कुल्लू: अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का 24 अक्टूबर से शुभारंभ हो गया है. यह दशहरा उत्सव 7 दिन यानी 3 अक्टूबर तक मनाया जाएगा. कुल्लू दशहरा उत्सव में जिलेभर से करीब 300 से ज्यादा देवी-देवता भाग लेते हैं. इसे देवताओं का महाकुंभ भी कहा जाता है. वहीं, कुल्लू दशहरे में शामिल होने वाले सभी देवी-देवताओं की अपनी-अपनी मान्यताएं एवं महत्व है. बताया जाता है कि ये सभी देवता कुल्लू दशहरे को सफल बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं.
दशहरा उत्सव के यातायात प्रबंधक: अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में एक देवता ऐसे है, जिन्हें यातायात प्रबंधक कहा जाता है. दशहरा उत्सव में पुलिस जवान नहीं, बल्कि देवता भीड़ को नियंत्रित करते है. ऐसा कहा जाता है कि देवता नाग धूमल दशहरा उत्सव में यातायात व्यवस्था बनाते हैं. इन्हें यातायात प्रबंधक भी कहा जाता है. अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में जहां लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सैकड़ों पुलिस जवान तैनात होते हैं. इस दौरान भगवान रघुनाथ जी की रथ यात्रा के शुरू होने पर देवता नाग धूमल अकेले ही पूरी भीड़ को नियंत्रित करते है. कुल्लू दशहरा उत्सव के शुरू होने पर भगवान रघुनाथ के रथ के सामने लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है. इस दौरान देवता नाग धूमल स्वयं भगवान रघुनाथ जी के लिए रास्ता बनाते हैं.
नियम टूटने पर खुद चलते हैं देवता: देवता के गुर गुप्त राम ने बताया कि जब कोई व्यक्ति मंदिर के आसपास गंदगी फैलाता है या फिर कोई भी नियम टूट जाते हैं तो देवता नाग धूमल का देवरथ अपने आप ही अपने स्थान से चलने लगता है. इस कारण देवता के देवरथ को बांध कर भी रखा जाता था. अब जब से देवता के लिए नए आसन की व्यवस्था की गई है, तब से उन्होंने देवता के रथ को बांधना छोड़ दिया है, लेकिन अभी भी कई बार देवता का रथ अपने स्थान से स्वयं चलने लगता है.