग्लेशियरों की उचित मैपिंग और भूकंप की अधिक संभावना वाले क्षेत्रों का अध्ययन करने के लिए भी कहा है.

हिमाचल में भूस्खलन का खतरा:हिमाचल प्रदेश अपने प्राकृतिक सौंदर्य, बर्फ से ढके हिमालय और खूबसूरती के लिए जाना जाता है. हर वर्ष लाखों पर्यटक यहां पहुंचते हैं, लेकिन यहां भूस्खलन, बादल फटने और अचानक बाढ़ व अन्य प्राकृतिक आपदाओं के संभावित खतरे भी लगातार बने रहते हैं. प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार के इस निर्णय से आपदाओं के मामले में अग्रिम चेतावनी की तकनीक विकसित करने और आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम करने में सहायता मिलेगी.

जोशीमठ को लेकर दी गई थी रिपोर्ट:जानकारी के मुताबिक1976 में जोशीमठ को लेकर रिपोर्ट दी गई थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि ऊपर से मलबा नीचे आया ,जिस पर जोशमठ बना हुआ है. हर स्लोप या मलबे की लोड बेअरिंग (भार सहन करने की क्षमता) कैपेसिटी होती है. मिश्रा कमेटी ने साफ कहा था इस इलाके में कोई बड़ा निर्माण नहीं होना चाहिए. इसे किसी ने गंभीरता से नहीं लिया और निर्माण होते रहे.

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