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हिमाचल में बेरोजगार हो जाएंगे डॉक्टर्स, कैसे मिलेगी हर साल 700 चिकित्सकों को नौकरी

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Published : Sep 21, 2022, 8:45 PM IST

Updated : Sep 21, 2022, 9:04 PM IST

हिमाचल में हर साल 700 डॉक्टर्स पास आउट (700 doctors pass out every year in Himachal) होते हैं. ऐसे में सेवानिवृत्ति की दहलीज पर पहुंचे डॉक्टर्स के अलावा पीजी डिग्री के लिए सिलेक्ट होने वाले डॉक्टर्स की संख्या के मुकाबले मेडिकल कॉलेजों से पास आउट हो रहे नए चिकित्सकों की संख्या अधिक है. अब स्थिति ये हो गई है कि प्रदेश में एमबीबीएस पास डॉक्टर्स के सर पर बेरोजगार होने का संकट मंडरा रहा है.

Doctors will be unemployed in Himachal
हिमाचल में बेरोजगार हो जाएंगे डॉक्टर्स

शिमला: देश के कई राज्य डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहे हैं, लेकिन हिमाचल में स्थिति उलट है. यहां एमबीबीएस पास डॉक्टर्सके सर पर बेरोजगार होने का संकट मंडरा रहा है. कारण ये है कि राज्य में एमबीबीएस डॉक्टर्स (700 doctors pass out every year in Himachal) के स्वीकृत सभी पद भर चुके हैं. वहीं, सेवानिवृत्ति की दहलीज पर पहुंचे डॉक्टर्स के अलावा पीजी डिग्री के लिए सिलेक्ट होने वाले डॉक्टर्स की संख्या के मुकाबले मेडिकल कॉलेजों से पास आउट हो रहे नए चिकित्सकों की संख्या अधिक है.

हिमाचल में मेडिकल कॉलेज: हिमाचल प्रदेश में इस समय शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज अस्पताल सहित कांगड़ा के टांडा स्थित डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अलावा पांच अन्य मेडिकल कॉलेज (Medical Colleges in Himachal) हैं. हर मेडिकल कॉलेज में सौ-सौ सीटें हैं. कुल सात मेडिकल कॉलेज से पास आउट होने वाले एमबीबीएस डॉक्टर्स की संख्या 700 होती है. हाल ही में हिमाचल सरकार ने प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों के लिए डॉक्टर्स के 500 पद सृजित किए थे. इनमें से 200 पद लोकसेवा आयोग के माध्यम से और 300 पद लिखित परीक्षा के माध्यम से भरे जाने का फैसला हुआ. लिखित परीक्षा से भरे जाने वाले पद पहले वॉक-इन-इंटरव्यू से भरे जाने थे. वॉक-इन-इंटरव्यू प्रक्रिया में सिर्फ डिग्री व अन्य कागजात देखे जाते हैं और नियुक्ति पत्र दे दिया जाता है.

हिमाचल में मेडिकल कॉलेज.

हिमाचल में हर साल 700 चिकित्सकों को कैसे मिलेगी नौकरी: चूंकि प्रदेश में पहले डॉक्टर्स के काफी पद खाली होते थे, लिहाजा सरकार हर हफ्ते वॉक-इन-इंटरव्यू रखती थी. तब प्रदेश में दो ही मेडिकल कॉलेज थे और सीटें भी एक मेडिकल कॉलेज में 65 ही थीं. ऐसे में पास आउट होते ही डॉक्टर्स को तुरंत नियुक्ति भी मिल जाती थी. यहां तक कि देश के अन्य राज्यों के एमबीबीएस पास डॉक्टर्स भी नौकरी पा गए थे. अब स्थिति बदल गई है. पहले तो मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टर्स की सीटें 65 से 100 हुई और फिर प्रदेश में कॉलेजों की संख्या भी बढ़ गई. इस समय शिमला, कांगड़ा, नाहन, चंबा, हमीरपुर, नेरचौक में सरकारी मेडिकल कॉलेजों सहित सोलन जिला में एक निजी मेडिकल कॉलेज अस्पताल है. यही कारण है कि अब प्रदेश में हर साल पास आउट होने वाले एमबीबीएस बेरोजगार हो जाएंगे.

