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पराला फ्रूट प्रोसेसिंग प्लांट में हर साल 1800 मीट्रिक टन एप्पल कंसंट्रेट होगा तैयार, एप्पल वाइन और विनेगर भी बनेगा

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Published : Feb 15, 2023, 10:33 PM IST

शिमला जिला के ठियोग में पराला में बनने जा रहे हिमाचल के इस आधुनिक फ्रूट प्रोसेसिंग प्लांट का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. पराला के इस प्लांट में हर साल 1800 मीट्रिक टन एप्पल कांस्ट्रेट तैयार किया जाएगा. इसके अलावा सालाना 1 लाख लीटर एप्पल वाइन और 50 हजार लीटर एप्पल विनेगर यानी सेब का सिरका भी यहां तैयार किया जाएगा. (Parala Fruit Processing Plant) (Apple concentrate in Parala Fruit Processing Plant) (apple production in himachal)

पराला फ्रूट प्रोसेसिंग प्लांट
पराला फ्रूट प्रोसेसिंग प्लांट

शिमला: हिमाचल सेब उत्पादक राज्य के तौर पर जाना जाता है. करीब साढ़े चार हजार करोड़ की आर्थिकी सेब की है, लेकिन बड़े स्तर पर तैयार हो रहे सेब के उत्पाद बनाने के लिए हिमाचल में सुविधा न के बराबर है. ऐसे में बागवान औने पौने दामों पर ही अपना सेब बेचने को मजबूर हैं. हिमाचल में अब सेब से उत्पाद तैयार करने के लिए प्रयास शुरू हो गए हैं. इसी कड़ी में हिमाचल में एक बड़ा एप्पल प्रोसेसिंग प्लांट सेब बागवानों को मिलने वाला है. पराला में 100 करोड़ की लागत से एप्पल प्रोसेसिंग प्लांट बनाया जा रहा है, जिसको इस सेब सीजन में शुरू करने की तैयारियां की जा रही है.

100 करोड़ की लागत से बन रहा एप्पल प्रोसेसिंग प्लांट: इस प्लांट के बनने से हिमाचल करीब 1800 मीट्रिक टन एप्पल जूस अतिरिक्त तैयार करने लगेगा. इसके अलावा करीब 1 लाख लीटर एप्पल वाइन और 50 हजार लीटर एप्पल विनेगर भी यहां बनने लगेगा. हिमाचल सरकार पराला में 100 करोड़ की लागत से फ्रूट प्रोसेसिंग प्लांट का निर्माण विश्व बैंक की वित्त पोषित बागवानी विकास परियोजना के तहत कर रही है. विश्व बैंक की करीब 1066 करोड़ की परियोजना को हिमाचल में लागू किया गया है. इसके एक हिस्से के तहत फूड प्रोसेसिंग प्लांट को पराला में स्थापित किया जा रहा है. विश्व बैंक की यह परियोजना इस साल जून में समाप्त हो रही है, हालांकि सरकार ने इसकी विश्व बैंक से एक्सटेंशन मांगी है. ऐसे में सरकार का प्रयास है कि इसी सीजन से इस प्लांट को शुरू कर दिया जाए ताकि बागवानों को इसी सीजन में इसका फायदा मिले. बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने बीते दिनों पराला का दौरे के दौरान फ्रूट प्रोसेसिंग प्लांट का निरीक्षण भी किया.

बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने फ्रूट प्रोसेसिंग प्लांट का निरीक्षण किया

फ्रूट प्रोसेसिंग प्लांट इसी साल शुरू करने का टारगेट: शिमला जिला के ठियोग में पराला में बनने जा रहे हिमाचल के इस आधुनिक फ्रूट प्रोसेसिंग प्लांट का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. यह आधुनिक प्लांट होगा जिसके लिए मशीनरी विदेशों से लाई गई है और इसका निर्माण कार्य तेजी से किया जा रहा है. हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने इस सेब सीजन में प्लांट को इसी साल सेब सीजन में शुरू करने का टारगेट रखा है. बताया जा रहा है कि इसका कुछ कार्य बचा हुआ है. प्लांट के लिए पानी की व्यवस्था की जा रही है. इसके अलावा यहां के लिए रोड को भी चौड़ा किया जाएगा.

