बिलासपुर: किरतपुर-नेरचौक फोरलेन के तहत निर्माणाधीन सभी पांचों टनल का निर्माण कार्य फिर से शुरू हो गया है. तय औपचारिकताएं पूरी होने के बाद कंपनी ने निर्माण कार्य की कवायद शुरू की है. पहले आईएलएंडएफएस कंपनी को कार्य अवार्ड हुआ था, लेकिन टनलों का 40 से 50 फीसदी तक कार्य करने के बाद घाटे का हवाला देते हुए कंपनी बीच ही में ही कार्य छोड़कर चली गई थी जिसके बाद कार्य लटका हुआ था. एनएचएआई की ओर से अब हरियाणा की गाबर कंस्ट्रक्शन कंपनी को 2 हजार करोड़ का टेंडर अवार्ड किया है. प्रशासन की तरफ से तमाम औपचारिकताओं को परमिशन मिलने के बाद कंपनी ने टनलों का कार्य शुरू कर दिया है.
सदर एसडीएम रामेश्वर दास के अनुसार कैंचीमोड़ से मैहला के लिए बन रही टनल की लंबाई 1800 मीटर है. इसी प्रकार थापना टनल की लंबाई 465 मीटर, तुन्नू से ढलियार टनल की लंबाई 550 मीटर, मल्यावर टनल की लंबाई 1265 मीटर और मंडी जिला में आने वाली टनल डैहर के पास 740 मीटर लंबी बनेगी जिनका कार्य प्रशासनिक मंजूरियों के बाद शुरू कर दिया गया है. एक निश्चित समयावधि के अंदर इन टनल का काम पूरा किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि पिछले दिनों राजस्व विभाग की टीम स्पॉट इंस्पेक्शन कर चुकी हैं और जो भी कंपनी की ओर से रिक्वायरमेंट्स थी उन्हें पूरा कर दिया गया है. ब्लास्टिंग की परमिशन भी मिल चुकी है. एसडीएम रामेश्वर दास ने बताया कि सदर उपमंडल से संबंधित स्थानीय लोगों की समस्याओं का भी निराकरण कर दिया गया है. जहां पहले वाली कंपनी कार्य छोड़ गई थी उससे आगे अब गाबर कंस्ट्रक्शन कंपनी कार्य शुरू करेगी. उधर, इस संदर्भ में जिलाधीश बिलासपुर पंकज राय ने बताया कि फोरलेन की पांचों निर्माणाधीन टनल का कार्य शुरू कर दिया गया है.
शुरुआती दौर में 1818.47 करोड़ रुपए की लागत से फोरलेन का काम शुरू हुआ था और 2018 तक तैयार किए जाने का लक्ष्य तय किया गया था, लेकिन बाद में विलंब होने के चलते 2019 लक्ष्य तय किया गया. इस बीच निर्माता कंपनी काम बीच में ही छोड़कर चली गई और यह कार्य लटक गया. यहां बता दें कि किरतपुर से नेरचौक तक 125 किलोमीटर का फासला है जो कि फोरलेन बनने से कम होकर महज 85 किलोमीटर रह जाएगा, जबकि बिलासपुर की दूरी 26 किलोमीटर होगी.