लिखित परीक्षा का इसलिए भी हुआ विरोध: हाल ही में चार सितंबर को मंडी जिले में अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी (Atal Medical University in Mandi district) ने एमबीबीएस डॉक्टर्स की नौकरी के लिए लिखित परीक्षा ली थी. इस परीक्षा को डॉक्टर्स ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. कारण ये था कि पहले तीन सौ पद भरने के लिए वॉक-इन-इंटरव्यू होना था, लेकिन अभ्यर्थी अधिक होने के कारण लिखित परीक्षा आयोजित की गई. कुछ डॉक्टर्स हाईकोर्ट पहुंचे और पहले की तरह पद भरने का आग्रह किया था. हाईकोर्ट ने डॉक्टर्स की याचिका खारिज कर दी थी. सरकार ने अदालत में सारी वस्तुस्थिति स्पष्ट की थी.

हिमाचल में स्वास्थ्य संस्थानों में ये है स्थिति:हिमाचल प्रदेश में ग्रामीण इलाकों में प्राइमरी हैल्थ सेंटर्स सहित शहरों में कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर्स, सिविल अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर्स की तैनाती होती है. एमबीबीएस पास डॉक्टर्स मेडिकल ऑफिसर्स (doctors in himachal pradesh) कहलाते हैं. प्रदेश में एक साल पहले यानी वर्ष 2021 तक मेडिकल ऑफिसर्स के कुल मंजूर पद 2431 थे. उनमें से 2356 पद भरे हुए थे. बाकी पद बाद में भर्ती से भर दिए गए थे. उसके बाद बजट सेशन में राज्य सरकार ने पांच सौ और पद मंजूर किए. उन्हीं पदों को भरने के लिए लोकसेवा आयोग से 200 पद विज्ञापित किए गए और 300 पद लिखित परीक्षा के माध्यम से भरे जाने का फैसला लिया.

पहले हिमाचल में रहती थी विशेषज्ञ डॉक्टर्स की कमी: हिमाचल प्रदेश में पहले विशेषज्ञ डॉक्टर्स (Specialist Doctors in Himachal Pradesh) की कमी रहती थी. उसके बाद हिमाचल प्रदेश में आईजीएमसी अस्पताल शिमला में सीटीवीएस यानी ओपन हार्ट सर्जरी में एमसीएच की डिग्री शुरू हुई. न्यूरो सर्जरी में भी एमसीएच शिमला के आईजीएमसी से शुरू हो गई. फील्ड में विशेषज्ञों के पद भी पहले के मुकाबले अधिक भरे हैं. इस समय फील्ड में पीजी डॉक्टर्स की स्ट्रेंथ तीन सौ के करीब है. वर्ष 2018 से 2021 तक के तीन साल के अंतराल में स्वास्थ्य विभाग ने डेढ़ हजार एमबीबीएस डॉक्टर्स के पद भरे.

एम्स शुरू होने पर और बढ़ेंगी सीटें: बिलासपुर में एम्स जल्द शुरू होने वाला है. कुछ समय बाद वहां से भी एमबीबीएस के 100 डॉक्टर्स पास आउट होनें लगेंगे. ऐसे में डॉक्टर्स की संख्या और बढ़ जाएगी. हिमाचल सरकार के स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डॉयरेक्टर डॉ. रमेश चंद (Himachal health department deputy director) का कहना है कि निश्चित रूप से डॉक्टर्स की संख्या बढ़ रही है.

हिमाचल में हर साल 700 डॉक्टर्स होते हैं पास आउट: पहले प्रदेश में केवल एक मेडिकल कॉलेज आईजीएमसी के रूप में होता था. यहां सीटें भी मात्र पचास हुआ करती थीं. बाद में ये बढ़कर 65 हुई. फिर टांडा मेडिकल कॉलेज (Tanda Medical College) शुरू हुआ. उस समय तक स्थिति ऐसी थी कि ग्रामीण इलाकों में पीएचसी में मुश्किल से डॉक्टर्स हुआ करते थे. अब स्थिति बदल गई है. इस समय प्रदेश में सालाना 700 एमबीबीएस डॉक्टर्स निकलते हैं. यही नहीं, बाहर के राज्यों से भी डॉक्टर्स नौकरी के लिए आते हैं. ऐसे में आने वाले समय में डॉक्टर्स को नौकरी मिलने के अवसर बहुत सीमित होते जाएंगे.

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Last Updated : Sep 21, 2022, 9:04 PM IST

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