हर साल 1800 मीट्रिक टन एप्पल कंसंट्रेट होगा तैयार: पराला के इस प्लांट में हर साल 1800 मीट्रिक टन एप्पल कांस्ट्रेट तैयार किया जाएगा. इसके अलावा सालाना 1 लाख लीटर एप्पल वाइन और 50 हजार लीटर एप्पल विनेगर यानी सेब का सिरका भी यहां तैयार किया जाएगा. बता दें कि हिमाचल में अभी तक दो फ्रूट प्रोसेसिंग प्लांट सरकारी क्षेत्र में हैं. इनमें एक प्लांट परवाणू में हैं जहां पर सालाना करीब 850 मीट्रिक टन एप्पल कांस्ट्रेट तैयार किया जा रहा है. दूसरा सुंदरनगर के जरोल में है जहां 150 मीट्रिक टन एप्पल कंस्ट्रेट तैयार होता है. जरोल के प्लांट में जैम और आचार आदि उत्पाद भी तैयार होते है. इसके अलावा परवाणू में एक टेट्रा पैक प्लांट भी है जिसमें रोजाना 200 मिली. जूस के 7300 पैक तैयार किए जा सकते हैं.

शिमला जिला में तैयार होता है 80 फीसदी सेब

नाशपाती के उत्पाद तैयार करने पर भी सरकार कर रही विचार: पराला में बन रहे फूड प्रोसेसिंग प्लांट में मुख्यतः सेब को प्रोसेस किया जाएगा क्योंकि हिमाचल में सबसे ज्यादा सेब का ही पैदावार होता है. इसके अलावा यहां नाशपती या अन्य फलों के प्रोसेस करने के विकल्प पर भी सरकार विचार कर रही है. ऊपरी शिमला सहित कई सेब उत्पादक क्षेत्रों में नाशपाती की पैदावार अब तेजी से बढ़ने लगी है. ऐसे में सरकार सेब के के अलावा नाशपाती या अन्य फलों के उत्पाद तैयार करने की संभावना भी देख रही है.

प्लांट में हजारों टन सेब का होगा इस्तेमाल: पराला में फ्रूट प्रोसेसिंग प्लांट के शुरू होने से हजारों टन सेब का इस्तेमाल यहां होने लगेगा. तकरीबन 200 टन रोजाना सेब का इस्तेमाल इस प्लांट में किया जा सकता है. इस तरह अगर तीन माह के सेब सीजन यानी 90 दिन की इसकी क्षमता को देखा जाए तो यहां करीब 18000 मीट्रिक टन सेब का इस्तेमाल होगा. सेब के अलावा अगर नाशपाती या अन्य फलों के जूस या उत्पाद यहां तैयार किए जाते हैं, इस प्लांट का ज्यादा इस्तेमाल होगा. सेब और नाशपाती के फल के तैयार होने का समय अलग रहता है, ऐसे में इस प्लांट को तीन माह से अधिक भी चलाया जा सकता है.

हर साल 1800 मीट्रिक टन एप्पल कांस्ट्रेट 1 लाख लीटर एप्पल वाइन और 50 हजार लीटर एप्पल विनेगर भी तैयार किया जाएगा

बागवानों को इस प्लांट के लगने से होगा फायदा: हिमाचल में अभी तक एप्पल फूड प्रोसेसिंग प्लांट की कमी है. इसके चलते सेब का ज्यादा इस्तेमाल नहीं होता. अगर सेब को प्रोसेस कर इसके अन्य उत्पाद जैसे कांस्ट्रेट, जूस, जैम आदि तैयार किया जाता है तो इससे सेब की डिमांड बढ़ेगी और इसका बागवानों को सीधा फायदा होगा. बागवानों को उनके सेब के उचित दाम भी मिलेंगे.

शिमला जिला में तैयार होता है 80 फीसदी सेब: पराला के एप्पल प्रोसेसिंग प्लांट के लगने से सबसे अधिक फायदा शिमला जिले के बागवानों को होगा. क्योंकि शिमला जिले में हिमाचल का करीब 80 फीसदी सेब तैयार होता है. फ्रूड प्रोसेसिंग प्लांट में बी और सी ग्रेड का सेब इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में बागवानों के इस सेब की डिमांड भी बढ़ेगी. एचपीएमसी हर साल कम गुणवत्ता वाला सेब बागवानों से खरीदता है और इसको प्रोसेस करवाकर इससे कांस्ट्रेट, जूस आदि तैयार करता है. इस तरह न केवल बागवानों को बल्कि सरकार को भी इसका फायदा होगा. इससे वह कमाई भी कर सकेगी.

हिमाचल में साढ़े चार हजार करोड़ की आर्थिकी सेब की है

सरकार का सेब सीजन में प्लांट शुरू करने का टारगेट: बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा है कि पराला एप्पल प्रोसेसिंग प्लांट का कुछ कार्य बचा है, जिसको जल्द पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं. प्लांट तैयार करने के साथ यहां सड़क को भी चौड़ा करने सहित कुछ अन्य कार्य पूरा करने को कहा गया है. सरकार का इसी सीजन में इस प्लांट को शुरू करने का लक्ष्य है, जिससे बागवानों को सुविधा होगी.

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