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खतरे की जद में हैं धार्मिक नगरी मणिकर्ण, तटीकरण की उठ रही है मांग, ब्रह्म गंगा से गुरुद्वारा तक पार्वती का खौफ

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Published : Jul 24, 2023, 5:25 PM IST

हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू की मणिकर्ण घाटी खतरे की जद में है. ब्रह्म गंगा से लेकर गुरुद्वारा तक पूरी तरह से खतरा बना हुआ है. ऐसा हम क्यों कह रहे हैं जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

Manikaran Kullu News
खतरे की जद में हैं धार्मिक नगरी मणिकर्ण

कुल्लू:जिला कुल्लू में हिंदू-सिखों की संगम स्थली धार्मिक नगरी मणिकर्ण खतरे की जद में है. मणिकर्ण घाटी में पार्वती नदी का रौद्र रूप कभी भी यहां बड़ी तबाही मचा सकता है. ब्रह्म गंगा से लेकर गुरुद्वारा तक पूरी तरह से खतरा बना हुआ है. पार्वती नदी के तट पर बसे मणिकर्ण गांव को जल की तेज धाराओं से खारा लग चुका है. यदि पार्वती नदी में उफान आता है तो मणिकर्ण में तबाही मच सकती है. साल 1998 में भी नदी ने गांव की ओर रुख किया था. उस दौरान पर्यटन निगम के होटल पार्वती की जमीन बह गई थी और होटल का आधा हिस्सा भी बह गया था.

इसके बाद साल 2001 में जहां होटल पार्वती पूरी तरह से नदी की भेंट चढ़ा था. वहीं, साथ लगते ब्रह्म गंगा नाले में भी भारी तबाही मची थी. यहां अर्धनारीश्वर का भव्य मंदिर सहित कई घराट व जमीन भी बाढ़ की भेंट चढ़ गई थी. सुंदर पर्यटन स्थल ब्रह्मगंगा खंडहर में तबदील हो गया था. इसके बाद लगातार बीच-बीच में नुकसान होता रहा. मणिकर्ण गांव सदियों से पार्वती नदी की गोद में ही बसा हुआ है, लेकिन अब यह गांव खतरे की जद में हैं. मणिकर्ण में जहां एक तरफ पार्वती नदी बहती है. वहीं, गांव के पूरे भूगर्भ में गर्म पानी है. यहां फूटने वाले गर्म पानी के चश्मों में 108 डिग्री तक उबलता गर्म पानी बहता है.

खतरे की जद में हैं धार्मिक नगरी मणिकर्ण

यही नहीं यह गांव धार्मिक दृष्टि से भी अति महत्वपूर्ण है. यहां प्राचीन राम मंदिर, शिव मंदिर, गुरुद्वारा साहिब, नैना माता मंदिर, प्राचीन शिवालय सहित कई अन्य छोटे-बड़े मंदिर गांव के अंदर ही विराजमान हैं, लेकिन साथ ही गांव के साथ पार्वती नदी बहती है. पिछले कुछ सालों से पार्वती नदी के उफान में आने से यहां नुकसान होता रहा है और लोग भय में जीते रहे हैं. इस बार जिले में मची तबाही के बाद यह भय और भी ज्यादा होने लगा है. इसलिए स्थानीय लोगों ने मांग उठाई है कि धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण गांव मणिकर्ण को बचाने के प्रयास किए जाएं और ब्रह्म गंगा से लेकर गुरुद्वारा तक इसका तटीकरण किया जाए.

स्थानीय खुशीराम, सूरज ठाकुर, महेश कुमार का कहना है कि बीते दिनों की पार्वती नदी में आई बाढ़ के चलते यहां दोनों किनारे भूस्खलन की चपेट में आए हैं. पार्वती नदी के दोनों किनारों पर मणिकर्ण गांव फंसा हुआ है और लोगों के मकान व दुकानें भी यहां पर बनी हुई है. ऐसे में अब पार्वती नदी में आए दिन आ रहे हो उफान के चलते लोग रात को सोने से भी डर रहे हैं और पूरी पूरी रात लोग जाग कर गुजार रहे हैं. ऐसे में अब जिला प्रशासन को चाहिए कि जैसे ही पार्वती नदी का पानी कम होता है तो ब्रह्म गंगा से लेकर गुरुद्वारा तक नदी के दोनों किनारों का तटीकरण किया जाना चाहिए, ताकि बारिश के मौसम में लोगों का किसी प्रकार से नुकसान ना हो सके.

ब्रह्म गंगा से गुरुद्वारा तक पार्वती का खौफ

डीसी कुल्लू आशुतोष गर्ग का कहना है कि मणिकर्ण घाटी में भी भारी बारिश के चलते करोड़ों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है. ऐसे में सड़क बहाली का कार्य तेज गति से किया जा रहा है. उसके बाद पार्वती नदी के किनारों पर भी सर्वे किया जाएगा और भूस्खलन को रोकने की दिशा में भी प्रभावी कदम उठाए जाएंगे.

वहीं, हिमालय नीति अभियान के संयोजक गुमान सिंह का कहना है कि हिमाचल प्रदेश पहले ही भूकंप की दृष्टि से काफी संवेदनशील है. ऐसे में अब अवैज्ञानिक रूप से नदी नालों के किनारे खनन किया जा रहा है उससे भी प्रकृति का प्रकोप बढ़ रहा है. इसके अलावा नदी नालों के किनारे भी लोगों के द्वारा मकान बनाए जा रहे हैं. जिसके चलते भी इस साल लोगों का नुकसान काफी ज्यादा हुआ है. ऐसे में अब अवैज्ञानिक तरीके से किया जा रहा खनन और अवैध डंपिंग भी बाढ़ के नुकसान को अधिक बढ़ा देती है. आने वाले दिनों में अगर अवैध खनन और वैज्ञानिक तरीके से की जा रही डर को नहीं रोका गया तो ब्यास व अन्य नदी नालों के किनारे काफी नुकसान हो सकता है.

पार्वती नदी के तटीकरण की उठ रही है मांग.

गुमान सिंह का कहना है कि जिला कुल्लू के अलावा अन्य इलाकों में भी अधिकतर मामलों में यही पाया गया है कि खनन के चलते नदी नालों का रुख मुड़ा और उसे लोगों की संपत्ति बह कर नष्ट हो गई है. ऐसे में प्रदेश सरकार को इस दिशा में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है.

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